भारत की नई संसद को लेकर पहले देश में कुछ लोगों ने बवाल किया। कई राजनीतिक पार्टियों ने उद्घाटन का बहिष्कार किया। मगर अब विरोध की यह आग पड़ोसी देश नेपाल तक पहुंच गई है। अब आप सोच रहे होंगे कि भारत की नई संसद को लेकर नेपाल को क्या आपत्ति हो सकती है?...मगर यह सच है कि भारत की नई संसद को लेकर नेपाल में बवाल मच गया है। इसके विरोध में नेपाल की कई राजनीतिक पार्टियों ने बैठक भी कर डाली है और प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल को उनकी हाल में होने वाली भारत यात्रा के दौरान इस मुद्दे को उठाने की मांग की है। आइए अब आपको बताते हैं कि ऐसी क्या वजह है कि नेपाल में भारत की नई संसद को लेकर विरोध हो रहा है, क्या कारण है जो नेपाल में विवाद की वजह बन गया है?
दरअसल नेपाल का आरोप है कि भारत के नए संसद भवन में बने भित्तिचित्रों में उनके देश के कुछ हिस्सों को दर्शाया गया है। नेपाल का कहना है कि उनके भूभाग को भारत ने अपना दर्शाया है। इसको लेकर नेपाल में विवाद छिड़ गया है। मंगलवार को सीपीएन (माओवादी सेंटर) की संसदीय दल की बैठक हुई, जिसमें कुछ सांसदों ने प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' से कहा कि वह 31 मई से होने जा रही अपनी भारत यात्रा के दौरान भारतीय अधिकारियों के साथ इस मामले को उठाएं। उल्लेखनीय है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर प्रचंड भारत की चार दिवसीय आधिकारिक यात्रा (बुधवार से) शुरू कर रहे हैं, जहां प्रचंड और मोदी गुरुवार को सुबह 11 बजे हैदराबाद हाउस में मिलने वाले हैं। प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद प्रचंड और मोदी कुछ समझौतों, समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करेंगे और कुछ परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे।
माओवादी सांसदों ने किया विरोध
नए भारतीय संसद भवन में चित्रित भित्तिचित्रों का मुद्दा कुछ माओवादी सांसदों ने उठाया है। उनका आरोप है कि भित्तिचित्रों में नेपाल के कुछ स्थानों, जैसे कपिलवस्तु, लुंबिनी और विराटनगर को भारत की प्राचीन सभ्यताओं वाले स्थान के रूप में शामिल किया गया है। हालांकि भारत में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने इसका बचाव किया है। प्रचंड ने अपनी पार्टी के सांसदों से कहा, "मैं इस मुद्दे पर भारतीय अधिकारियों के साथ चर्चा करूंगा, मैंने यह बात समाचारपत्र में पढ़ी है और भारतीय अधिकारियों से इस पर विचार मांगूंगा।" कुछ सांसदों ने कहा कि चूंकि यह मुद्दा भारत के अंदर विवादित हो गया है, इसलिए इसकी प्रामाणिकता स्थापित होना बाकी है। विपक्षी दल के नेता के.पी. शर्मा ओली ने मंगलवार को इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। ओली ने पार्टी मुख्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री को अपनी भारत यात्रा के दौरान इस (भित्तिचित्र) मुद्दे को उठाना चाहिए और इसे स्पष्ट करना चाहिए।
आज से भारत दौरे पर हैं नेपाल के पीएम प्रचंड
ओली ने कहा, "जहां नेपाली क्षेत्र शामिल है, वहां संसद में भित्तिचित्र लटकाना या रखना अनुचित है। हमने सुना है कि नेपाल के कुछ स्थानों को लकड़ी के भित्तिचित्रों में उकेरा गया है और भारतीय संसद में चित्रित किया गया है, जो आपत्तिजनक है।"सत्तारूढ़ भाजपा के सहयोगी संगठन आरएसएस ने स्पष्ट किया है कि यह प्राचीन अखंड भारत की एक सांस्कृतिक अवधारणा है और वर्तमान संदर्भ में इसे सांस्कृतिक रूप में देखा जाता है। ओली ने कहा, "भारत जैसा देश, जिसे पुराना, मजबूत, लोकतंत्र का चैंपियन कहा जाता है, अगर नेपाल की भूमि को अपने नक्शे में रखता है और उसे संसद में दिखाता है, तो इसे निष्पक्षता नहीं कहा जा सकता। प्रधानमंत्री जी को इस मामले को भारत के साथ उठाना चाहिए।" ओली ने कहा, "प्रधानमंत्री कल से भारत दौरे पर जा रहे हैं, अगर वह इस मामले को नहीं उठा सकते और सुलझा नहीं सकते तो फिर क्यों जा रहे हैं?