नई दिल्ली: भारत में चीन के नए राजदूत शू फेइहोंग दिल्ली पहुंच गए हैं। भारत में चीन के राजदूत का पद करीब 18 महीने से खाली था, जो चार दशकों में सबसे लंबा अंतराल है। शू ने कहा कि चीन एक-दूसरे की चिंताओं को “समझने” और बातचीत के माध्यम से "विशिष्ट मुद्दों" का पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान खोजने के लिए भारत के साथ काम करने को तैयार है। उन्होंने पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से जारी सैन्य गतिरोध के बीच यह बात कही है।
शू ने दिखाई सकारात्मक पहल
शू (60) ने सुन वेइदोंग की जगह ली है, जो भारत में अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद अक्टूबर 2022 में रवाना हो गए थे। शू का भारत आगमन पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध को हल करने के लिए बीजिंग और नयी दिल्ली के बीच लंबी सैन्य व राजनयिक वार्ता के बीच हुआ है। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, "यह एक सम्मानजनक मिशन और महत्वपूर्ण ड्यूटी है। मैं दोनों देशों के बीच समझ और दोस्ती को प्रगाढ़ बनाने, विभिन्न क्षेत्रों में आदान-प्रदान और सहयोग बढ़ाने और द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने व आगे ले जाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करूंगा।"
अफगानिस्तान और रोमानिया में रह चुके हैं राजदूत
शू फेइहोंग ने कहा, "चीन एक-दूसरे की चिंताओं को समझने, शीघ्र बातचीत के माध्यम से विशिष्ट मुद्दों का पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान खोजने और जितनी जल्दी हो सके स्थिति बदलने के लिए भारत के साथ काम करने को तैयार है।" शू अफगानिस्तान और रोमानिया में चीन के राजदूत रह चुके हैं।
'भारत की चिंता समझता है चीन'
इससे पहले राजदूत के तौर पर अपना कार्यभार संभालने के लिए भारत रवाना होने से पहले फेइहोंग ने ‘पीटीआई-भाषा’ और चीन के ‘सीजीटीएन-टीवी’ के साथ बातचीत में चीन के इस रुख को दोहराया था कि उसका ट्रेड सरप्लस हासिल करने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने कहा था, ‘‘भारत के व्यापार घाटे के पीछे कई कारक हैं। चीन, भारत की चिंता को समझता है। हमारा कभी भी ट्रेड सरप्लस हासिल रखने का इरादा नहीं रहा है।’’ (भाषा)
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