Pakistan Crisis: पाकिस्तान के नेता बातें तो बड़ी-बड़ी करते हैं, लेकिन अपने देश के विकास के लिए कभी बड़ा काम नहीं करते। यहां की जनता कभी आतंकवादियों से परेशान रहती है, तो कभी आर्थिक तंगी से। अब तो हालात ऐसे आ गए हैं कि पाकिस्तान भूख से मरने की कगार पर पहु्ंच चुका है। जी हां, नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को तत्काल मदद की जरूरत है। प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ जहां अपने चीनी समकक्ष ली केकियांग से मदद मांग रहे हैं, वहीं सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर फिलहाल सऊदी अरब में रक्षा मंत्री से मुलाकात कर रहे हैं। लेकिन राजकोषीय अनुशासनहीनता और देश की अस्थिर राजनीति में पाकिस्तान के रिकॉर्ड के चलते हर कोई हाथ खींचने की कोशिश कर रहा है।
हर जगह से निराश हुआ पाकिस्तान
विदेशी मदद लेने में पाकिस्तान की सरकारें पूरी तरह विफल साबित हुई हैं। उधर, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से पाकिस्तान को भी निराशा हाथ लगी है। अभी तक पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से आधा पैसा ही प्राप्त हुआ है। IMF के प्रतिनिधिमंडल ने देश के वित्त मंत्री से मुलाकात की है। यह बैठक जिनेवा में एक जनवरी को आयोजित हो रहे एक कार्यक्रम से इतर हुई।
IMF ने 1.1 अरब डॉलर की मंजूरी नहीं दी
आईएमएफ से बेलआउट पैकेज हासिल करने के लिए पाकिस्तान काफी जद्दोजहद से गुजर रहा है। पाकिस्तान ने आईएमएफ से छह अरब डॉलर की मदद मांगी थी। लेकिन अभी तक इस मदद में 1.1 अरब डॉलर की मंजूरी नहीं मिली है। यह राशि नवंबर में ही मिलनी थी।
रोटी को तरसे लोग
पाकिस्तान में महंगाई कमर तोड़ रही है। दिसंबर में महंगाई दर 24.5 फीसदी पर पहुंच गई थी। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और भी खराब रही। यहां महंगाई दर 28.8 फीसदी रही जबकि शहरों में यह 21.6 फीसदी रही। शहरों में प्याज के दाम 415 फीसदी और गांवों में 464 फीसदी बढ़े हैं। चाय की कीमत पिछले एक साल के मुकाबले 64 फीसदी तक पहुंच गई है। गेहूं अब आम पाकिस्तानी की पहुंच से बाहर हो गया है। एक साल में जहां गेहूं के दाम 57 फीसदी बढ़े हैं, वहीं आटा 41 फीसदी महंगा हुआ है।