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Pakistan News: बलूचिस्तान में बाढ़ से बेहाल मुस्लिमों और उनके पशुओं को हिंदू मंदिर ने दिया सहारा, इस तरह दी जा रही मदद

Pakistan News: बलूचिस्तान प्रांत के कच्छी जिले में एक छोटा सा गांव है, जहां बाढ़ की वजह से काफी तबाही मची है। ये गांव नारी, बोलन, और लहरी नदियों में बाढ़ के कारण बाकी प्रांत से कट गया था और इलाके के निवासियों को उनकी खस्ता हालत पर छोड़ दिया गया था।

Written By: Rituraj Tripathi @rocksiddhartha7
Published : Sep 11, 2022 13:46 IST, Updated : Sep 11, 2022 13:46 IST
Pakistan News
Image Source : INDIA TV GFX Pakistan News

Highlights

  • बलूचिस्तान में बाढ़ से बेहाल मुस्लिमों की मदद के लिए आगे आया हिंदू मंदिर
  • शरणार्थियों के पशुओं को भी हिंदू मंदिर ने दिया सहारा
  • खाने और रहने के लिए बाबा माधोदास मंदिर के दरवाजे खोले गए

Pakistan News: अक्सर सुनने में आता है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय यानी हिंदुओं और उनके मंदिरों को टारगेट किया जाता है। लेकिन इस बार बलूचिस्तान के एक ऐसे हिंदू मंदिर के बारे में खबर सामने आई है, जो बाढ़ से बेहाल हुए मुस्लिम समुदाय के लोगों को सहारा दे रहा है और उनके रहने और खाने-पीने का इंतजाम कर रहा है। ये हिंदू मंदिर न केवल मुस्लिम समुदाय को सिर छिपाने की जगह दे रहा है बल्कि उनके पशुओं की भी सुरक्षा कर रहा है।

कच्छी जिले में बसे गांव में बाढ़ का तांडव

बलूचिस्तान प्रांत के कच्छी जिले में एक छोटा सा गांव है, जहां बाढ़ की वजह से काफी तबाही मची है। ये गांव नारी, बोलन, और लहरी नदियों में बाढ़ के कारण बाकी प्रांत से कट गया था और इलाके के निवासियों को उनकी खस्ता हालत पर छोड़ दिया गया था। ऐसे कठिन समय में लोकल हिंदू कम्यूनिटी ने बाढ़ पीड़ितों और उनके पशुओं की मदद के लिए बाबा माधोदास मंदिर के दरवाजे खोल दिए। 

स्थानीय लोगों के मुताबिक, बाबा माधोदास विभाजन से पहले के हिंदू संत थे। उन्हें इस इलाके के हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग बराबर सम्मान देते थे। वह ऊंट पर यात्रा करते था। भाग नारी तहसील से गांव तक लगातार आने जाने वाले इल्तफ बुजदारी ने 'डॉन' से बातचीत में इस बात का जिक्र किया है। 

बुजदारी बताते हैं कि उनके माता-पिता द्वारा सुनाई गई कहानियों के अनुसार, इस संत ने धार्मिक सीमाओं को पार कर लिया था और वह मानते थे कि लोग जाति और पंथ के बजाय मानवता के चश्मे से सोचें। 

कैसे बना हिंदुओं का ये मंदिर

ये पूजा स्थल बलूचिस्तान के हिंदू उपासकों द्वारा कंक्रीट से बनाया गया है और ये बड़े क्षेत्र में स्थित है। चूंकि ये जगह ऊंचाई पर है इसलिए यहां बाढ़ के पानी से सुरक्षित रहा जा सकता है। हिंदू समुदाय के अधिकांश सदस्य रोजगार और अन्य अवसरों के लिए कच्छी और अन्य शहरों में चले गए हैं, लेकिन कुछ परिवार इस मंदिर की देखभाल के लिए परिसर में रहते हैं।

भाग नारी तहसील के एक दुकानदार 55 वर्षीय रतन कुमार वर्तमान में मंदिर के प्रभारी हैं। वह बताते हैं कि मंदिर में सौ से अधिक कमरे हैं क्योंकि हर साल बलूचिस्तान और सिंध से बड़ी संख्या में लोग तीर्थयात्रा के लिए यहां आते हैं।

मंदिर में भी बारिश से हुआ नुकसान

ऐसा नहीं है कि मंदिर ने इस बारिश का खामियाजा नहीं उठाया है। रतन के बेटे सावन कुमार ने बताया कि कुछ कमरे क्षतिग्रस्त हो गए, लेकिन कुल मिलाकर ढांचा सुरक्षित रहा। कम से कम 200-300 लोगों, ज्यादातर मुस्लिम, और उनके पशुओं को परिसर में शरण दी गई और हिंदू परिवारों द्वारा उनकी देखभाल की गई।

शुरू में क्षेत्र को शेष जिले से पूरी तरह से काट दिया गया था। विस्थापितों ने कहा कि उन्हें हेलीकॉप्टर से राशन उपलब्ध कराया गया था, लेकिन उन्हें मंदिर में ले जाने के बाद, उन्हें हिंदू समुदाय द्वारा ही भोजन दिया जा रहा है। मंदिर के अंदर मेडिकल कैंप भी लगाया गया है, जहां जरूरत पड़ने पर बाढ़ पीड़ितों की जांच भी की जा रही है। 

मुस्लिमों को मंदिर में बुलाने के लिए हिंदुओं ने लगाए लाउडस्पीकर

स्थानीय हिंदुओं द्वारा लाउडस्पीकर पर घोषणाएं की गईं और मुस्लिमों को मंदिर में शरण देने के लिए बार-बार कहा गया। मंदिर में शरण लेने वालों का कहना है कि इस मुश्किल घड़ी में उनकी सहायता के लिए आने और उन्हें भोजन और आश्रय प्रदान करने के लिए वे स्थानीय समुदाय के कर्जदार हैं। 

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