Highlights
- कश्मीर पर बोले थे पीएम नरेंद्र मोदी
- कश्मीर मुद्दे का किया गया समाधान
- पाकिस्तान ने बयान को किया खारिज
PM Modi Kashmir Statement: पाकिस्तान ने गुजरात में एक जनसभा के दौरान कश्मीर के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी को मंगलवार को खारिज कर दिया। पाकिस्तान ने कहा कि मोदी का यह तर्क कि उन्होंने किसी तरह, 'कश्मीर मुद्दे का समाधान' किया है, न केवल गलत और भ्रामक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारतीय नेतृत्व जमीनी हकीकत से कितना बेखबर है। गुजरात के आणंद जिले में सोमवार को एक रैली को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने अन्य रियासतों के विलय से संबंधित मुद्दों को हल कर दिया था लेकिन 'एक व्यक्ति' कश्मीर मुद्दे को नहीं सुलझा सका।
उन्होंने कहा, ‘मैं चूंकि सरदार साहब के नक्शे कदम पर चलता हूं, मुझ में सरदार पटेल की भूमि के मूल्य हैं और यही कारण है कि मैंने कश्मीर की समस्या का समाधान किया और सरदार पटेल को श्रद्धांजलि दी।’ पाकिस्तान के विदेश कार्यालय (एफओ) ने पीएम मोदी की टिप्पणी को ‘साफ तौर पर खारिज’ कर दिया और कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री का 'हास्यास्पद तर्क है कि उन्होंने किसी तरह, 'कश्मीर मुद्दे को हल किया', यह न सिर्फ गलत और भ्रामक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारतीय नेतृत्व जम्मू-कश्मीर में जमीनी हकीकत से कितना बेखबर हो गया है।'
विदेश कार्यालय ने और क्या कहा?
एफओ ने एक बयान में कहा है कि जम्मू कश्मीर अंतरराष्ट्रीय तौर पर पहचाने जाना वाला विवाद है, जिसका समाधान 1948 से संयुक्त राष्ट्र के एजेंडे में रहा है। बयान में कहा गया है, “विवाद को एकतरफा हल करने के बारे में भ्रामक बयान देने के बजाय, भारतीय नेतृत्व को कश्मीरियों और दुनिया के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कश्मीर के लोगों को आत्मनिर्णय का उनका अपरिहार्य अधिकार दिया जाए।”
भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे और पाकिस्तान की ओर से होने वाले सीमापार आतंकवाद की वजह से रिश्ते तनावग्रस्त रहते हैं। भारत ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को खत्म कर दिया था, जिसके बाद से दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों में खासी गिरावट आई है।
जर्मनी के साथ भी दिया बयान
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टे ने हाल में ही अपने जर्मनी दौरे के समय भी कश्मीर पर बयान दिया था। उन्होंने भारत पर आरोप लगाया कि वह कश्मीर में मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहा है। जिसके कारण क्षेत्र में शांति और स्थिरता को खतरा है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के बिना इस समस्या का समाधान संभव नहीं है। उन्होंने शनिवार के दिन राजधानी बर्लिन में वहां की विदेश मंत्री एनालीना बेयरबॉक के साथ जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। बयान जारी करते हुए दोनों ही मंत्रियों ने कश्मीर का जिक्र किया।
जर्मनी ने क्या कहा?
जर्मनी की विदेश मंत्री एनालीना बेयरबॉक ने जम्मू कश्मीर से जुडे़ सवाल का जवाब देते हुए कहा, 'मेरा ऐसा मानना है कि दुनिया में सभी देशों की भूमिका संघर्षों को समाप्त करने और हम शांति भरी दुनिया में रहें ये सुनिश्चित करने की है। मेरी अपील केवल यूरोप के हालात को लेकर नहीं है, जहां रूस ने यूक्रेन के खिलाफ जंग छेड़ी हुई है। बल्कि हमारी जिम्मेदारी ये है कि हम दूसरे क्षेत्रों को भी देखें, जहां तनाव और युद्ध की स्थिति बनी हुई है। मैं कह सकती हूं कि बिलकुल कश्मीर की स्थिति के मामले में जर्मनी की भी भूमिका और जिम्मेदारी है। हालांकि हम शांतिपूर्ण समाधान के लिए संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की बातचीत का समर्थन करते हैं।'
भारत ने दोनों को दिया मुंहतोड़ जवाब
पाकिस्तान और जर्मनी के बयान के बाद भारत ने तुरंत बयान जारी किया। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि वैश्विक समुदाय के सभी ईमानदार देशों की जिम्मेदारी बनती है कि वह अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद और खासतौर से सीमापार आतंकवाद को खत्म करें। भारतीय विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा कि जम्मू कश्मीर दशकों से आतंकवादी अभियान का खामियाजा भुगत रहा है, जो अभी भी जारी है। सीमा पार (यानी पाकिस्तान) के आतंकवाद के कारण कश्मीर के साथ-साथ भारत के अन्य हिस्सों में भी विदेशी नागरिक निशाना बन रहे हैं।
भारत ने फिर 26/11 आतंकी हमले का जिक्र किया और कहा कि यूएनएससी (संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद) और एफएटीएफ (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) अब भी पाकिस्तान में मौजूद आतंकियों को तलाश रहे हैं। भारत ने इन्हें सख्त संदेश देते हुए कहा, 'जब देश स्वार्थ और मतभेदों के चलते ऐसे खतरों को नहीं मानते, तो वो शांति के काम को बढ़ावा नहीं देते बल्कि उसे नजरअंदाज करते हैं। वह आतंकवाद के शिकार लोगों के साथ घोर अन्याय भी करते हैं।'