इस्लामाबाद: अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब पाकिस्तान खुद को तालिबान के आका के तौर पर देखा करता था। यह भी सच है कि इस्लामाबाद ने तालिबान को अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज करने में काफी मदद की थी। पाकिस्तान को लगता था कि तालिबान के ताकतवर होने से वह कश्मीर में भारत को चोट पहुंचा सकता है, लेकिन उसकी सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया। हालात इस कदर बदल गए हैं कि पाकिस्तान आज तालिबान के सामने गिड़गिड़ा रहा है कि किसी तरह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को आतंकी हमले रोकने के लिए कहे।
‘बातचीत से मसले को सुलझाए पाकिस्तान’
बता दें कि हाल के महीनों में देश में प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी कि TTP की आतंकवादी गतिविधियां बढ़ने के बाद पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से इस खतरे को समाप्त करने का आग्रह किया है। वहीं, दूसरी तरफ तालिबान का कहना है कि TTP से जुड़े किसी भी मसले को बातचीत से सुलझाया जाए। पाकिस्तान ने अफगान तालिबान के कहने पर TTP से शांति वार्ता शुरू की है। शुरुआत में बातचीत से कुछ नतीजा भी निकला था, क्योंकि TTP अपने कुछ सदस्यों की पाकिस्तान वापसी के एवज में संघर्ष विराम के लिए मान गया था।
अपने पुराने रंग में वापस आया TTP
लेकिन कुछ महीने बाद ही TTP एक बार फिर अपने पुराने रंग में आ गया। इसके द्वारा सुरक्षा अधिकारियों को निशाना बनाए जाने और हाल के महीने में लगातार हो रहे हमलों के बाद यह सीजफायर खत्म हो गया है। पिछले 3 महीनों में पाकिस्तान में शरिया कानून लागू करने की मंशा रखने वाले TTP ने 150 से ज्यादा आतंकवादी हमलों की जिम्मेदारी ली है। देश में लगातार हो रहे हमलों के कारण पाकिस्तान का असैन्य और सैन्य नेतृत्व अफगानिस्तान से उसकी नीति की समीक्षा करने को कह रहा है। माना जाता है कि TTP को तालिबान का समर्थन है, और वह उस पर दबाव नहीं बनाना चाहता।
TTP के जरिए नकेल कसने की कोशिश?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि तालिबान आसानी से TTP के जरिए पाकिस्तान को घुटनों पर ला सकता है। पिछले कुछ महीनों में TTP ने जिस तरह पाकिस्तान पर हमले किए हैं, उनसे पता चलता है कि उसके पास न तो हथियारों की कमी है और न ही लड़ाकों की। ऐसे में पाकिस्तान के लिए आने वाले दिन मुश्किल भरे हो सकते हैं। तालिबान ने पाकिस्तान की अफगानिस्तान में घुसकर आतंकियों पर हमला करने की चेतावनी पर भी करारा पलटवार किया था, और इससे पता चलता है कि दोनों देशों के रिश्तों में कुछ भी सामान्य नहीं रह गया है।
पाकिस्तान के सामने हैं तमाम मुश्किलें
कई एक्सपर्ट्स का तो यहां तक मानना है कि आने वाले दिनों में पाकिस्तान और तालिबान के बीच संघर्ष हो सकता है। दरअसल, तालिबान की नजर पाकिस्तान के पश्तून बहुल इलाकों पर है, और इन इलाकों में रहने वाले तमाम पश्तून भी पाकिस्तान की सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते रहे हैं। ऐसे में पाकिस्तान के लिए न सिर्फ आतंकवाद से निपटना एक बड़ी चुनौती है, बल्कि उसे अपने इलाकों को एकजुट रखने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है। देखा जाए तो आतंकवाद के जिस भस्मासुर को पाकिस्तान ने खड़ा किया था, आज वह उसी को खत्म करने के लिए आगे बढ़ रहा है।