काठमांडू: नेपाल के नवनियुक्त प्रधानमंत्री के.पी.शर्मा ओली ने रविवार को संसद में आसानी से विश्वास मत हासिल कर लिया। लगभग एक सप्ताह पहले ही उन्होंने देश में एक और गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने के लिए पद की शपथ ली थी। सरकार बनाने के लिए नेपाल की 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में कम से कम 138 सदस्यों का समर्थन होना आवश्यक है। ओली को 188 मत मिले। उन्हें जरूरी समर्थन से 50 मत अधिक मिले।
सोमवार को ली थी पीएम की शपथ
वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता ओली (72) ने चौथी बार सोमवार को देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। ओली ने मंत्रिमंडल के 21 अन्य सदस्यों के साथ पद और गोपनीयता की शपथ ली थी। नेपाल के संविधान के अनुसार, ओली के लिये नियुक्ति के 30 दिन के भीतर संसद से विश्वास मत हासिल करना आवश्यक था।
गठबंधन समझौते के तहत दो साल बाद देउबा को सत्ता सौंपेंगे ओली
प्रधानमंत्री के.पी.शर्मा ओली ने रविवार को पहली बार नेपाली कांग्रेस के साथ अपनी पार्टी के गुप्त सात सूत्री समझौते के ब्योरे का खुलासा किया जिसके तहत वह दो साल तक सरकार का नेतृत्व करने के बाद सत्ता अपने गठबंधन सहयोगी दल के नेता शेर बहादुर देउबा को सौंप देंगे। संसद में विश्वास मत हासिल करने के लिए अपना प्रस्ताव पेश करते हुए ओली ने पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ के नेतृत्व वाले गठबंधन की सरकार को गिराने के लिए दो सप्ताह पहले उनके नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी- एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी (सीपीएन-यूएमएल) और प्रतिनिधि सभा में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के साथ हुए समझौते का खुलासा किया।
ओली ने प्रतिनिधि सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘सात सूत्री समझौते के अनुसार, अगले दो वर्ष के लिए मैं सरकार का नेतृत्व करूंगा और नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष देउबा शेष (डेढ़ वर्ष की) अवधि के लिए सरकार का नेतृत्व करेंगे।’’ अब तक 78 वर्षीय देउबा और 72 वर्षीय ओली के बीच हुआ सात सूत्री समझौता गुप्त रहा, जिससे सत्तारूढ़ पार्टी के कई नेताओं के मन में भी संदेह पैदा हो गया था। इससे पहले नेपाली कांग्रेस के महासचिव गगन थापा ने भी ओली से संसद में इस समझौते को सार्वजनिक करने की मांग की थी। (इनपुट-भाषा)