नई दिल्लीः नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पहले सहयोगी पार्टियों ने एक के बाद एक करके समर्थन वापस लेना शुरू किया और अब उन पर 5 हजार हत्याओं का जिम्मेदार होने का गंभीर आरोप लगाया गया है। खास बात यह है कि इस आरोप के संबंध में दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए मंजूरी भी दे है। इससे प्रचंड नई मुसीबत में फंसते दिख रहे हैं। आइए अब आपको बताते हैं कि ये पूरा मामला है क्या, आखिर नेपाल के पीएम प्रचंड को 5 हजार हत्याओं के लिए क्यों जिम्मेदार माना जा रहा है?
दरअसल नेपाल के उच्चतम न्यायालय ने दशक भर लंबे विद्रोह के दौरान 5 हजार लोगों की मौत की जिम्मेदारी लेने वाले प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड के खिलाफ एक रिट याचिका पंजीकृत करने का अपने प्रशासन को आदेश दिया है। उच्चतम न्यायालय प्रशासन द्वारा दो वकीलों की ओर से दायर याचिकाओं को खारिज करने के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति ईश्वर प्रसाद खतिवडा और हरि प्रसाद फुयाल की पीठ ने शुक्रवार को अदालत के प्रशासन को याचिका पंजीकृत करने का आदेश दिया। इससे नेपाल की सियासत में सरगर्मी पैदा हो गई है।
एक बार खारिज हो चुकी थी याचिका
संघर्ष के पीड़ित वकील ज्ञानेंद्र आराण और कल्याण बुधाठोकी ने अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं, लेकिन अदालत के प्रशासन ने पिछले साल 10 नवंबर को उन्हें पंजीकृत करने से मना कर दिया था। विद्रोह 13 फरवरी 1996 में शुरू हुआ था और 21 नवंबर 2006 को सरकार के साथ व्यापक शांति समझौता होने के बाद आधिकारिक तौर पर खत्म हो गया था। पंद्रह जनवरी 2020 को काठमांडू में एक कार्यक्रम में प्रचंड ने कहा था, “ मुझपर 17000 लोगों की हत्या का आरोप लगाया जाता है जो सच नहीं है। हालांकि मैं संघर्ष के दौरान 5 हजार लोगों की हत्या की जिम्मेदारी लेने को तैयार हूं।” प्रचंड ने कहा था कि शेष 12000 हत्याओं की जिम्मेदारी सामंती सरकार ले। पीड़ितों ने मांग की है कि अदालत प्रचंड के खिलाफ उन हत्याओं के लिए जरूरी कानूनी कार्रवाई करे, जो उन्होंने खुद स्वीकार की हैं।
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