आयरलैंड, नॉर्वे और स्पेन की ओर से फलस्तीन को देश का दर्जा दिए जाने पर इजराइल भड़क गया है। इजराइल ने प्रतिक्रिया देते हुए आयरलैंड और नॉर्वे से अपने राजदूतों को वापस बुला लिया है। आयरिश प्रधानमंत्री साइमन हैरिस ने बुधवार को कहा कि यह स्पेन और नॉर्वे के साथ समन्वित कदम है, "आयरलैंड और फिलीस्तीन के लिए एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण दिन है।" उन्होंने कहा कि इस कदम का उद्देश्य दो-राज्य समाधान के माध्यम से इजरायल-फलस्तीनी संघर्ष को हल करने में मदद करना है।
'...पश्चिम एशिया में नहीं आएगी शांति'
नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनस गार स्तूर ने बुधवार को कहा कि उनका देश फलस्तीन को एक देश के तौर पर औपचारिक रूप से मान्यता दे रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर मान्यता नहीं दी गई तो पश्चिम एशिया में शांति स्थापित नहीं हो सकती।’’
यूरोपीय संघ के देशों ने दिए थे संकेत
यूरोपीय संघ के कई देशों ने पिछले कुछ हफ्तों में संकेत दिए थे कि वो फलस्तीन को मान्यता देने की योजना बना रहे हैं, उनकी दलील है कि क्षेत्र में शांति के लिए द्वि-राष्ट्र समाधान आवश्यक है। नॉर्वे इजराइल और फलस्तीन के बीच द्वि-राष्ट्र समाधान का कट्टर समर्थक रहा है। वह यूरोपीय संघ का सदस्य नहीं है लेकिन इस मुद्दे पर उसका रुख भी यूरोपीय संघ के अन्य सदस्यों के समान है। उन्होंने कहा, ‘‘हमास और आतंकवादी समूहों ने आतंक फैलाया है जो द्वि-राष्ट्र समाधान और इजराइल सरकार के समर्थक नहीं हैं।
स्पेन को दी गई चेतावनी
इजराइल के विदेश मंत्री काट्ज ने कहा कि फलस्तीन को देश का दर्जा दिए जाने से गाजा में इजराइल के बंधकों को वापस देश में लाने के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है। साथ ही 'हमास और ईरान के जिहादियों को पुरस्कृत करने' से संघर्ष विराम की संभावना कम हो जाएगी। काट्ज ने यह भी कहा कि स्पेन ने भी यही रुख अपनाया तो वहां से भी इजराइल के राजदूत को वापस बुला लिया जाएगा।
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