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क्या है म्यांमार का सागाइंग फॉल्ट, इसकी चपेट में कितने शहर, यहीं सबसे ज्यादा भूकंप का खतरा क्यों?

म्यांमार में इससे पहले भी बड़े भूकंप आ चुके हैं। 2004 में यहां कोको आइलैंड में 9.1 से 9.3 मैग्नीट्यूड की तीव्रता वाला भूकंप आया था। इसका केंद्र सतह से 30 किलोमीटर नीचे था। यहां 31 बार 7 या उससे ज्यादा तीव्रता के भूकंप आ चुके हैं।

Edited By: Shakti Singh
Published : Mar 28, 2025 16:16 IST, Updated : Mar 28, 2025 16:16 IST
Sagaing Fault
Image Source : INDIA TV सागाइंग फॉल्ट में भूकंप का खतरा सबसे ज्यादा

म्यांमार के सागाइंग में भूकंप ने जमकर तबाही मचाई है। 7.7  मैग्नीट्यूड की तीव्रता वाले इस भूकंप के झटके केंद्र से 1200 किलोमीटर दूर थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में भी महसूस किए गए। यह पहला मौका नहीं है, जब म्यांमार में भूकंप ने तबाही मचाई है। इससे पहले भी यहां तेज झटके वाले भूकंप आते रहे हैं। मौजूद आंकड़ों के अनुसार यहां 31 बार 7 मैग्नीट्यूड या उससे ज्यादा तेजी वाले भूकंप आ चुके हैं, जबकि रिक्टर स्केल पर 6 या उससे ज्यादा तीव्रता वाले भूकंप को खतरनाक माना जाता है। 2004 में यहां कोको आइलैंड में 9.1 से 9.3 मैग्नीट्यूड की तीव्रता वाला भूकंप आया था। यहां हम बता रहे हैं कि म्यांमार में इतने ज्यादा भूकंप क्यों आते हैं और इनसे बचने के लिए क्या किया जा रहा है।

सागाइंग फॉल्ट म्यांमार में भूकंप-प्रवण एक महत्वपूर्ण फॉल्ट है, जो मध्य म्यांमार से उत्तरी म्यांमार तक फैला हुआ है। यह फॉल्ट भारतीय और यूरेशियन प्लेटों की गति के कारण होता है। सागाइंग फॉल्ट में आने वाले शहरों में भूकंप का खतरा सबसे ज्यादा है। सागाइंग भी इन्हीं शहरों में से एक है, जहां शुक्रवार (28 फरवरी) को भूकंप के कारण भारी तबाही आई।

किन शहरों में सबसे ज्यादा खतरा?

सागाइंग फॉल्ट मोगैंग-कमाइंग से लेकर बैनमौक, सगाइंग और यंगोन तक फैला हुआ है। बागो, नायपिडाव और मंडले जैसे शहर इसकी चपेट में आते हैं। इन शहरों पर भूकंप का खतरा सबसे ज्यादा है। इसी वजह से अधिकारियों ने इस शहरों में भूकंप रोधी इमारते बनाने की सलाह दी है। इसके साथ ही आम नागरिकों को भूकंप के प्रति जागरुक करने को कहा है।

भूकंप से बचने के लिए क्या किया जा रहा?

अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि सागाइंग फॉल्ट म्यांमार में सबसे अधिक भूगर्भीय रूप से खतरनाक क्षेत्रों में से एक है, और भूकंप-रोधी इमारतों का निर्माण करके और भूकंप के खतरे से बचाव के बारे में आम लोगों को शिक्षित करके जोखिम को कम करने के लिए तैयार रहना महत्वपूर्ण है। वैज्ञानिकों के अनुसार भूकंप धरती के नीचे मौजूद प्लेटों के टकराने से आते हैं। ऐसे में भूकंप को रोका नहीं जा सकता, लेकिन इससे होने वाले नुकसान को कम करने के लिए तैयारी की जा सकती है। 

  • भूकंप से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में ऊंची इमारतें नहीं बनाने की सलाह दी जाती है।
  • इन क्षेत्रों में बनने वाली इमारतों को इस तरीके से बनाया जाता है कि भूकंप आने पर वह धराशायी न हों और भूकंप से नुकसान होने पर उन्हें दोबारा आसानी से बनाया जा सके।
  • लोगों को भूकंप से होने वाले नुकसान और इससे बचने के लिए शिक्षित किया जाता है। 

भूकंप आने पर क्या करें?

  • अगर आप घर के अंदर हैं तो जमीन पर लेटकर अपने सिर को अपने हाथों से ढक लें। किसी मजबूत मेज, टेबल या कुर्सी के नीचे छिप जाएं और अपने शरीर को इन वस्तुओं से ढक लें। जिस चीज के नीचे आप बैठे हैं, उसे पकड़कर रखें ताकि भूकंप के दौरान वो न गिरे। खिड़कियों और दरवाजों से दूर रहें, क्योंकि ये भूकंप के दौरान इनके टूटने की आशंका होती है। घर के कोनों में रहें। 
  • अगर आप घर के बाहर हैं तो खुले मैदान में जाएं। इमारतों, बिजली के खंभों, पेड़ों और अन्य खतरनाक चीजों से दूर रहें। इन चीजों के टूटने या गिरने की आशंका होती है। जहां आप खड़े हों, वहीं रहें। भूकंप के दौरान इधर-उधर भागने से चोट लगने की आशंका बढ़ जाती है। भूकंप के झटके रुकने तक वहीं रहें। भूकंप के झटके बंद होने पर ही वहां से हटें।
  • अगर आप गाड़ी में हैं तो किसी सुरक्षित जगह पर गाड़ी रोकें। पुल, इमारत या पेड़ों के नीचे गाड़ी न रोकें। सीट बेल्ट बांधें। भूकंप के दौरान गाड़ी के हिलने से चोट लगने की संभावना होती है। भूकंप के झटके रुकने तक गाड़ी में ही रहें, गाड़ी से बाहर न निकलें।
  • भूकंप के बाद अगर आपको लगता है कि कोई खतरा है तो पानी, गैस और बिजली बंद कर दें। तटीय क्षेत्रों से दूर रहें, क्योंकि सुनामी का डर रहता है। भूकंप के बाद भी आफ्टरशॉक आ सकते हैं, इनके लिए तैयार रहें। अगर आपकी संपत्ति को नुकसान हुआ है तो तुरंत बीमा कंपनी से संपर्क करें। अगर आपको किसी भी तरह की मदद की जरूरत है तो आपात कालीन सेवाओं से संपर्क करें। 

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