भारत में चल रहे G20 सम्मेलन में विश्व के सभी देशों ने मनुष्यों, पशुओं और पर्यावरण के स्वास्थ्य के लिए “वन हेल्थ” दृष्टिकोण अपनाने का फैसला किया है। हैदराबाद में सम्मेलन के दौरान जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव को लेकर यहां जी20 के तीसरे स्वास्थ्य कार्य समूह की बैठक में चर्चा हुई। बैठक में सूक्ष्मजीवरोधी प्रतिरोध और “वन हेल्थ” कार्य ढांचे के नजरिये से प्रतिक्रिया को देखने की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया गया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यहां चार से छह जून तक हो रही बैठक में सोमवार को चर्चा की गई। भारत की जी20 अध्यक्षता स्वास्थ्य क्षेत्र में तीन प्राथमिकताओं पर केंद्रित है।
प्राथमिकताओं में से एक स्वास्थ्य आपातस्थिति रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया है, जिसमें सूक्ष्मजीवरोधी प्रतिरोध और ‘वन-हेल्थ’ कार्यढांचे पर ध्यान केंद्रित किया गया है। ‘वन-हेल्थ’ दृष्टिकोण मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के परस्पर संबंध को रेखांकित करता है। दूसरा सुरक्षित, प्रभावी और किफायती चिकित्सा प्रति-उपायों तक पहुंच और उपलब्धता पर ध्यान देने के साथ औषधि क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करना है। सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज में सहायता करने और स्वास्थ्य सेवा वितरण में सुधार के लिए डिजिटल स्वास्थ्य नवाचार और समाधान भी भारत की जी20 अध्यक्षता की प्राथमिकताओं में शामिल हैं।
दुनिया में नए संक्रमण का फैला डर
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ.वी.के.पॉल ने सोमवार को यहां जी20 स्वास्थ्य कार्यसमूह की बैठक के इतर कहा, “जलवायु परिवर्तन से संबंधित बदलावों के साथ, आज हम इस ग्रह पर जिस तरह से अपना जीवन जी रहे हैं उसे देखते हुए कुछ नए प्रकार की स्वास्थ्य आपात स्थितियों की आशंका है। ये नए संक्रमण या भौगोलिक क्षेत्रों में संक्रमण हो सकते हैं जहां ये पहले नहीं हुए थे। अन्य आपात स्थितियां अत्यधिक तापमान से जुड़ी या बाढ़ से उत्पन्न हो सकती हैं।” उन्होंने कहा, “जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य तथा मानव विकास व अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव एक बड़ा तथा बहु-आयामी मुद्दा है जो हम सभी के लिए चिंता की बात है।” उन्होंने कहा कि जी20 के भीतर, स्वास्थ्य कार्य समूह ‘वन-हेल्थ सिस्टम’ पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।