Russia-Saudi Arab: तेल की दुनिया में सऊदी अरब का शुरू से ही दबदबा रहा है। लेकिन यह बादशाहत अब खतरे में जाती दिख रही है। क्योंकि यूक्रेन से जंग के बाद रूस धड़ल्ले से दुनिया के उन देशों को सस्ती कीमत में कच्चा तेल बेच रहा है, जो सऊदी अरब से महंगे दामों पर तेल खरीदने के लिए मजबूर थे। अपने ग्राहकों को टूटता और रूस की ओर जाता देख सऊदी अरब बौखला गया है।
रूस जिसका वर्चस्व तेल की दुनिया में आज से नहीं बल्कि 1930 के दशक से रहा है, जब तेल के भंडारों की खोज की गई थी। लेकिन अचानक परिस्थितियां बदली हैं। सऊदी अरब को अब रूस से ऑयल मार्केट में कड़ी टक्कर मिल रही है।
सऊदी अरब को रूस से क्यों मिल रही प्रतिस्पर्धा?
रूस के पास तेल का अकूत भंडार है, लेकिन जब यूक्रेन से जंग हुई और अमेरिका व पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए। उसके बाद से ही रूस सस्ती दरों पर भारत, चीन जैसे दुनिया के सबसे बड़ी आबादी वाले देशों को धड़ल्ले से कच्चा तेल बेच रहा है। आबादी अधिक होने के कारण इन दोनों देशों में तेल की खपत सबसे ज्यादा है। 'ब्लूमबर्ग' की एक रिपोर्ट में भी कहा गया है कि रूस जिस तरह से एशियाई के ऑइल मार्केट में अपना कब्जा जमा रहा है, वह वह सीधेतौर पर सऊदी अरब के लिए खतरे की घंटी है।
छोटे तेल विक्रेताओं को धमका रहा है सऊदी अरब
सऊदी अरब पिछले कुछ दिनों से छोटे-मोटे तेल विक्रेताओं को कम कीमत में तेल नहीं बेचने की चेतावनी दे रहा है। सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री अब्दुलअजीज बिन सलमान ने मंगलवार को भी शॉर्ट सेलर्स को आर्थिक चोट की चेतावनी दी है। हालांकि यह नहीं मालूम चल सका है कि कम कीमत पर तेल बेचने वाले देशों पर क्या कार्रवाई होगी। इस चेतावनी के बाद सऊदी तेल के दाम में थोड़ी तेजी भी आई है। विशेषज्ञ कहते हैं कि सऊदी अरब को इन शॉर्ट-सेलर्स की तुलना में रूस पर अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
तेल के 'खेल' में रूस बना सऊदी अरब के लिए खतरा
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार असली मुद्दा तो यह है कि क्या सऊदी अरब एशियाई देशों को तेल बेचने से रूस को रोक सकता है? क्योंकि रूस जो कर रहा है, वह सऊदी अरब के लिए खतरा है। रूस अपना तेल एशियाई देशों को कम दाम में बेच रहा है, जो एशिया के प्रमुख तेल निर्यातक देश सऊदी अरब के तेल की प्रीमियम कीमत को कम कर रहा है।
रूस ने ऐसे दिया अरब को झटका
जंग से पहले भारत ऑयल मार्केट में रूस का योगदान केवल 1 फीसदी था। लेकिन जंग के बादसे भारत 80 फीसदी तेल रूस से खरीद रहा है और इराक और अरब की बजाय रूस पिछले 7 महीने से नंबर एक पर पहुंच गया है।