Highlights
- बुधवार को रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने शांति वार्ता की सफलता को लेकर आशंका व्यक्त की थी
- टीटीपी से निपटने के लिए सतर्कता बरती जा रही है
- पाकिस्तान की सरकार और सेना शरिया कानून में बताए गए रास्ते पर नहीं चल रहे हैं
Paksiatan: पाकिस्तान सरकार प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के संभावित उभार से निपटने के लिए एक प्लान तैयार कर रही है। इस आतंकवादी समूह के साथ शांति समझौते की संभावनाएं बेहद कम हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के कबायली परिषद के नेताओं और टीटीपी के बीच अफगानिस्तान में हो रही वार्ता उस समय अधर में लटक गई, जब टीटीपी ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के साथ पूर्ववर्ती संघीय प्रशासित कबायली क्षेत्रों (एफएटीए) के विलय को पलटने की अपनी मांग से पीछे हटने से इनकार कर दिया।
टीटीपी से निपटने के लिए योजना बनाई जा रही है
बुधवार को रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने शांति वार्ता की सफलता को लेकर आशंका व्यक्त की थी। अफगानिस्तान के लिए पाकिस्तान के विशेष दूत मोहम्मद सादिक ने स्वीकार किया था कि शांति प्रक्रिया शुरुआती चरण में है। एक सूत्रों के हवाले से बताया कि सरकार किसी समझौते पर पहुंचने के इरादे से महीनों से टीटीपी के साथ बातचीत कर रही है, लेकिन इस तरह के समझौते की संभावनाएं बेहद कम नजर आ रही हैं। स्वात घाटी में कुछ तालिबान लड़ाकों के देखे जाने की खबरों के मद्देनजर संबंधित अधिकारी टीटीपी के साथ वार्ता विफल होने की सूरत में आतंकवादी खतरे से निपटने के लिए एक प्लानिंग बना रहे हैं। सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार ने टीटीपी के साथ वार्ता की संभावनाएं समाप्त नहीं की हैं। हालांकि, वार्ता बेनतीजा रहने पर टीटीपी के उभार से निपटने के लिए सतर्कता बरती जा रही है।
टीटीपी ने हाल ही में दिया था धमकी
पाकिस्तान की सेना को खून के आंसू रुकाने वाले तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) यानी देश के लोकल तालिबान ने खुली धमकी थी। टीटीपी ने कहा था कि पाकिस्तान की सरकार और सेना शरिया कानून में बताए गए रास्ते पर नहीं चल रहे हैं। पाकिस्तान की सेना, न्यायपालिका और राजनेताओं ने शरिया कानून के बजाय संविधान को लागू किया है। बता दें पाकिस्तान के वरिष्ठ मौलवियों का एक प्रतिनिधिमंडल प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करने के लिए अफगानिस्तान पहुंचा था लेकिन वार्ता असफल हो गया। पाकिस्तान के वरिष्ठ मौलवियों का यह प्रतिनिधिमंडल शांति समझौते को लेकर टीटीपी के प्रतिनिधियों से बातचीत करने के लिए गया था लेकिन पाकिस्तान आर्मी ने हाल ही में टीटीपी के दो कंमाडर को मार गिराया था जिसके के कारण टीटीपी ने पाकिस्तान से खफा हो गया था।