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Myanmar News: म्यांमार में 34 साल बाद सुनाई गई फांसी की सज़ा, पूर्व सांसद सहित दो लोगों को सजा-ए-मौत का ऐलान, जाने UN ने क्या कहा?

Myanmar News: म्यांमार में 34 साल बाद एक बार फिर फांसी की सज़ा सुनाई गई है। यह सज़ा पिछली आंग सू ची की सरकार में रहे एक सांसद और एक कार्यकर्ता को सुनाई गई है। सांसद 'फ्यो जेया थाव और लोकतंत्र का समर्थन करने वाले कार्यकर्ता क्याव मिन यू उर्फ जिमी' पर टेररिस्ट अटैक और मास किलिंग को अंजाम देने के आरोप है।

Written by: Shashi Rai @km_shashi
Published on: June 06, 2022 9:09 IST
Symbolic picture- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Symbolic picture

Highlights

  • म्यांमार में 34 साल बाद सुनाई गई फांसी की सज़ा
  • पूर्व सांसद सहित दो लोगों को दी जाएगी फांसी
  • ये आदेश जीने की आज़ादी और मानवाधिकार के खिलाफ है: UN

Myanmar News: म्यांमार में 34 साल बाद एक बार फिर फांसी की सज़ा सुनाई गई है। यह सज़ा पिछली आंग सू ची की सरकार में रहे एक सांसद और एक कार्यकर्ता को सुनाई गई है। सांसद 'फ्यो जेया थाव और लोकतंत्र का समर्थन करने वाले कार्यकर्ता क्याव मिन यू उर्फ जिमी' पर टेररिस्ट अटैक और मास किलिंग को अंजाम देने के आरोप है। म्यांमार सरकार के इस आदेश की संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन ने निंदा की है। स्टीफन ने कहा- ''ये आदेश जीने की आज़ादी और मानवाधिकार के खिलाफ है''

फांसी की सज़ा दुनिया को चौंकाने वाली खबर 

वहीं मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस आदेश को गलत बताते हुए कहा कि- ''म्यांमार में फांसी की सज़ा को फिर से शुरू करना दुनिया के लिए चौंकाने वाली खबर है। इस फैसले को वापस लिया जाए। इंटरनेशनल कम्युनिटी को भी इसमें दखल देने की ज़रूरत है।'' एमनेस्टी ने कहा कि- ''किसी अपराध के लिए मौत की सज़ा कई खौफनाक तरीकों में एक बन गई है। इस फैसले से म्यांमार सैन्य सरकार लोगों के बीच डर पैदा करना चाहती है। 

म्यांमार में आखिरी बार 1998 में किसी को मौत की सज़ा दी गई थी

एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक म्यांमार में आखिरी बार 1998 में किसी को मौत की सज़ा दी गई थी। इसके बाद भी फांसी की सज़ा सुनाई गईं, लेकिन बाद में उन्हें सामूहिक माफी दे दी गई। बता दें, पिछली साल म्यांमार में आंग सान सू ची की लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार के तख्तापलट के एक साल से ज्यादा वक्त हो गया है। अब सेना यहां अपना शासन चला रही है। 

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