India-Nepal: नेपाल के पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड भारत के दौरे पर आ रहे हैं। वे 31 मई को 4 दिन के दौरे पर भारत आएंगे। लेकिन दूसरी ओर नेपाल चीन से करीबी बढ़ा रहा है। भारत द्वारा सस्ती दरों पर हथियारबंद वाहन दिए जाने के आफर के बाद भी भारत को दरकिनार करके नेपाल अब अमेरिका द्वारा बैन की गई चीनी कंपनी से हथियारबंद वाहन खरीद रहा है। हालांकि प्रचंड को जब यह बात पता चली कि नेपाली सेना चीनी कंपनी से हथियारबंद वाहन और दूसरे हथियार खरीदने जा रही है तो वे भड़क गए और फिलहाल इस डील को 'होल्ड' करवा दिया है, क्योंकि वे नहीं चाहते कि भारत यात्रा से पहले किसी तरह का बखेड़ा खड़ा हो।
नेपाली सेना चीन की बदनाम कंपनी नोरिन्को से 6 अरब नेपाली रुपये के कीमत वाले 26 हथियारबंद वाहन खरीदने जा रही है। इनका इस्तेमाल नेपाली सेना के वे जवान इस्तेमाल करेंगे जो विभिन्न देशों में शांति मिशनों में तैनात हैं। नेपाली सेना द्वारा चीनी कंपनी से 10 हजार सीक्यू राइफल भी खरीदने की बात भी कही जा रही है। ताज्जुब की बात यह है कि जो हथियारबंद वाहन नेपाल सेना चीनी कंपनी से खरीदने जा रही है वो भारतीय कंपनी की तुलना में कहीं ज्यादा महंगी हैं। इसके बावजूद भारत को दरकिनार किया गया है।
जिस चीनी कंपनी से वाहन खरीद रहा नेपाल, उस पर अमेरिका द्वारा बैन
नेपाली अखबार काठमांडू पोस्ट ने यह रिपोर्ट जारी की है। हालांकि नेपाल की सेना ने इस रिपोर्ट को खारिज किया है। लेकिन यह वही चीनी कंपनी है जिसको अमेरिका सरकार ने ब्लैकलिस्ट कर रखा है। चीन से 26 हथियारबंद वाहन खरीदने का निर्णय तत्कालीन प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने किया था जो उस समय रक्षामंत्री भी थे। इस डील के तहत नेपाल की सेना को पहले पैसा देना होता। इसके बाद इन चीनी वाहनों के नेपाली सेना में संचालन में आने के बाद संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन कार्यालय इस पैसे को उसे लौटा देता।
चीनी कंपनी को ज्यादा पैसा दे रही है नेपाल की सेना
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने चीनी कंपनी नोरिन्को पर बैन लगा रखा है। उधर, नेपाली सेना के प्रमुख जनरल प्रभु राम शर्मा ने शुक्रवार को कहा कि सेना को इस समय किसी हथियार की जरूरत नहीं है लेकिन उसे कुछ वाहनों की जरूरत पड़ सकती है। देउबा की मंजूरी के बाद नेपाली सेना ने चीन और भारत की कंपनियों से बातचीत करना शुरू किया। इसके बाद चीन से 26 और भारत से 4 गाड़ियों के खरीदने पर सहमति बनी।
भारतीय कंपनियों से ज्यादा दाम ले रही है चीनी कंपनी
रिपोर्ट में कहा गया है कि नेपाल जिन चीनी गाड़ियों को खरीद रहा है, उनके दाम भारत की तुलना में कहीं ज्यादा है। भारत के एक हथियारबंद वाहन की कीमत जहां 4 करोड़ रुपये है, वहीं ठीक उसी तरह के चीनी वाहन के लिए नेपाल 7.7 करोड़ रुपये चुका रहा है। इस डील के लिए नेपाल सरकार में काफी माथापच्ची हुई थी। प्रचंड की भारत यात्रा से ठीक पहले चीन से इन वाहनों के नहीं खरीदने के लिए राजनीतिक दबाव पड़ने और अमेरिका के ब्लैक लिस्ट करने के खुलासे के बाद अब बैंक ने इस डील पर रोक लगा दी है। वहीं नेपाली सेना इन महंगी चीनी गाड़ियों को खरीदने के लिए आतुर दिखाई पड़ रही है। ऐसे में प्रचंड ने रक्षामंत्री को बुलाकर कहा है कि भारत दौरे के बीच फिलहाल इस डील को ठंडे बस्ते में रखें।