
पेशावर: पाकिस्तान में अवैध रूप से रह रहे अफगान नागरिकों की वापसी की प्रक्रिया लगातार जारी है और 20 मार्च तक 8 लाख से अधिक लोगों को उनके देश वापस भेजा जा चुका है। एक अधिकारी ने इस बारे में जानकारी दी है। अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान सरकार ने 31 मार्च की समय सीमा तय की है जिसके तहत अवैध रूप से रह रहे लोगों और अफगान नागरिक कार्ड धारकों को देश छोड़ना होगा। इसी के तहत अब तक 8,74,282 अफगानों को पाकिस्तान से वापस भेजा गया है।
की जाएगी सख्त कानूनी कार्रवाई
सरकार ने यह कदम आतंकवाद से जुड़ी चिंताओं के चलते उठाया है। अधिकारी ने आश्वासन दिया कि इस प्रक्रिया में किसी के साथ दुर्व्यवहार नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान लौटने वाले लोगों के लिए भोजन और स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था पूरी की गई है। अधिकारी ने कहा कि तय समय सीमा के बाद पाकिस्तान में अवैध रूप से रह रहे लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
मानवाधिकार संगठनों का क्या है रुख
मार्च 31 की समय सीमा नजदीक आने के साथ, हजारों अफगान नागरिक अपने भविष्य को लेकर असमंजस में हैं। मानवाधिकार संगठनों ने इस निष्कासन नीति की आलोचना करते हुए कहा है कि यह महिलाओं और बच्चों सहित हजारों अफगान शरणार्थियों के लिए गंभीर संकट पैदा कर सकता है। यह फैसला पूरे क्षेत्र में मानवीय संकट पैदा कर सकता है।
यह भी जानें
पाकिस्तान में अवैध रूप से रह रहे लाखों लोगों के अलावा, लगभग 14.5 लाख अफगान नागरिक शरणार्थी के रूप में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग (यूएनएचसीआर) में पंजीकृत हैं। यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब पाकिस्तान में अवैध विदेशी नागरिकों की उपस्थिति को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं।
पाकिस्तान ने क्यों लिया फैसला
आतंकवाद
पाकिस्तान का कहना है कि आतंकवादी समूहों से देश को खतरा है। अवैध रूप से रह रहे लोग आतंकवाद-रोधी अभियानों में बाधा डालते हैं, खासकर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के खिलाफ। 2021 में तालिबान के अफगानिस्तान पर नियंत्रण के बाद, पाकिस्तान ने सीमा सुरक्षा कड़ी कर दी है।
आर्थिक कारण
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट से गुजर रही है। बढ़ती महंगाई, कर्ज और आर्थिक अस्थिरता के बीच सरकार का मानना है कि अवैध प्रवासियों को निष्कासित करने से आर्थिक बोझ कम होगा। अफगान शरणार्थियों की मौजूदगी से लोगों में असंतोष बढ़ा है।
सरकार पर है दबाव
अफगान शरणार्थियों को लेकर जनता में नाराजगी है, जिससे सरकार पर कड़े कदम उठाने का दबाव बना है। कई राजनीतिक दलों और स्थानीय नेताओं ने अफगान प्रवासियों को अपराध और बेरोजगारी बढ़ाने के लिए जिम्मेदार ठहराया है। (भाषा)
यह भी पढ़ें:
इंडोनेशिया में 3 भारतीयों को मिल सकती है मौत की सजा, जानें पूरा मामला