इस्लामाबाद: पाकिस्तान अभी भी गरीबी, भुखमरी से उबर नहीं पा रहा है। महंगाई ने जनता की कमर तोड़ रखी है। पाकिस्तानियों को दो जून की रोटी नसीब होना मुश्किल हो गया है। दूसरी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने शहबाज शरीफ ने हालात को काबू में लाने के लिए खुद के वेतन नहीं लेना का ऐलान किया था। बाद में अपनी कैबिनेट को भी इसके लिए प्रेरित किया, लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तान की नैया डूबती दिख रही है। ऐसे में शहबाज शरीफ ने भारतीय फॉर्मूले पर चलने की योजना बनाई है।
गंभीर आर्थिक और सुरक्षा चुनौतियों से जूझ रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शनिवार को देश की आर्थिक स्थिति को बदलने का संकल्प लिया। उन्होंने सरकारी मीडिया को बताया कि सभी मंत्रालयों के साथ पांच साल की योजना को साझा किया गया है। बता दें कि भारत में लंबे समय से पंच वर्षीय योजना चलाई जाती रही है। इसीलिए नीति आयोग का गठन भी हुआ था। जिसे पहले योजना आयोग के नाम से जाना जाता था। रेडियो पाकिस्तान की एक रिपोर्ट के अनुसार शरीफ ने मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान सभी मंत्रालयों के साथ एक पांचवर्षीय योजना साझा की है, जिसमें उनके लिए लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।
पीएम शहबाज ने दिलाया पाकिस्तानियों को ये भरोसा
शरीफ ने इस महीने की शुरुआत में दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मंत्रालयों को इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए रणनीति बनानी होगी और प्रगति की नियमित समीक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा, ''हमें अपने खर्चों में कटौती करनी होगी और देश को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाना होगा।'' शरीफ ने कृषि और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में वृद्धि का संकल्प व्यक्त किया। उन्होंने भरोसा जताया कि वाणिज्य मंत्रालय मौजूदा सरकार के कार्यकाल में देश के निर्यात को दोगुना करने के लिए जरूरी कदम उठाएगा। (भाषा)