Highlights
- रूस और अमेरिका समेत पश्चिमी देशों से भारत के मजबूत संबंध
- स्वतंत्र विदेश नीति से भारत का बढ़ा दुनिया में दबदबा
- भारत की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रही पूरी दुनिया
Global Leader India: इन दिनों पूरी दुनिया में तीसरे विश्व युद्ध की आहट महसूस होने लगी है। रूस-यूक्रेन युद्ध, आर्मीनिया-अजर बैजान युद्ध, चीन-ताइवान का तनाव, अमेरिका-चीन के बीच तनाव, भारत-चीन में तनाव, रूस-अमेरिका का तनाव, भारत पाकिस्तान का तनाव, ईरान-ईराक का तनाव, उत्तर कोरिया-अमेरिका का तनाव इत्यादि ऐसे तमाम उदाहरण हैं जो दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध की तरफ धकेलने का इशारा कर रहे हैं।
ऐसे में पूरी दुनिया फिर से दूसरे विश्व युद्ध की तरह दो ध्रुवों में बंट चुकी है। पश्चिमी देश और पूर्वी देश। इसमें पश्चिमी देशों का नेतृत्व अमेरिका कर रहा है और पूर्वी देशों का नेतृत्व रूस। मगर इन सभी के बीच एक देश ऐसा भी है, जो किसी की लीडरशिप में नहीं है। बल्कि वह गुट निर्पेक्ष है, वर्ल्ड लीडर बनने की राह पर है और जिससे विश्व के दोनों ध्रुवों को आस है। वह है ग्लोबल लीडर हिंदुस्तान....
ग्लोबल लीडर बनने की राह पर भारत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत इन दिनों ग्लोबल लीडर की भूमिका में आ चुका है। पूरी दुनिया भारत की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रही है। चाहे अमेरिका और उसके नेतृत्व वाले पश्चिमी देश हों, रूस हो या उसके नेतृत्व वाले ईरान, चीन, उत्तर कोरिया इत्यादि देश हों अथवा अमेरिका के नेतृत्व वाले यूक्रेन, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, दक्षिण कोरिया, कनाडा, आस्ट्रेलिया इत्यादि देश हों। इन सभी को भारत से ही समस्या के समाधान की उम्मीद रह गई है। क्योंकि भारत का प्रभाव और संबंध विश्व के सभी देशों में बेहतर है। भारत एक ऐसा देश है, जो खुद को अलग रखकर चल रहा है। आज हिंदुस्तान में वो ताकत है कि उसको किसी के सहारे की जरूरत नहीं है, लेकिन बाकी पूरी दुनिया के देशों को किसी न किसी के सहारे की जरूरत है। भारत की अपनी स्वतंत्र विदेश नीति आत्मनिर्भरता की वजह से ही है।
ग्लोबल लीडर की ये हैं ताकतें
न्यू वर्ल्ड ऑर्डर या न्यू ऑर्डर इन द वर्ल्ड कहिये
लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी कहते हैं कि शंघाई शिखर सहयोग संघठन (एससीओ) में चीन और रूस के साथ ही भारत भी सबसे प्रभावशाली देशों में है। अब ईरान भी इसमें आया है। देखा जाए तो ईरान, रूस और चीन के बीच संबंध अच्छे हैं। मगर पश्चिमी देशों से इन तीनों के ही संबंध बेहद खराब हैं। सिर्फ भारत ही एक ऐसा देश जिसके संबंध, रूस , ईरान, अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ अच्छे हैं। ईरान और रूस से तो भारत का पारंपरिक संबंध है। मगर चीन और पाकिस्तान से हमारे संबंध नाजुक और तनावपूर्ण दौर में हैं। इसलिए पूरा विश्व हमारी ओर देख रहा है कि क्या भारत पूरे दुनिया को ऐसी परिस्थिति में कोई रास्ता दिखा सकता है?... इसका जवाब हां है। इसलिए इसे न्यू वर्ल्ड ऑर्डर या न्यू ऑर्डर इन द वर्ल्ड कहिये।
पीएम मोदी के करिश्माई नेतृत्व की दुनिया दिवानी
ले. जनरल कुलकर्णी कहते हैं कि आज के समय में पीएम मोदी का नेतृत्व बहुत ही करिश्माई है। जिस तरह से वह देश और दुनिया को लीड कर रहे हैं, उससे भारत की प्रतिष्ठा में जबरदस्त उछाल आया है। भारत आर्थिक रूप से पांचवें स्थान पर है। हो सकता है अगले कुछ वर्षों में तीसरे स्थान पर भी आ जाए। भारत ने अपनी सेना का आधुनिकीकरण किया है। देश की टेक्नॉलोजी में भी उछाल है। इसके अलावा हमारे पास 70 हजार स्टार्टअप और 100 यूनिकॉर्न सफल हुए हैं। हमारे कदम आत्मनिर्भरता की ओर हैं। इसलिए सब की निगाह भारत पर है।
चीन को अब हुआ भारत की ताकत का एहसास
