पेशावर: पाकिस्तान की एक कोर्ट ने ऐबटाबाद शहर में आतंकी संगठन अल-कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन का पता लगाने में अमेरिका की खुफिया एजेंसी CIA की मदद करने को लेकर 2011 से जेल में बंद डॉ. शकील अफरीदी की पत्नी और बच्चों के नाम ‘एग्जिट कंट्रोल लिस्ट’ से हटाने का आदेश दिया है। ‘एग्जिट कंट्रोल लिस्ट’ एक ऐसी लिस्ट है, जिसमें उन लोगों के नाम होते हैं जिनके पाकिस्तान छोड़ने पर विभिन्न कानूनी कारणों से प्रतिबंध लगा दिया जाता है। पेशावर हाई कोर्ट की सिंगल जज बेंच ने अफरीदी की पत्नी इमराना शकील द्वारा दायर एक रिट याचिका पर यह आदेश दिया।
डॉक्टर शकील को हुई है 23 साल की सजा
याचिकाकर्ता के वकील आरिफ जान अफरीदी ने कोर्ट को बताया कि उनके मुवक्किल को अमेरिका के लिए जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है और पाकिस्तान की विभिन्न अदालतों ने 23 साल की सजा सुनायी है। वकील ने कहा कि (डॉ.अफरीदी की) पत्नी और बच्चों का नाम सरकार ने इस लिस्ट में डाल दिया गया है और इसलिए वे कहीं नहीं जा सकते। वकील ने कहा,‘मेरी मुवक्किल इमराना शकील के खिलाफ कोई अपराध साबित नहीं हुआ है। न ही उन्हें अभी तक गिरफ्तार किया गया है। इमराना शकील और उनके बच्चों का नाम केवल कुछ रिपोर्ट के आधार पर लिस्ट में रखे गए हैं।’
अपने फैसले में जस्टिस शकूर ने कही ये बात
डिप्टी अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट को बताया कि सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट पर उनके नाम ECL में रखे गए हैं और कहा कि चूंकि वर्तमान में, देश में कार्यवाहक सरकार है, इसलिए उनके पास लिस्ट से नाम हटाने की शक्ति नहीं है। अपने फैसले में जस्टिस अब्दुल शकूर ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियों को इस लिस्ट में कोई नाम रखने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा,‘जब उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है, तो उनका नाम इस सूची में कैसे रखा जा सकता है? (इसलिए) इसमें उनका नाम रखना अवैध है।’
खैबर कबायली के जाने-माने डॉक्टर थे शकील
अफरीदी, खैबर कबायली जिले में जाने-माने डॉक्टर थे और स्वास्थ्य सेवाओं के चीफ के रूप में उन्होंने अमेरिका की फंडिंग वाले कई वैक्सीन प्रोग्राम की देखरेख की थी। उन पर ओसामा को पकड़ने में CIA की मदद के लिए पाकिस्तानी छावनी शहर ऐबटाबाद में फर्जी टीकाकरण अभियान चलाने का आरोप है। ओसामा 2 मई 2011 को अमेरिका के एक सीक्रेट मिशन में मारा गया था। डॉक्टर को उसी साल पेशावर से गिरफ्तार किया गया था। उन्हें देश विरोधी गतिविधियों के लिए कई आरोपों में 33 साल कैद की सजा सुनाई गई थी जिसे बाद में 23 साल कर दिया गया था।