Highlights
- पाकिस्तान में इमरान सरकार गिरी, शाहबाज का पीएम बनना तय
- इमरान सरकार गिरने पर चीन, भारत, अमेरिका और अफगानिस्तान पर पड़ेगा असर
- नई सरकार का भारत और अमेरिका के प्रति सुधर सकता है रवैया
इस्लामाबाद: पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार गिर चुकी है और नए पीएम पद की रेस में शाहबाज शरीफ का नाम सबसे आगे चल रहा है। शाहबाज पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के मौजूदा अध्यक्ष हैं और पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ के भाई हैं। इस बीच ये चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं कि क्या पाकिस्तान में हो रही सियासी हलचल का दुनिया पर भी कोई फर्क पड़ेगा?
चर्चाओं का बाजार इसलिए भी गरम है क्योंकि 220 मिलियन से अधिक जनसंख्या वाला पाकिस्तान पश्चिम में अफगानिस्तान, उत्तर पूर्व में चीन और पूर्व में भारत के बीच स्थित है, जो इसे रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण बनाता है।
साल 2018 में जब से इमरान खान पाकिस्तान की सत्ता पर काबिज हुए हैं, तब से उन्होंने अमेरिका के खिलाफ निराशा से भरा रवैया स्पष्ट किया है और चीन से नजदीकियों को उन्होंने काफी महत्व दिया है। हालही में इमरान ने रूस के साथ भी नजदीकियां बढ़ाईं और रूस-यूक्रेन टेंशन के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की।
हालांकि विदेश मामलों के विशेषज्ञ ये मानते हैं कि पाकिस्तान में सेना ज्यादा शक्तिशाली है, जोकि पाक की विदेश और रक्षा नीति को नियंत्रित करती है, ऐसे में पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता का दूसरे देशों पर प्रभाव बहुत सीमित ही पड़ेगा। फिर भी इन देशों को लेकर पाकिस्तान की नीति को समझना जरूरी है।
भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
परमाणु हथियारों से लैस पाकिस्तान ने 1947 में आजादी के बाद से तीन युद्ध लड़े हैं, उनमें से दो युद्ध कश्मीर के विवादित मुस्लिम-बाहुल्य वाले क्षेत्र के लिए लड़े गए हैं। लेकिन पाकिस्तान हर बार भारत से पटखनी खाता रहा है। हालांकि जब से इमरान खान की सरकार पाकिस्तान में आई, तब से दोनों देशों के बीच कई सालों से कोई औपचारिक राजनयिक वार्ता नहीं हुई है। इसकी एक वजह ये भी है कि इमरान खान, भारत के पीएम नरेंद्र मोदी की काफी आलोचना करते रहे हैं। हालही में एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि पाकिस्तान में अगर नई सरकार बनती है तो पाक सेना उस सरकार पर कश्मीर में सफल सीजफायर को लेकर प्रेशर डाल सकती है। पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने हालही में कहा भी था कि अगर भारत सहमत होता है तो उनका देश कश्मीर पर आगे बढ़ने को तैयार है।
अफगानिस्तान पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत है और तालिबान पैसे की कमी से जूझ रहा है। हालांकि कतर उसकी मदद कर रहा है लेकिन बीते कुछ सालों में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों और तालिबान (इस्लामी आतंकी) के बीच संबंध कुछ कमजोर हो गए हैं। पाक सेना और तालिबान के बीच तनाव है क्योंकि पाक ने अपनी सीमा पर अपने कई सैनिक खोए हैं। इसलिए पाकिस्तान चाहता है कि इन चरमपंथियों पर नकेस कसना बहुत जरूरी है क्योंकि ये आगे चलकर पाकिस्तान में तबाही मचाएंगे। वहीं इमरान खान ने दूसरे विदेशी नेताओं की तुलना में तालिबान के खिलाफ कम आलोचना की है।
अमेरिका पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान का राजनीतिक संकट अमेरिका के लिए बहुत प्राथमिक नहीं है। हालांकि अगर पाकिस्तान, भारत के साथ अशांति बढ़ाता है तो इसका प्रभाव अमेरिका पर पड़ सकता है। विशेषज्ञ ये भी मानते हैं कि इमरान खान का राजनीतिक संकट अमेरिका के लिए कोई परेशानी नहीं बन सकता क्योंकि विदेश और सुरक्षा नीतियों पर परदे के पीछे से नियंत्रण पाक सेना रखती है। इसके अलावा जानकार ये मानते हैं कि पाकिस्तान में अगर नई सरकार बनती है तो उसके अमेरिका से रिश्ते सुधर सकते हैं। जबकि इमरान खान की मास्को यात्रा तो एक राजनीतिक आपदा की तरह रही है।
चीन पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
इमरान खान अपने कार्यकाल के दौरान चीन के साथ पाकिस्तान के संबंधों पर बहुत जोर देते रहे हैं और उन्होंने कई बार दुनिया में चीन की सकारात्मक भूमिका पर भी जोर दिया। 60 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को भी भुलाया नहीं जा सकता है। ऐसे में जब पाकिस्तान में सरकार बदलेगी तो उसका चीन के प्रति रवैया दुनियाभर के लिए एक बड़ी खबर बनेगा। ऐसा इसलिए भी है कि पाकिस्तान में शाहबाज के पीएम बनने को लेकर चर्चा है। अगर वह पीएम बने तो उनकी विदेश नीति और राजनीति में वह किसको चुनेंगे, यह तो वक्त ही बताएगा।