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काबुल में मौजूद तालिबान सरकार से पाकिस्तान को अधिक उम्मीद नहीं: एनएसए मोईद युसुफ

मोईद युसुफ ने कहा, संगठित आतंकवादी नेटवर्क अभी भी अफगानिस्तान में काम कर रहे हैं और अफगानिस्तान की ज़मीन का इस्तेमाल अभी भी पाकिस्तान के खिलाफ किया जा रहा है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : January 27, 2022 22:02 IST
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Image Source : TWITTER.COM/YUSUFMOEED पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद युसुफ।

Highlights

  • पाकिस्तान के एनएसए मोईद युसुफ ने कहा कि अफगानिस्तान में अभी भी संगठित आतंकवादी नेटवर्क सक्रिय हैं।
  • मोईद युसुफ ने कहा कि अफगानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल अभी भी पाकिस्तान के विरूद्ध हो रहा है।
  • अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से पाकिस्तान में कई आतंकवादी हमले हो चुके हैं।

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद युसुफ ने कहा है कि इस्लामाबाद काबुल में मौजूदा तालिबान सरकार को लेकर पूरी तरह आशावादी नहीं है क्योंकि युद्धग्रस्त देश में अभी भी संगठित आतंकवादी नेटवर्क सक्रिय हैं और अफगानिस्तान की भूमि का उपयोग अभी भी पाकिस्तान के विरूद्ध हो रहा है। मोईद युसुफ ने विदेश मामलों के लिए नेशनल असेंबली की स्थायी समिति को बृहस्पतिवार को अफगानिस्तान के मौजूदा हालात पर जानकारी देते हुए यह बात कही। उन्होंने प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) की अफगानिस्तान में मौजूदगी से पाकिस्तान को उत्पन्न हुए खतरे के बारे में भी बात की।

‘तालिबान सरकार को लेकर पूरी तरह आशावादी नहीं’

मोईद युसुफ ने कहा, ‘संगठित आतंकवादी नेटवर्क अभी भी अफगानिस्तान में काम कर रहे हैं और अफगानिस्तान की ज़मीन का इस्तेमाल अभी भी पाकिस्तान के खिलाफ किया जा रहा है।’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को लेकर पूरी तरह आशावादी नहीं है और तालिबान के सत्ता में आने से सभी समस्याओं के पूर्ण समाधान की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का यह बयान काफी अहम माना जा रहा है। अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से पाकिस्तान में कई आतंकवादी हमले हो चुके हैं।

टीटीपी ने पाकिस्तान सरकार के सामने रखीं कई शर्तें
पाकिस्तान को यह उम्मीद थी कि तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल इस्लामाबाद के खिलाफ गतिविधियों के लिए नहीं होगा। लेकिन तालिबान ने टीटीपी के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के बजाय, पाकिस्तान को उनके साथ बातचीत करने के लिए राजी किया, जो इस्लामाबाद ने इस उम्मीद के साथ किया कि अफगान तालिबान टीटीपी को वश में करने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करेगा। टीटीपी ने 9 नवंबर को एक महीने के संघर्ष विराम की घोषणा की और सख्त शर्तें पेश कीं, जिसमें उनके शरिया के नियमों को लागू करना और सभी हिरासत में लिए गए विद्रोहियों की रिहाई शामिल है।

टीटीपी ने सीजफायर आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया
पाकिस्तान की सरकार ने लोगों के विरोध के बाद मांगों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया इसके जवाब में TTP ने युद्ध विराम बढ़ाने से इनकार कर दिया। बता दें कि हाल ही में पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के पुलिस चीफ ने कहा था कि अफगानिस्तान में सक्रिय इस्लामिक स्टेट खुरासान (IS-K) ने TTP की तुलना में प्रांत की शांति और अखंडता के लिए कहीं अधिक बड़ा खतरा पैदा किया है। पिछले साल अगस्त में काबुल में तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान के कई शहरों में हमले तेज करने वाले IS-K ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पाकिस्तान के सुरक्षा अधिकारियों पर आतंकवादी हमलों को भी अंजाम दिया था।

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