चीन पहले यह मानता था कि भारत का झुकाव पश्चिमी देशों की ओर है और अमेरिका की ओर है, लेकिन यूक्रेन मामले पर उसने देखा कि भारत किसी से दबता नहीं है। वह तो अपने अस्तित्व और अपनी निर्पेक्षता के लिए है। भारत की अपनी स्वतंत्र विदेश नीति है। क्योंकि भारत में अकेले खड़े रहने की काबिलियत है। यह इस बात से भी साबित होता है कि अमेरिका के साथ भारत के संबंध कितने भी अच्छे क्यों न हों, लेकिन इस मामले में हम रूस के साथ दिखे। हमने कहा कि हम रूस के साथ हैं। अब चीन को लग रहा कि भारत में अपने आप को अकेले लेकर चलने की ताकत है। वह किसी का पिछलग्गू नहीं है। चीन यह भी देख रहा है कि इससे पूरा विश्व भी खुश है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का मजबूत दावेदार
पूरी दुनिया अब यह भी देख रही है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के अगले टॉप -5 देशों में भारत का नाम आ रहा है। क्योंकि युनाइटेड सिक्योरिटी काउंसिल से ब्रिटेन अब भारत से पीछे हो गया है। आने वाले समय में फ्रांस और जर्मनी भी भारत से पीछे होंगे। ऐसे में भारत को यूएनएससी में शामिल करने का दबाव बढ़ेगा। भारत को स्थायी सदस्यता मिलना तय है। इसलिए भी अभी से पूरे विश्व की नजरें भारत की ओर हैं। अब भारत विश्वगुरु की भूमिका में है। इसलिए दुनिया उम्मीद कर रही है कि विश्वगुरु होने के नाते वह सबको कोई रास्ता दिखाए।
एससीओ और क्वॉड दोनों में भारत बेहद प्रभावशाली
एससीओ शिखर सम्मेलन की अगले वर्ष भारत सिर्फ मेजबानी ही नहीं, बल्कि अध्यक्षता भी करने जा रहा है। इससे भारत की ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है। वह एससीओ में जितना प्रभावशाली है, उतना ही क्वॉडीलेट्रल सिक्योरिटी डॉयलॉग (क्वॉड) देशों में भी है। क्वॉड अमेरिका, भारत, जापान और आस्ट्रेलिया जैसे मजबूत देशों का संगठन है। इसकी छवि पश्चिम में बने नाटो देशों की तरह है। जिसमें न तो चीन शामिल है और न ही रूस। इससे भारत की अहमियत का अंदाजा लगाया जा सकता है। प्रधानमंत्री मोदी ने यह कहकर चीन जैसे दुश्मनों को और जला दिया कि क्वॉड ने इतने कम समय में पूरी दुनिया में जगह बना ली है। इसका स्वरूप अब बेहद व्यापक हो गया है। ऐसे में अब सभी को लग रहा है कि भारत विश्व को एक दिशा दिखा सकता है कि सबको एक दूसरे की जरूरत है। विस्तारवाद से समस्या हल नहीं होगी।
चीन और पाकिस्तान दोनों का होगा बुरा हाल
मौजूदा परिस्थितियों में जहां भारत विश्वगुरु बनने की राह पर है और दुनिया के सबसे ताकतवर देशों की भी उम्मीद बन गया है। वहीं दूसरी तरफ चीन रूस का पिछलग्गू देश बन गया है। ऐसे में चीन का रिश्ता पश्चिमी देशों से खराब हो रहा है। अब ऐसी स्थिति आएगी कि पश्चिमी देश चीन का सामान खरीदना बंद कर देंगे। इधर भारत भी चीन पर से निर्भरता को लगभग खत्म करने की ओर आगे बढ़ रहा है। तब चीन आर्थिक रूप से बेहद कमजोर हो जाएगा। इधर पाकिस्तान पहले से ही भिखारी देश बन चुका है। रही-सही कसर बाढ़ ने पूरी कर दी है। पाकिस्तान को अमेरिका और चीन कितनी भी मदद कर दें, लेकिन वह रोता ही रहेगा। चीन को भी दूसरे देशों के सामने गिड़गिड़ाना होगा। जबकि भारत पूरी दुनिया को दिशा दे रहा होगा।
तनाव कम करना मकसद
ले. जनरल कुलकर्णी कहते हैं कि भारत के लिए चीन पर विश्वास करना कठिन है। इसके बजाय हमें आत्मनिर्भर रहना होगा। हमें पश्चिमी देशों से भी संबंध अच्छे रखने होंगे। चीन को भी पश्चिमी देशों की जरूरत है। इसीलिए चीन को अब लग रहा है कि भारत के साथ संबंध अच्छे होने से पश्चिमी देश खुश होंगे। इससे चीन का अपना उल्लू भी सीधा होगा। क्योंकि वह उत्पादक देश है। उसके सामान को खरीदने के लिए पैसा उन्हीं पश्चिमी देशों के पास है। हिंदुस्तान भी चीन के लिए बड़ा बाजार है। मौजूदा समय में भारत के साथ चीन का 120 बिलियन डॉलर का ट्रेड है। इसलिए चीन का मकसद तनाव को कम करना हो गया है। भारत में अच्छी कानून व्यवस्था है। यह लोकतांत्रिक देश है। जबकि पूरी दुनिया में चीन, पाकिस्तान की छवि खराब है।
रूस की छवि भी पश्चिमी देशों में खराब है। अब अमेरिका रूस की आर्थिक स्थिति बर्बाद कर रहा है। रूस कुछ समय में कमजोर हो जाएगा। ऐसे में सबकी निगाहें पीएम मोदी पर टिकी हैं। इंडो-पैसिफिक में भी परेशानी आ रही है। इस वक्त भारत ऐसे मोड़ पर है कि इसी तरह अच्छी चाल चलता रहा तो इसे आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।