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भारत में बनेंगी न्यूक्लियर सबमरीन, मोदी सरकार के इस खास प्लान से होगी समंदर में चीन की घेराबंदी

भारत अपनी नौसेना को अधिक से अधिक मजबूत करने की दिशा में बड़े कदम उठा बढ़ा रहा है। इसी क्रम में दो स्वदेशी परमाणु पनडुब्बियां भारत में बनने जा रही है। इन पनडुब्बियों के नौसेना में शामिल होने से इंडियन ओशन रीजन में भारत की ताकत में इजाफा होगा।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Published on: October 14, 2024 13:52 IST
Nuclear Submarine- India TV Hindi
Image Source : PTI Nuclear Submarine

Nuclear Submarines: इंडियन ओशन रीजन (IOR) में चीन बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए भारत ने पनडुब्बी डिटरेंस को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। भारत सरकार की CCS यानी प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने दो स्वदेशी परमाणु पनडुब्बियों को बनाने की अनुमति दे दी है। इससे भारतीय नौसेना की सामरिक और आक्रामक क्षमता में बढ़ोतरी होगी। इन पनडुब्बियों के बनने से नौसेना की ताकत हिंद महासागर क्षेत्र और दक्षिण चीन सागर में अधिक बढ़ जाएगी। इससे इस बात के संकेत भी मिले हैं कि भारत ने तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर वॉरशिप के बजाय पनडुब्बियों को प्राथमिकता दी है।

समंदर में बढ़ी है चीन की मौजूदगी

पनडुब्बियों को विशाखापट्टनम के शिप बिल्डिंग सेंटर में बनाया जाएगा। पनडुब्बियां 95 फीसदी तक स्वदेशी होंगी। ये पनडुब्बियां अरिहंत क्लास से अलग होंगी। इन्हें प्रोजेक्ट एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल के तहत बनाया जाएगा। भारत की तरफ से यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब इंडियन ओशन रीजन में हर महीने 7-8 चीनी नौसैनिक युद्धपोत और 3-4 अर्धसैनिक जहाज देखे जा सकते हैं और भविष्य में इनकी संख्या और बढ़ने की संभावना है। फिलहाल, चीनी निगरानी जहाज 'Xiang Yang Hong 3' चेन्नई तट के पास और बैलिस्टिक मिसाइल ट्रैकर 'Yuan Wang 7' मॉरीशस तट के पास देखे गए हैं।

Nuclear Submarine

Image Source : FILE
Nuclear Submarine

बढ़ेगी भारतीय नौसेना की ताकत

हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े लोगों ने विशेष रूप से दक्षिणी हिंद महासागर में पीएलए की गतिविधियों को रोकने और उसकी निगरानी करने के लिए परमाणु पनडुब्बियों को चुना है। अभी दो पनडुब्बियां बनेंगी, इसके बाद चार और बनाई जा सकती हैं। जबकि, भारत ने हाल ही में अपनी दूसरी SSBN यानी परमाणु पनडुब्बी INS अरिघात कमीशन की है। अगले साल भर के अंदर भारतीय नौसेना में अलग-अलग तरह के कई युद्धपोत और सबमरीन मिलने वाले हैं। इन जंगी जहाजों में फ्रिगेट्स, कॉर्वेट्स, डेस्ट्रॉयर्स, सबमरीन और सर्वे वेसल शामिल हैं। नौसेना में इनके शामिल होने से इंडियन ओशन रीजन में सुरक्षा का स्तर बढ़ जाएगा।

क्यों है न्यूक्लियर सबमरीन की जरूरत

न्यूक्लियर पावर्ड स्ट्राइक सबमरीन लंबे समय तक पानी के अंदर रह सकती है। चीन के पास पहले से ही 6 शांग क्लास की न्यूक्लियर सबमरीन हैं। भारत के लिए रूस से अकुला क्लास की न्यूक्लियर सबमरीन 2028 तक टल गई है। इंडियन ओशन रीजन में सर्विलांस बढ़ाने के लिए नेवी को इन सबमरीन की जरूरत है। यह समझना भी जरूरी है कि डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन को दिन में कम से कम एक बार बैटरी चार्च करने के लिए पानी की सतह पर लाना पड़ता है। इसी दौरान डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन पर अटैक किया जा सकता था। इसके अलावा वहीं, डीजल समबमरीन हवाई हमलों के लिए असुरक्षित हैं। एयर-इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन से लैस डीजल सबमरीन लंबे समय तक पानी के अंदर रह सकती हैं, लेकिन इन सबमरीन को जहाज पर मौजूद हथियारों के साथ-साथ गति से भी समझौता करना पड़ता है। 

India Nuclear Submarine

Image Source : FILE
India Nuclear Submarine

दुनिया का छठा न्यूक्लियर ट्रायड देश बना था भारत

अरिघात समुद्र के अंदर मिसाइल अटैक करने में उसी तरह सक्षम है, जिस तरह अरिहंत ने 14 अक्टूबर 2022 को टेस्टिंग की थी। तब अरिहंत से K-15 SLBM की सफल टेस्टिंग की गई थी। इसी के साथ भारत अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन के अलावा दुनिया का छठा न्यूक्लियर ट्रायड देश बन गया था।

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