Highlights
- 'पूरे देश की नजर सेना की ओर है, क्योंकि उनके पास शक्ति है: खान
- 'मौजूदा शासन जितना लंबा चलेगा, उतना ही नुकसानदेह साबित होगा'
- नकदी की कमी से जूझ रहा पाकिस्तान एक अहम मोड़ पर खड़ा है: इमरान
Pakistan News: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने पाकिस्तानी सेना से प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली 'विफल' सरकार का समर्थन नहीं करने का आग्रह किया है। उन्होंने सेना के शीर्ष अधिकारियों से अपने फैसले की समीक्षा करने का अनुरोध करते हुए दावा किया कि कोई भी गलत कदम जनता और प्रतिष्ठान के बीच की खाई को और बढ़ा सकता है।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के अध्यक्ष इमरान खान ने शनिवार को इस्लामाबाद में 'पाकिस्तान फेडरल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स' (पीएफयूजे) की ओर से आयोजित एक सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि पूरे देश की नजर सेना की ओर है, क्योंकि उनके पास शक्ति है। खान ने कहा कि मौजूदा शासन जितना लंबा चलेगा, देश के लिए उतना ही नुकसानदेह साबित होगा।
पाकिस्तान एक अहम मोड़ पर खड़ा है- इमरान खान
इमरान खान, सेना पर इस साल की शुरुआत में पैदा हुए राजनीतिक संकट के दौरान उनका साथ छोड़ने का आरोप लगाते रहे हैं। उन्होंने सेना से प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार का समर्थन नहीं करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि नकदी की कमी से जूझ रहा पाकिस्तान एक अहम मोड़ पर खड़ा है और यह बहुत महत्वपूर्ण है कि अभी सही फैसले लिए जाएं।
इमरान खान के दावे को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज
बता दें कि पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों सत्ता परिवर्तन की साजिश के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के दावों को खारिज कर दिया है। इमरान खान को 10 अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए से हटा दिया गया था, लेकिन उन्होंने संसद के फैसले को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। खान ने अमेरिका पर स्थानीय सहयोगियों की मदद से उनकी सरकार को बदलने का आरोप लगाया था।
पाकिस्तान की शीर्ष अदालत ने 3 अप्रैल को तत्कालीन डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी की ओर से अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने से संबंधित एक मामले में गुरुवार को एक विस्तृत फैसले में लिखा कि उसे सत्ता परिवर्तन के दावे के समर्थन में सबूत नहीं मिले। सूरी ने प्रस्ताव को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि यह विदेशी मदद से सरकार बदलने का प्रयास था। अदालत ने अपने आदेश में सूरी के फैसले को अवैध घोषित किया था और प्रस्ताव पर मतदान का आदेश दिया था। अदालत ने अपने विस्तृत फैसले में खान और उनके समर्थकों के इस दावे का समर्थन नहीं किया कि सरकार विदेशी हस्तक्षेप से बदली गई थी।