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चीन में फिर हाहाकार! कोरोना के बाद अब इस नई बीमारी ने बढ़ाई दुनिया की टेंशन

अभी तक दुनिया को कोरोना के प्रकोप से मुक्ति नहीं मिली है, इससे पहले अब चीन ने विश्व के लोगों को एक और टेंशन दे दी है। चीन में तेजी से फैल रहा निमोनिया का वायरल पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। वहीं दुनिया के प्रमुख संगठन इसका सक्रमण बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं।।

Reported By : Namrata Dubey Edited By : Amar Deep Published : Nov 28, 2023 7:00 IST, Updated : Nov 28, 2023 7:00 IST
नई बीमारी ने बढ़ाई दुनिया की टेंशन।
Image Source : AP (FILE PHOTO) नई बीमारी ने बढ़ाई दुनिया की टेंशन।

नई दिल्ली: चीन का मतलब रहस्यमयी बीमारी, रहस्यमयी शोध और ऐसे माहौल से है जो संशय को बढ़ाता है। खासकर कोरोना महामारी के बाद से तो चीन पर ये ठप्पा और भी मजबूत हो गया है। अब चीन में रहस्यमयी निमोनिया का अचानक प्रकोप देखने को मिल रहा है। कोरोना की तरह ये बीमारी भी तेजी से फैल गई है। इस बीमारी से मुख्य रूप से स्कूली बच्चे प्रभावित हैं। चीन के कई अस्पताल निमोनिया से पीड़ित बच्चों से भरे हुए हैं। इस अज्ञात बीमारी ने बच्चों को लक्ष्य बनाया है। इसे ‘एवियन इन्फ्लूएंजा’ नाम दिया गया है और इस वायरस को ‘एच9एन2’ नाम दिया गया है। संक्षेप में कहें तो फ्लू, स्वाइन फ्लू, कोरोना और अब यह नया ‘एवियन इन्फ्लुएंजा’ दुनिया को चीन दे रहा है। नई बीमारी भी कोरोना की तरह गंभीर होने वाली है। 

दो माह पहले मिला कोरोना का नया वैरिएंट

अभी दो माह पहले ही कुछ देशों में कोरोना वायरस का प्रकोप दोबारा देखने को मिला था। अमेरिका में कोरोना मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने की दर 24 फीसदी बढ़ गई थी। ब्रिटेन में कोरोना का ‘एरिस’ यानी ‘ईजी.5.1’ नाम का एक नया वैरिएंट पाया गया था। ‘कोविड 19’ फिर ‘ओमायक्रॉन’ और उसके बाद ‘एरिस’ यही रहा है कोरोना वायरस का अब तक का सफर। दो महीने पहले ही पता चल चुका है कि कोरोना का नया अवतार ‘बीए2.86’ के पानी में मिलने से कोरोना का संक्रमण पानी से भी हो सकता है। कोरोना की ये चेतावनियां तो थम नहीं रही हैं और अब नई ‘चीनी बीमारी’ ने दुनिया की चिंता बढ़ा दी है। 

सिर्फ चेतावनी दे रहा WHO

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी हमेशा की तरह दुनिया को सावधानी बरतने की सलाह दी है। यानी कि तथाकथित वैश्विक संगठन नई चीनी बीमारियों के बारे में केवल ‘चिंता, चेतावनियों और सुझावों’ के ढोल बजा रहे हैं। यह स्पष्ट तथ्य है कि वस्तुत: सभी बीमारियां चीन से ही फैल रही हैं। चीन की वुहान प्रयोगशाला, वहां के वायरस और जैविक अनुसंधान, उससे जन्मे घातक वायरस और उनके सब-वैरिएंट ही दुनिया पर नई-नई बीमारियों का संकट ढा रहे हैं। यह सब स्वत: स्पष्ट होने के बावजूद तथाकथित वैश्विक स्वास्थ्य संगठन न तो चीन को जवाबदेह ठहरा सकते हैं और न ही चीन से फैलने वाली रहस्यमय बीमारियों को फैलने से रोक सकते हैं। न केवल स्वास्थ्य संगठन, बल्कि खुद को एक विश्व महाशक्ति मनवाने वाले और छोटे-छोटे देशों पर हुकूमत चलाने वाले देश व ‘नाटो’ जैसे संगठन भी चीन की दादागीरी के आगे पूंछ हिलाते नजर आते हैं। इसीलिए विस्तारवादी महत्वाकांक्षाओं से ग्रस्त चीन दुनिया को किसी-न-किसी तरह के संकट में धकेलता रहता है। 

चीन के कारण बीमारियों से लड़ रही दुनिया

इससे पहले दुनिया को दो महाशक्तियों अमेरिका और रूस के चलते अलग-अलग संकटों का सामना करना पड़ता था। अब चीन की विस्तारवादी नीति के चलते दुनिया संकट में फंस रही है। कभी यह संकट आर्थिक नाकेबंदी है, तो कभी विदेशी भू-भाग पर घुसपैठ कर उसे निगलने का, तो कभी दुनिया को घातक बीमारियों की चपेट में लाने का। वास्तव में ये बीमारियां चीन में ही कहर बरपाती हैं, लेकिन इसका चीन की कुटिल कारस्तानियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। तीन साल पहले दुनियाभर में आई कोरोना महामारी एक जीता-जागता उदाहरण है, जिसने नाहक ही लाखों लोगों की जान ले ली। अब चाइनीज निमोनिया नाम की एक नई रहस्यमयी बीमारी ने दुनिया को फिर से अलर्ट मोड पर ला दिया है। यह नया वायरस कितना खतरनाक होगा, दुनिया में तबाही मचाएगा या नहीं, यह तो समय बताएगा, लेकिन असली सवाल चीन के कुटिल वायरस का है। जब यह वायरस बोतल में बंद हो जाएगा तब जाकर ही दुनिया लगातार नई-नई बीमारियों की बढ़ती महामारी से बच सकेगी।

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