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Pakistan Floods: बाढ़ से बेहाल पाकिस्तान, मदद के लिए आगे आया दक्षिण अफ्रीका, बेघर लोगों के लिए भेजा बांस का बना हुआ घर

Pakistan Floods: दक्षिण अफ्रीका का एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) पाकिस्तान के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को बांस से बने ऐसे घर मुहैया करा रहा है, जो बाढ़ और भूकंप का प्रकोप झेलने में सक्षम हैं।

Edited By: Shashi Rai @km_shashi
Updated on: September 22, 2022 14:46 IST
Pakistan Floods- India TV Hindi
Image Source : AP Pakistan Floods

Highlights

  • बाढ़ से बेहाल हुआ पाकिस्तान
  • बेघर हुए लोगों को मिला रहने के लिए बांस का घर
  • बांस का घर बाढ़ और भूकंप का प्रकोप झेलने में सक्षम

Pakistan Floods: दक्षिण अफ्रीका का एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) पाकिस्तान के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को बांस से बने ऐसे घर मुहैया करा रहा है, जो बाढ़ और भूकंप का प्रकोप झेलने में सक्षम हैं। एनजीओ ‘स्पिरिचुअल कॉर्ड्स’ की संस्थापक सफीया मूसा ने कहा कि बांस, चूना, मिट्टी और अन्य मजबूत-टिकाऊ सामग्री से बने घरों ने पाकिस्तान में हाल ही में आई विनाशकारी बाढ़ का प्रकोप झेल लिया, लेकिन मिट्टी की ईंटों से निर्मित ढांचे नष्ट हो गए। ‘स्पिरिचुअल कॉर्ड्स’ गरीबी और बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए पर्यावरण के अनुकूल टिकाऊ उपाय उपलब्ध कराने पर ध्यान केंद्रित करता है। मूसा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “पाकिस्तान में 2011 में आई बाढ़ के बाद जब हमने मदद का हाथ बढ़ाने का फैसला किया तो मैं पर्यावरण के अनुकूल टिकाऊ वास्तुकला को लेकर बहुत उत्सुक था। ईंटों की गुणवत्ता दोयम दर्जे की थी और मिट्टी के ईंटों से बने घर बाढ़ और भूकंप का प्रकोप झेलने में सक्षम नहीं थे। मैं लंबी अवधि का व्यावहारिक समाधान उपलब्ध कराना चाहता था।” 

ऐसे बना 'बांस' का घर

उन्होंने कहा, “ढाई साल की जांच-पड़ताल के बाद मैंने पाकिस्तान की पहली महिला वास्तुकार यास्मीन लारी को फोन किया। मैंने उनसे एक ऐसी प्रणाली के विकास में मदद देने का अनुरोध किया, जो पर्यावरण के अनुकूल हो और लोगों को आवासीय सुविधाएं मुहैया कराते हुए उससे कोई छेड़छाड़ न करे।” लारी लाहौर में मुगल बादशाह अकबर के शीश महल के पुनरुद्धार प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने पाया था कि शीश महल की दीवारों पर सदियों पहले चढ़ाई गई प्लास्टर की परत चूना, मिट्टी और अन्य टिकाऊ सामग्री से तैयार की गई थी। मूसा ने कहा, “यासमीन ने बांस की मदद से एक ढांचा बनाया, जिस पर इस मिश्रण के अलावा आंखों को सुकून पहुंचाने वाली और आसानी से उपलब्ध मिट्टी से प्लास्टर किया गया था। बांस स्वाभाविक रूप से पुन: पैदा होने वाली वस्तु है, इससे शून्य कार्बन उत्सर्जन होता है और यह तीन से पांच साल की अवधि में उगाया जा सकता है।” 

हम टेंट नहीं घर देते हैं: मूसा

उन्होंने कहा, “इस परिकल्पना के आधार पर हमने 2011 की बाढ़ से प्रभावित गांवों में घरों का निर्माण शुरू किया। धीरे-धीरे स्थानीय लोग इसमें शामिल होने लगे। महिलाएं दीवारों पर सुंदर कला उकेरने लगीं।” मूसा ने कहा, “हमने घरों में हैंडपंप और कुएं के जरिये पानी पहुंचाया। इसके बाद वहां शौचालय बनाए। अगले चरण में पर्यावरण के अनुकूल गैर-इलेक्ट्रिक चूल्हे तैयार किए गए।” पाकिस्तान में इस साल विनाशकारी बाढ़ के चलते हजारों लोगों के विस्थापित होने पर मूसा ने कहा, “हम उन्हें टेंट नहीं देते, हम उन्हें घर मुहैया कराते हैं।” 

हर महीने बनेंगे बांस के पांच हजार घर

पाकिस्तान सरकार और मुल्क में मौजूद एनजीओ बाढ़ और भूकंप का प्रकोप झेलने में सक्षम और घर बनाने के लिए ‘स्पिरिचुअल कॉर्ड्स’ के साथ साझेदारी करने की योजना बना रहे हैं। मूसा ने कहा, “हम हर महीने लगभग एक हजार घर बनाने के लिए पर्याप्त लोगों को प्रशिक्षित करने के वास्ते पांच अतिरिक्त केंद्र स्थापित करने जा रहे हैं। इन केंद्रों में प्रति माह पांच हजार घर बनाए जा सकेंगे।” उन्होंने बताया कि बांग्लादेश ने भी इस तरह के घर बनाने शुरू कर दिए हैं। 

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