Pakistan News: पाई पाई को मोहताज पाकिस्तान का खजाना खाली हो गया है। देश की जनता भूख से मर रही है। पेट भरने के लिए जरूरी आटा पानी की जद्दोजहद ऐसी की भगदड़ मच रही है, लोग मर रहे हैं। देश की माली हालत रसातल में जा रही है। इन सबके बीच पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कटोरा लेकर कर्ज की भीख मांगने पर मजबूर होना पड़ा है। कई दोस्त देश ही उसे अब ठेंगा दिखाने लगे हैं। इसी बीच पाकिस्तान अपना देश चलाने के लिए तीन सबसे खास एअरपोर्ट को दूसरे देश के हाथों में सौंपने पर मजबूर हो गया है।
कंगाल पाकिस्तान जल्द ही अपने तीन प्रमुख हवाई अड्डों के संचालन को कतर के हाथों में सौंप सकता है। पाकिस्तानी सरकार ने इसके लिए प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। पाकिस्तान का मकसद हवाई अड्डों को अमीर देशों के हाथ में सौंपकर भुगतान संकट के गंभीर असंतुलन को दूर करना है। पाकिस्तान इसके जरिए बाहरी निवेश को भी आकर्षित करना चाहता है। पाकिस्तान के रेल मंत्री ख्वाजा साद रफीक ने खुलासा किया था कि इस्लामाबाद इस मुद्दे को लेकर कतर के साथ बातचीत कर रहा है। वह कराची, लाहौर और इस्लामाबाद हवाई अड्डों को आउटसोर्स करने के लिए संयुक्त अरब अमीरात से भी संपर्क करने की तैयारी में है।
विदेशी निवेश आकर्षित करना चाहता है पाकिस्तान
पाकिस्तान का दावा है कि इस कदम से हवाई अड्डों की सर्विस में सुधार होगा और देश में लंबे समय बाद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी आएगा। रफीक ने कहा कि इस्लामाबाद ने विश्व बैंक की सहायक कंपनी इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन की सेवाओं को भी लिया है, जिसने दर्जनों हाई अड्डों के लिए परामर्श प्रदान किया है। पाकिस्तान की शीर्ष आर्थिक संस्थना आर्थिक समन्वय समिति ‘ईसीसी‘ की बैठक में आउटसोर्सिंग प्रक्रिया के लिए लेन-देन सलाहकार के रूप में इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन के सलाहकार समझौते औपचारिक रूप से शामिल किया गया।
एयरपोर्ट के बदले क्या.क्या चाहता है पाकिस्तान
पाकिस्तानी वित्त मंत्रालय ने कहा कि बैठक में शामिल पक्षों को बताया गया कि एक प्रतिस्पर्धी और पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से निजी निवेशकों हवाई अड्डों के संचालकों को शामिल करने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी के दायरे में तीन हवाई अड्डों की आउटसोर्सिंग शुरू की गई है। बयान में कहा गया है कि निवेशकों और हवाई अड्डे के संचालकों को हवाई अड्डों को चलाने संबंधित भूमि संपत्तियों को विकसित करने और कॉमर्शियल गतिविधियों के लिए रास्ता बनाने और उनसे कमाई करने की आवश्यकता होगी।
कंगाली की दहलीज पर खड़ा है पाकिस्तान
पाकिस्तान ने यह कदम आर्थिक संकट के बीच उठाया है। वह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ रुकी हुई 6.5 बिलियन डॉलर के डेब्ट प्रोग्राम में से 1.1 बिलियन डॉलर की धनराशि की मांग कर रहा है। हालांकि आईएमएफ ने इसके लिए पाकिस्तान के सामने कई कड़ी शर्तों में फंसा दिया है। यदि पाकिस्ताना ये शर्तें पूरी करेगा, तभी उसे कर्ज मिल सकेगा।
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