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नेपाल के भूस्खलन बस हादसे में अब तक बरामद हो सके सिर्फ 19 शव, कई दर्जन लोगों का नहीं चल सका पता

नेपाल के भूस्खलन हादसे में लापता हुए लोगों में से अब तक 19 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं। काफी लोगों के शव 100 किलोमीटर दूर तक बह गए थे। लगातार सर्च ऑपरेशन चलाकर हताहत हुए लोगों की तलाश की जा रही है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: July 18, 2024 15:42 IST
नेपाल बस हादसे की फोटो। - India TV Hindi
Image Source : AP नेपाल बस हादसे की फोटो।

काठमांडू: नेपाल के चितवन जिले में पिछले सप्ताह दो बसों के भूस्खलन के मलबे के साथ नदी में बहने के बाद बचावकर्मियों ने अब तक 19 शव बरामद किए हैं, जिनमें चार भारतीय भी शामिल हैं। सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। भूस्खलन की यह घटना शुक्रवार को चितवन जिले के नारायणघाट-मुगलिंग मार्ग पर सिमलताल इलाके में हुई थी। 54 लोगों में से तीन लोग घटना के तुरंत बाद तैरकर सुरक्षित निकल गए। बीरगंज से काठमांडू जा रही पहली बस में सात भारतीय नागरिकों समेत 24 यात्री थे। काठमांडू से गौर जा रही दूसरी बस में 30 लोग सवार थे।

भारी भूस्खलन की वजह से दोनों बसें त्रिशूली नदी में गिर गई थीं। दोनों बसों से जुड़े हादसे में दुर्घटना स्थल से अब तक 19 लोगों के शव बरामद किए गए हैं। सशस्त्र पुलिस बल (एसएसबी) के सूत्रों के अनुसार, 19 में से चार शव भारतीय नागरिकों के हैं। पांच पुरुष शवों की अभी तक पहचान नहीं हुई है। पुलिस के अनुसार नेपाल के स्थानीय अधिकारी बचाव कार्य के लिए बिहार और उत्तर प्रदेश के भारतीय अधिकारियों के साथ समन्वय बना रहे हैं। खोज और बचाव कार्य बृहस्पतिवार को भी जारी रहा। बुधवार को चले अभियान के दौरान 27 वर्षीय भारतीय नागरिक विवेक कुमार का शव बरामद किया गया।

100 किलोमीटर दूर तक बहे शव

इससे पहले ऋषि पाल शाह (28), जय प्रकाश ठाकुर (30) और सज्जाद अंसारी (23) समेत कुल तीन शव बरामद किए गए। अधिकारियों ने बचाव कार्यों में सहायता के लिए उच्च गुणवत्ता वाले सोनार कैमरे, शक्तिशाली चुंबक और जल ड्रोन का उपयोग किया। दोनों बसों में सवार यात्रियों के शव त्रिशूली नदी में 100 किलोमीटर दूर तक बह गए। पहाड़ी इलाकों की वजह से नेपाल की नदियों का बहाव आम तौर पर तेज होता है। पिछले कुछ दिनों में हुई भारी बारिश के कारण जलमार्ग भी उफान पर हैं और कीचड़ तथा मलबे की वजह से उनका पानी का रंग गहरा भूरा हो गया है, जिससे मलबे को देख पाना और भी मुश्किल हो गया है। मानसून के मौसम में जून से सितंबर तक नेपाल में भारी बारिश होती है, जिससे अक्सर इस पर्वतीय हिमालयी देश में भूस्खलन की घटनाएं होती हैं। (भाषा) 

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