Wednesday, October 16, 2024
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पाकिस्तान ने SCO सम्मेलन में फिर गाया चीन के "OBOR" का गीत, भारत ने किया कड़ा विरोध

पाकिस्तान ने एससीओ शिखर सम्मेलन में चीन के बीआरआई यानि ओबीओआर का समर्थन किया है। मगर भारत ने इसे पीओके क्षेत्र में बनने के कारण क्षेत्रीय अखंडता और प्रभुता के खिलाफ बताते हुए खारिज कर दिया है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: October 16, 2024 20:09 IST
इस्लामाबाद में एससीओ शिखर वार्ता में बोलते विदेश मंत्री एस जयशंकर। - India TV Hindi
Image Source : PTI इस्लामाबाद में एससीओ शिखर वार्ता में बोलते विदेश मंत्री एस जयशंकर।

इस्लामाबादः संघाई शिखर सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन में पाकिस्तान ने जहां एक बार फिर चीन की ‘वन बेल्ट वन रोड’ (ओबीओआर) परियोजना को बेहतरीन बताते हुए उसकी सिफारिश की तो वहीं हमेशा की तरह भारत ने इसका कड़ा प्रतिरोध किया। भारत ने चीन की महत्वाकांक्षी ‘वन बेल्ट वन रोड’ (ओबीओआर) पहल का समर्थन करने से इनकार कर दिया। इसके साथ ही भारत शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का एकमात्र देश बन गया है, जिसने इस विवादास्पद संपर्क परियोजना का समर्थन नहीं किया है।

बता दें कि ओबीओआर परियोजना में तथाकथित चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) शामिल है जो कश्मीर के, पाकिस्तान के कब्जे वाले हिस्से से होकर गुजरता है। इस्लामाबाद द्वारा आयोजित एससीओ के शासनाध्यक्ष परिषद के सम्मेलन के अंत में जारी एक संयुक्त विज्ञप्ति में कहा गया कि रूस, बेलारूस, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान ने चीनी संपर्क पहल के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की। इसमें कहा गया कि देशों ने परियोजना के कार्यान्वयन पर चल रहे कार्य पर ध्यान दिया, जिसमें यूरेशियाई आर्थिक संघ को ओबीओआर से जोड़ने के प्रयास भी शामिल हैं। भारत पिछले एससीओ सम्मेलनों में भी ओबीओआर का समर्थन करने से इनकार करता रहा है।

बीआरआई नाम बदलकर कर दिया ओबीओआर

चीन ने बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) का नाम बदलकर ओबीओआर कर दिया है। हालांकि भारत पहले से ही इसकी कड़ी आलोचना करता रहा है, क्योंकि इस परियोजना में तथाकथित चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) शामिल है जो कश्मीर के, पाकिस्तान के कब्जे वाले हिस्से से होकर गुजरता है। ओबीओआर के विरुद्ध वैश्विक आलोचना बढ़ रही है, क्योंकि इस पहल से संबंधित परियोजनाओं को क्रियान्वित करते हुए अनेक देश ऋण के बोझ तले दबे हुए हैं। एससीओ सम्मेलन में अपने संबोधन में विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा, “ऋण एक गंभीर चिंता का विषय है” लेकिन उन्होंने इस बारे में अधिक जानकारी नहीं दी। उन्होंने कहा, “सहयोगात्मक संपर्क से नयी क्षमताएं पैदा हो सकती हैं।”

पाकिस्तान-चीन ने संयुक्त विज्ञप्ति में क्या कहा?

संयुक्त विज्ञप्ति में कहा गया कि प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों ने एससीओ, यूरेशियाई आर्थिक संघ, दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ के साथ-साथ अन्य इच्छुक राष्ट्रों और बहुपक्षीय संघों की भागीदारी के साथ ‘बृहत यूरेशियाई साझेदारी’ बनाने के प्रस्ताव पर ध्यान दिया। इसमें कहा गया है, “प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों ने एससीओ क्षेत्र में स्थिर आर्थिक और सामाजिक विकास सुनिश्चित करने की अपनी इच्छा की पुष्टि करते हुए 2030 तक की अवधि के लिए एससीओ आर्थिक विकास रणनीति और एससीओ सदस्य देशों के बहुपक्षीय व्यापार और आर्थिक सहयोग के कार्यक्रम को लागू करने के महत्व पर ध्यान दिया।” इसमें कहा गया, “उन्होंने संबंधित कार्य योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए प्रासंगिक सहयोग के तंत्र के माध्यम से समन्वित प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया।” एससीओ सम्मेलन की अध्यक्षता पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने की। भारत के विदेश मंत्री एस.

जयशंकर के अलावा बेलारूस के प्रधानमंत्री रोमन गोलोवचेंको, चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग, रूस के प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्टिन, ईरान के प्रथम उपराष्ट्रपति मोहम्मद रजा अरेफ, कजाखस्तान के प्रधानमंत्री ओल्जास बेक्तेनोव, किर्गिज मंत्रिमंडल के प्रमुख अकिलबेक जापारोव, मंगोलिया के प्रधानमंत्री ओयुन-एर्डीन लवसन्नामसराय, ताजिकिस्तान के प्रधानमंत्री कोहिर रसूलजोदा, तुर्कमेनिस्तान के उप सभापति राशिद मेरेडोव और उज्बेकिस्तान के प्रधानमंत्री अब्दुल्ला अरिपोव इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। (भाषा)

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