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गरीबी की मार झेल रहा कंगाल पाकिस्तान, अब पानी के लिए भी तरसेगा, जानिए क्या है वजह?

पहले से ही आर्थिक संकट झेल रहे पाकिस्तान के लिए अब एक और बुरी खबर है, भारत ने रावी नदी का पानी रोक दिया है। पाकिस्तान में जल संकट की समस्या हो सकती है। क्या है पूरा मामला, जानिए-

Edited By: Kajal Kumari @lallkajal
Published on: February 26, 2024 8:16 IST
india stops ravi river flow- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO भारत ने रोका रावी नदी का पानी

भारत ने रावी नदी से पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी को रोक दिया है, इससे पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी। लगभग 45 साल से भारत रावी नदी पर बांध बना रहा था जो बनकर तैयार हो गया है और अब रावी नदी का पानी पाकिस्तान तक नहीं जा सकेगा। बता दें कि विश्व बैंक की देखरेख में 1960 में हुई सिंधु जल संधि के तहत रावी के पानी पर भारत का विशेष अधिकार है। पंजाब के पठानकोट जिले में स्थित शाहपुर कंडी बैराज जम्मू-कश्मीर और पंजाब के बीच घरेलू विवाद के कारण रुका हुआ था। लेकिन इसके कारण इतने वर्षों में भारत के पानी का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान चला जाता था।

पानी पर है भारत का अधिकार

सिंधु जल संधि के तहत रावी, सतलुज और ब्यास के पानी पर भारत का पूरा अधिकार है, जबकि सिंधु, झेलम और चिनाब के पानी पर पाकिस्तान का अधिकार है। साल 1979 में, पंजाब और जम्मू-कश्मीर सरकारों ने पाकिस्तान को पानी रोकने के लिए रंजीत सागर बांध और डाउनस्ट्रीम शाहपुर कंडी बैराज बनाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। समझौते पर जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री शेख मोहम्मद अब्दुल्ला और उनके पंजाब समकक्ष प्रकाश सिंह बादल ने हस्ताक्षर किए थे।

बांध के निर्माण कार्य में आईं बाधाएं

उसके बाद साल1982 में, पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने इस परियोजना की नींव रखी, जिसके 1998 तक पूरा होने की उम्मीद थी। जबकि रणजीत सागर बांध का निर्माण 2001 में पूरा हो गया था, शाहपुर कंडी बैराज नहीं बन सका और रावी नदी का पानी पाकिस्तान में बहता रहा। फिर साल 2008 में शाहपुर कंडी परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया था लेकिन निर्माण कार्य 2013 में शुरू हुआ। इन सबके बीच विडंबना यह है कि 2014 में पंजाब और जम्मू-कश्मीर के बीच विवादों के कारण परियोजना फिर से रुक गई थी।

अब रावी के पानी से होगा तीन राज्यों को फायदा

आख़िरकार साल 2018 में केंद्र सरकार ने मध्यस्थता की और दोनों राज्यों के बीच समझौता कराया तब इसका काम फिर से हो पाया और अब कुछ ही समय पहले बांध बनाने का काम आखिरकार खत्म हो गया और अब बांध बनकर तैयार है। अब जो पानी पाकिस्तान जा रहा था, उसका उपयोग अब जम्मू-कश्मीर के दो प्रमुख जिलों - कठुआ और सांबा में सिंचाई करने के लिए किया जाएगा। 1150 क्यूसेक पानी से अब केंद्र शासित प्रदेश की 32,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी और बांध से पैदा होने वाली पनबिजली का 20 फीसदी हिस्सा जम्मू-कश्मीर को भी मिल सकेगा।.

बता दें कि 55.5 मीटर ऊंचा शाहपुरकंडी बांध एक बहुउद्देश्यीय नदी घाटी परियोजना का हिस्सा है जिसमें 206 मेगावाट की कुल स्थापित क्षमता वाली दो जल विद्युत परियोजनाएं शामिल हैं। यह रंजीत सागर बांध परियोजना से 11 किमी नीचे रावी नदी पर बनाया गया है। बांध के पानी से जम्मू-कश्मीर के अलावा पंजाब और राजस्थान को भी मदद मिलेगी।

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