Highlights
- शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि मुसलमान लड़कियों को शिक्षा से वंचित करना मौलिक मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है।
- कुरैशी ने ट्वीट किया,मुसलमान लड़कियों को शिक्षा से वंचित करना मौलिक मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है।
- चौधरी फवाद हुसैन ने ट्वीट किया, हिजाब पहनना किसी भी अन्य परिधान की तरह व्यक्तिगत इच्छा है।
इस्लामाबाद: कर्नाटक में चल रहे हिजाब विवाद में पाकिस्तान के कई मंत्री कूद पड़े हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि मुसलमान लड़कियों को शिक्षा से वंचित करना मौलिक मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है। कुरैशी ने ट्वीट किया,‘मुसलमान लड़कियों को शिक्षा से वंचित करना मौलिक मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है। किसी को इस मौलिक अधिकार से वंचित करना और हिजाब पहनने पर किसी को आतंकित करना दमनात्मक है।’ पाकिस्तान के सूचना एवं प्रसारण मंत्री फवाद हुसैन ने कहा कि भारत में जो चल रहा है वह भयावह है।
फवाद हुसैन ने ट्वीट किया,‘अस्थिर नेतृत्व में भारतीय समाज का तेज गति से पतन हो रहा है। हिजाब पहनना किसी भी अन्य परिधान की तरह व्यक्तिगत इच्छा है, नागरिकों को इसकी आजादी दी जानी चाहिए।’ पाकिस्तान के इन मंत्रियों के ट्वीट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारत के केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि किसी भी संस्थान के ‘ड्रेस कोड (परिधान नियमावली), डिसिप्लिन (अनुशासन), डेकोरम डिसीज़न (गरिमा बनाए रखने संबंधी निर्णय) ’ को सांप्रदायिक रंग देना भारत की समावेशी संस्कृति के खिलाफ साजिश है।
नकवी ने यह भी कहा, ‘अपने देश में अल्पसंख्यकों पर जुर्म और जुल्म का जंगल बन चुका पाकिस्तान हमें सहिष्णुता और धर्मनिरपेक्षता पर ज्ञान दे रहा है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के सामाजिक-शैक्षिक-धार्मिक अधिकारों को बेदर्दी-बेशर्मी के साथ रौंदा जा रहा है। भारत में मुसलमानों सहित सभी अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा, सम्मान, हिंदुस्तान के संस्कृति-संस्कार-संकल्प का हिस्सा हैं।’ इस बीच नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने हिजाब विवाद को ‘भयावह’ करार दिया और भारतीय नेताओं से ‘मुसलमान महिलाओं की उपेक्षा बंद’ करने की मांग की।