Highlights
- दूसरे देशों को बेचने के खिलाफ दायर याचिका पर अदालत सुनवाई नहीं कर सकेगी
- दिवालिया होने के खतरे को टालने के लिए पेट्रोलियम और बिजली कंपनियां बिकेंगी
- पाकिस्तानी रुपए डॉलर के मुकाबले 20 फीसदी नीचे गिर गया है
Pakistan News: कंगाल पाकिस्तान पर को दिवालिया होने का खतरा मंडराने लगा है। इस खतरे को भांपते हुए पाकिस्तान के संघीय मंत्रिमंडल ने उस बिल को मंजूरी दे दी है, जिसमें सरकारी संपत्तियों अब दूसरे देशों को बेची जा सकेंगी। इस बिल में सभी निर्धारित प्रक्रिया और अन्य आवश्यक नियमों से अलग हटकर सरकारी संपत्तियां दूसरे देशों में बेचने का प्रावधान किया गया है। खबर के मुताबिक सरकार ने यह फैसला देश के दिवालिया होने के खतरे को टालने के लिए लिया है।मीडिया रिपोर्ट्स क मुताबिक ‘अंतर सरकारी वाणिज्यिक हस्तांतरण अध्यादेश.2022‘ को संघीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को मंजूरी दी। जानकारी के मुताबिक इस बिल में ये व्यवस्था की गई है कि सरकार की संपत्ति की हिस्सेदारी दूसरे देशों को बेचने के खिलाफ यदि किसी ने याचिका दायर भी की तो अदालत इसकी सुनवाई नहीं कर सकेगी।
पेट्रोलियम और बिजली कंपनियां बिकेंगी
यह फैसला तेल और गैस कंपनियों में हिस्सेदारी और सरकारी बिजली कंपनी को संयुक्त अरब अमीरात को 2 से 2.5 अरब डॉलर में बेचने के लिए लिया गया है ताकि दिवालिया होने के खतरे को टाला जा सके। पाक हालांकि मीडिया के अनुसार राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने अभी इस अध्यादेश पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। खबर के मुताबिक संयुक्त अरब अमीरात ने मई महीने में पाकिस्तान के बैंकों में नकदी जमा करने से इनकार कर दिया था। क्योंकि वह पहले के कर्जे की अदायगी नहीं कर सका है।
पाक इकोनॉमिस्ट पहले ही दे चुके हैं चेतावनी
पाकिस्तानी मूल के टॉप इकोनॉमिस्ट आतिफ मियां ने पिछले दिनों ही देश की स्थिति को लेकर बड़ी चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी रुपए की कीमत गिरने के बाद स्थिति और बिगड़ने वाली है। उन्होंने हालिया ट्वीट में ये बताया कि पाकिस्तानी रुपए डॉलर के मुकाबले 20 फीसदी नीचे गिर गया है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती जो पाकिस्तान के सामने है, वो है विश्वसनीयता के साथ निवेशकों और जनता को वापस लाना। उन्होंने लिखा है कि विदेशों की दया पर निर्भर पाकिस्तान सबकुछ खो चुका है। सरकारें सत्ता बचाने या नई सरकार के सामने आर्थिक संकट खड़ा करने के प्रयासों के बीच इकोनॉमिस्ट कह रहे हैं कि राजनीतिक तबका इस पाप का सबसे बड़ा भागीदार है। देश में ऊर्जा से लेकर दवाएं यहां तक कि लिए जरूरी खाद्यान्न तक विदेशी मुद्रा खर्च करके बाहर से बुलाना पड़ रहा है।