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Explainer: भारत को अकड़ दिखाने के बाद झुका पाकिस्तान, आखिर बिलावल के भारत आने के क्या हैं 4 अहम कारण?

12 साल बाद ये पहला मौका है जब पड़ोसी देश पाकिस्तान को कोई विदेश मंत्री भारत की यात्रा पर है। इससे पहले 2011 में पाकिस्तान की तत्कालीन विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार भारत के दौरे पर आईं थीं।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published : May 04, 2023 16:02 IST, Updated : May 04, 2023 16:26 IST
भारत को अकड़ दिखाने के बाद झुका पाकिस्तान, आखिर बिलावल के भारत आने के क्या है 4 अहम कारण?
Image Source : PTI भारत को अकड़ दिखाने के बाद झुका पाकिस्तान, आखिर बिलावल के भारत आने के क्या है 4 अहम कारण?

Bilawal Bhutto: पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भारत में होने वाले एससीओ समिट में भाग लेने के लिए भारत आ चुके हैं। भारत को गीदड़ भभकी देने वाले पाकिस्तान के साथ ऐसा क्या हुआ कि अचानक विदेश मंत्री स्तर का व्यक्ति भारत की यात्रा करता है। क्योंकि 12 साल बाद ये पहला मौका है जब पड़ोसी देश पाकिस्तान को कोई विदेश मंत्री भारत की यात्रा पर है। इससे पहले 2011 में पाकिस्तान की तत्कालीन विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार भारत के दौरे पर आईं थीं। 

हालांकि भुट्टो की भारत यात्रा से पहले ही भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान के साथ किसी भी स्तर की द्विपक्षीय बातचीत नहीं होगी। दरअसल, भारत और पाकिस्तान के रिश्ते हाल के वर्षों में काफी तल्ख रहे हैं। इसकी बड़ी वजह भी पाकिस्तान है। क्योंकि 2019 में पुलवामा अटैक करने के बाद पाकिस्तान पर भारत ने जवाबी कार्रवाई की। बालाकोट जाकर एयरस्ट्राइक किया। इसके बाद से दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे। इसके बाद भारत से रिश्ते और खराब तब हुए जब भारत ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया। तब से पाकिस्तान ने भारत के साथ राजनयिक और कारोबारी रिश्ते तोड़ लिए थे। इसका हालांकि भारत को कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा। लेकिन पाकिस्तान की कमर टूट गई। कंगाल पाकिस्तान की आवाम खुद कह रही है कि यदि भारत से अच्छे संबंध होते तो आटा, और दूसरी मूलभूत आवश्यकताओं की वस्तुएं भारत से आ जातीं। लेकिन भूखों मरने वाले देश पाकिस्तान की इस हालत के पीछे भी पाकिस्तान के हुक्मरान हैं। 

बिलावल भुट्टो की भारत यात्रा के क्या हैं मायने?

1. कंगाल पाकिस्तान पर वैश्विक कूटनीतिक दबाव

पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने कुछ महीने पहले ही एक अरबी टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में भारत से बातचीत के लिए तैयार होने की बात कही थी। भारत से रिश्ते सुधारने के लिए उन्होंने बाकायदा संकेत दिए थे। लेकिन बाद में जब प्रेशर आया तो अपने बयान पर स्पष्टीकरण देने लगे थे। लेकिन पाकिस्तान के मन में यह जरूर है कि यदि पाकिस्तान की कंगाली हालत में यदि कोई काम आ सकता है तो वो खुद उसका पड़ोसी देश भारत है। लेकिन जब खुद ही संबंध तोड़ रखें हों तो किस मुंह से रिश्ते सुधारने की बात कहें। ऐसे में जब एससीओ समिट के लिए समिट के प्रोटोकॉल के तहत पाकिस्तान के विदेश मंत्री को न्योता दिया गया, तो उन्होंने आने में देर नहीं की। हालांकि हिना रब्बानी खार ने बिलावल की यात्रा से पहले यह लीपापोती करने की कोशिश की कि समिट के प्रोटोकॉल के तहत बहुपक्षीय वार्ता के कारण बिलावल समिट अटैंड करने भारत आ रहे हैं। 

2. एससीओ समिट के प्रोटोकॉल से बंधा होना

विशेषज्ञों के अनुसार इसका एक कारण यह भी है कि जब भारत और पाकिस्तान ने 2017 में एससीओ ज्वाइन किया था, तब एक शर्त ये थी कि दोनों देश द्विपक्षीय मुद्दों को अलग रखकर बहुपक्षीय हित देखेंगे और पाकिस्तान उसी का पालन कर रहा है। विशेषज्ञ कहते हैं कि दोनों ही देश एससीओ को काफी महत्व देते हैं। पाकिस्तान की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने भी बिलावल भुट्टो के भारत आने की घोषणा करते हुए कहा था, ‘एससीओ की मीटिंग में शामिल होने का फैसला ये दिखाता है कि पाकिस्तान एससीओ के चार्टर को लेकर कितना प्रतिबद्ध है। इससे यह भी पता चलता है कि पाकिस्तान अपनी विदेश नीति में इस क्षेत्र को कितनी प्राथमिकता देता है।‘

3. एससीओ समिट में अपना हित ढूंढता है पाकिस्तान

एक और कारण यह है कि  एससीओ से पाकिस्तान के हित गहरे रूप से जुड़े हुए हैं। ऐसे में वह भारत के बुलावे के बावजूद बैठक का बहिष्कार करके विश्व समुदाय को अपनी नकारात्मक छवि नहीं पेश करना चाहता था। नहीं तो पाकिस्तान जो कि पहले ही वैश्विक समुदाय से अलग थलग सा है, वह वैश्विक कूटनीति में और अलग थलग होता।  

4. चीन और रूस के समकक्षों से मुलाकात का मौका

पाकिस्तान को यह मालूम है कि एससीओ समिट के बहाने वह भारत से नहीं तो कम से कम चीन के विदेश मंत्री छिन कांग और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से तो मुलाकात कर ही सकता है। इसलिए शहबाज सरकार के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भारत की यात्रा पर आए हैं। 

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