नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की सरकार ने भारत के साथ लंबे समय से चले आ रहे कालापानी लिपुलेख और लिंपियाधुरा जैसे सीमा विवादों को कूटनीति के माध्यम से सुलझाने की बात कही है। ‘प्रचंड’ के नेतृत्व में बनी 10 पार्टियों की गठबंधन सरकार ने बृहस्पतिवार को अपने न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) की घोषणा की, जिसके मुताबिक सरकार जनता की समृद्धि और राष्ट्र हित में स्वतंत्र और संतुलित विदेशी नीति अपनाएगी।
सीएमपी में भारत के साथ कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा जैसे लंबित सीमा विवाद को भी कूटनीति के माध्यम से सुलझाने की बात की गई है। संचार, सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री व सरकार की प्रवक्ता रेखा शर्मा ने काठमांडू के सिंहदरबार में आयोजित कार्यक्रम में न्यूनतम साझा कार्यक्रम पेश किया। सीएमपी के जरिये सरकार का लक्ष्य शासन पर आने वाले खर्च को कम करना, सार्वजनिक प्रशासन को बेहतर बनाना, जलवायु परिवर्तन के खतरे को कम करना और लोगों की समृद्धि और राष्ट्र हित में स्वतंत्र और संतुलित विदेश नीति अपनाना है।
राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में संशोधन
सीएमपी में कहा गया, ‘‘ राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में संशोधन देश की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता, राष्ट्रीय स्वतंत्रता और लोगों के गौरव को सुनिश्चित करने की जरूरत के तहत किया जाएगा।’’ इसके मुताबिक, ‘‘सरकार कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा जैसे लंबित सीमा विवाद को कूटनीति के माध्यम से सुलझाएगी।’’ गौरतलब है कि जून 2020 में नेपाल की संसद ने देश के नए मानचित्र को मंजूरी दी थी, जिसमें भारत के हिस्से को नेपाल के क्षेत्र के तौर पर प्रदर्शित किया गया था। मानचित्र जारी होने के बाद भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे ‘एकतरफा कार्रवाई’ करार दिया था। इससे दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ गया था।