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नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र की मुश्किलें बढ़ीं, प्रदर्शन के दौरान संपत्ति के नुकसान पर लगा जुर्माना

सुरक्षाकर्मियों और राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में एक टीवी कैमरामैन समेत दो लोग की मौत हो गई और 110 अन्य घायल हो गए।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published : Mar 29, 2025 22:54 IST, Updated : Mar 29, 2025 22:54 IST
Nepal, former king
Image Source : FILE नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र

काठमांडू:  नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र पर राजशाही की मांग को लेकर हुए प्रदर्शन के दौरान नुकसान की भरपाई को लेकर जुर्माना लगाया गया है।  काठमांडू नगर निकाय ने शनिवार को पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह को एक चिट्ठी भेजी। इस चिट्ठी में   एक दिन पहले राजधानी के कुछ हिस्सों में राजशाही समर्थक विरोध प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति तथा पर्यावरण को हुए नुकसान को लेकर हर्जाना मांगा गया है।

हिंसा में दो लोगों की मौत, 110 घायल

काठमांडू के कुछ हिस्सों में शुक्रवार को तनावपूर्ण स्थिति देखी गई, जब राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया। प्रदर्शनकारियों ने एक राजनीतिक पार्टी के कार्यालय पर हमला किया, वाहनों में आग लगा दी और काठमांडू के तिनकुने-बानेश्वर क्षेत्र में दुकानें लूट लीं। सुरक्षाकर्मियों और राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में एक टीवी कैमरामैन समेत दो लोग की मौत हो गई और 110 अन्य घायल हो गए। 

7,93,000 नेपाली रुपये का जुर्माना

चूंकि यह विरोध प्रदर्शन ज्ञानेंद्र शाह के आह्वान पर आयोजित किया गया था, इसलिए काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी (केएमसी) के महापौर बालेंद्र शाह ने काठमांडू के बाहरी इलाके महाराजगंज में निर्मला निवास में स्थित उनके आवास पर एक चिट्ठी भेजी, जिसमें उन्हें नुकसान के हर्जाने के रूप में 7,93,000 नेपाली रुपये का भुगतान करने को कहा गया। 

पूर्व नरेश को भेजी गई चिट्ठी की प्रतियां मीडिया में जारी की गईं हैं, जिसमें केएमसी ने कहा कि पूर्व नरेश के आह्वान पर आयोजित विरोध प्रदर्शन से महानगर की विभिन्न संपत्तियों को नुकसान पहुंचा है और राजधानी का पर्यावरण प्रभावित हुआ है। शुक्रवार के आंदोलन के संयोजक दुर्गा प्रसाद ने एक दिन पहले ज्ञानेंद्र शाह से मुलाकात की थी और उन्हें राजशाही व हिंदू राष्ट्र की बहाली की मांग को लेकर आंदोलन करने के निर्देश मिले थे। राजशाही समर्थक काठमांडू और देश के अन्य भागों में रैलियां आयोजित कर रहे हैं तथा 2008 में समाप्त की गई 240 वर्ष पुरानी राजशाही को पुनः स्थापित करने की मांग कर रहे थे। 

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