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China Ambassadors Death: चीन में 1 साल के भीतर 4 विदेशी राजनयिकों की मौत, अब म्यांमार के राजदूत ने अचानक गंवाई जान, सवालों के घेरे में ड्रैगन

China Ambassadors Mysterious Death: राजदूत मायो थांट पे अपने देश की सरकार के सत्ता से हटने और सैन्य तानाशाही वाली सरकार के आने के बाद भी चीन में अपने पद पर बने हुए थे। हैरानी की बात ये है कि वह चीन में चौथे ऐसे राजदूत हैं, जिनकी बीते एक साल में मौत हुई है।

Written By: Shilpa
Published : Aug 09, 2022 13:08 IST, Updated : Aug 09, 2022 13:17 IST
China Ambassadors Death
Image Source : PTI China Ambassadors Death

Highlights

  • चीन में विदेशी अधिकारियों की हो रही मौत
  • अचानक म्यांमार के राजदूत ने गंवाई जान
  • शनिवार को आखिरी बार बैठक में दिखे थे

China Ambassadors Death: चीन में म्यांमार के राजदूत का निधन हो गया है। चीन की सरकार ने सोमवार को यह जानकारी दी। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने म्यांमार के राजदूत मायो थांट पे की कथित मौत के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, ‘आपने जो कहा, मैं उसकी पुष्टि कर सकता हूं।’ प्रवक्ता वांग वेनबिन ने यह नहीं बताया कि राजदूत की मौत कब और कैसे हुई। मायो थांट पे 2019 से ही चीन में म्यांमार के राजदूत के रूप में कार्यरत थे। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘उन्होंने खुद को चीन-म्यांमार संबंधों के विकास के लिए समर्पित कर दिया था। हम उनके आकस्मिक निधन पर श्रद्धांजलि व्यक्त करते हैं और हमारी संवेदना उनके परिवार के साथ है।’ 

हालांकि म्यांमार की एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि राजदूत की मौत का कारण हार्ट अटैक हो सकता है। चीन के भीतर एक साल में चार विदेशी राजनयिकों की अचाक मौत हुई है। यहां रविवार को कुनमिंग शहर में अपनी जान गंवाने वाले थांट पे चौथे ऐसे अधिकारी हैं। अधिकारी की मौत के बाद से सोशल मीडिया पर चीन को लेकर तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं। हालांकि म्यांमार के विदेश मंत्रालय ने राजदूत की मौत के कारण का अभी तक खुलासा नहीं किया है। म्यांमार के राजदूतों और चीनी भाषा वाले मीडिया का मानना है कि मौत का कारण हार्ट अटैक है। 

आखिरी बार बैठक में दिखे थे राजदूत

राजदूत मायो थांट पे को आखिरी बार शनिवार को चीन के दक्षिण-पश्चिमी युनान प्रांत में स्थानीय अधिकारियों के साथ एक बैठक में देखा गया था। इस प्रांत की सीमा म्यांमार से लगती है। यहां ये बात ध्यान देने वाली है कि चीन म्यांमार के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक है और उसने देश में सत्तारूढ़ सेना के लिए स्पष्ट समर्थन व्यक्त किया है, जिसने पिछले साल फरवरी में म्यांमार की सत्ता पर कब्जा कर लिया था। वहीं राजदूत की मौत पर चीन में म्यांमार के दूतावास ने तत्काल कोई बयान जारी नहीं किया है। 

राजदूत मायो थांट पे अपने देश की सरकार के सत्ता से हटने और सैन्य तानाशाही वाली सरकार के आने के बाद भी चीन में अपने पद पर बने हुए थे। हैरानी की बात ये है कि वह चीन में चौथे ऐसे राजदूत हैं, जिनकी बीते एक साल में मौत हुई है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले चीन में जर्मनी के 54 साल के राजदूत जैन हैकर की सितंबर में मौत हो गई थी। उनका दफ्तर चीन की राजधानी बीजिंग में था, जहां उन्होंने निधन से दो हफ्ते पहले ही कार्यभार संभाला था। 65 साल के यूक्रेन के राजदूत का विंटर ओलंपिक के दौरान या बाद में बीजिंग आने पर निधन हुआ। वहीं अप्रैल में फिलीपींस के राजदूत जोस सैंटिआगो चितो का चीन के पूर्वी प्रांत अनहुई में कोरोना वायरस क्वारंटीन के दौरान निधन हो गया था।

म्यांमार में सेना का शासन रहेगा जारी

वहीं म्यांमार की बात करें, तो इसी हफ्ते खबर आई थी कि म्यांमार में सैन्य सरकार के नेता ने देश में चुनाव की तैयारी के वास्ते आपातकाल का विस्तार करते हुए और छह महीने तक शासन करने की घोषणा की थी। नेता ने साथ ही कहा कि ये चुनाव अगले साल होंगे। सेना ने पिछले साल एक फरवरी को आंग सान सू ची की चुनी हुई सरकार से सत्ता हथिया ली थी। सेना ने इसके लिए नवंबर 2020 के आम चुनाव में कथित धोखाधड़ी का हवाला दिया था, जिसमें सू ची की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी ने जबर्दस्त जीत हासिल की थी जबकि सैन्य समर्थित पार्टी ने खराब प्रदर्शन किया था। स्वतंत्र चुनाव पर्यवेक्षकों ने कहा कि उन्हें अनियमितताओं का कोई सबूत नहीं मिला। सेना के सत्ता पर काबिज होने के खिलाफ देश भर में व्यापक अहिंसक विरोध प्रदर्शन किए गए। 

सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया किया, जिसके बाद लोकतंत्र समर्थक ताकतों को सशस्त्र प्रतिरोध को प्रेरित किया गया। संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने म्यांमार में हिंसा की वृद्धि को गृहयुद्ध करार दिया है। सत्तारूढ़ स्टेट एडमिंस्ट्रेशन काउंसिल के प्रमुख वरिष्ठ जनरल मिन आंग हलिंग ने सोमवार को प्रसारित एक भाषण में कहा कि पिछले साल सत्ता पर काबिज होने के बाद घोषित आपातकाल की स्थिति बढ़ा दी गई है। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि ‘देश को एक शांतिपूर्ण और अनुशासित बहुदलीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के रास्ते पर वापस लाने और बहुदलीय लोकतांत्रिक आम चुनाव कराने के लिए और समय की जरूरत है।’

सेना ने शुरू में घोषणा की थी कि सत्ता पर उसके काबिज होने के एक साल बाद नए चुनाव कराये जाएंगे, लेकिन बाद में कहा कि चुनाव वर्ष 2023 में होंगे। इसमें काफी संदेह है कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होंगे, क्योंकि सू ची की पार्टी के अधिकांश नेता जेल में बंद हैं और इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि पार्टी को सैन्य समर्थक अदालतों द्वारा भंग कर दिया जाएगा। मिन आंग हलिंग ने कहा कि सेना ने सत्ता पर काबिज होने के बाद से ‘अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के लिए’ अपनी पूरी कोशिश की है। उन्होंने कहा, ‘हालांकि, देश के अंदर और बाहर स्थित आतंकवादी और उनका समर्थन करने वाले लोग और संगठन म्यांमार में लोकतंत्र को पोषित करने की कोशिश करने के बजाय, म्यांमार में तबाही लाने पर तुले हुए हैं।’

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