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'बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले सांप्रदायिक नहीं, मुद्दा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया' जानिए यूनुस ने और क्या कहा

बांग्लादेश में हिंदूओं पर हुए हमलों को लेकर अंतरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद यूनुस ने बड़ी बात कही है। यूनुस ने कहा कि हिंदुओं पर हमले सांप्रदायिक नहीं हैं इसे बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया है।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Published on: September 05, 2024 18:39 IST
Muhammad Yunus- India TV Hindi
Image Source : FILE AP Muhammad Yunus

ढाका: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने कहा है कि उनके देश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमलों के मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है और उन्होंने भारत द्वारा इसे पेश करने के तरीके पर भी सवाल उठाया। यहां अपने आधिकारिक आवास पर ‘पीटीआई’ के साथ एक साक्षात्कार में यूनुस ने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले सांप्रदायिक से कहीं ज्यादा राजनीतिक हैं। उन्होंने कहा कि ये हमले सांप्रदायिक नहीं थे, बल्कि राजनीतिक उथल-पुथल का नतीजा थे, क्योंकि ऐसी धारणा है कि ज्यादातर हिंदू अपदस्थ हो चुकी अवामी लीग सरकार का समर्थन करते थे। 

'हिंदुओं का मतलब अवामी लीग समर्थक'

नोबेल पुरस्कार विजेता ने ‘पीटीआई’ को बताया, “मैंने (प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी से भी कहा है कि यह बात बढ़ा-चढ़ाकर कही जा रही है। इस मुद्दे के कई आयाम हैं। जब शेख हसीना और अवामी लीग के अत्याचारों के बाद देश में उथल-पुथल मची थी, तो उनके साथ खड़े लोगों को भी हमलों का सामना करना पड़ा।” उन्होंने कहा, “अब, अवामी लीग के कार्यकर्ताओं की पिटाई करते समय, उन्होंने हिंदुओं की भी पिटाई कर दी, क्योंकि ऐसी धारणा है कि बांग्लादेश में हिंदुओं का मतलब अवामी लीग समर्थक है। मैं यह नहीं कह रहा कि जो हुआ वह सही है, लेकिन कुछ लोग इसे संपत्ति जब्त करने के बहाने के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। इसलिए, अवामी लीग समर्थकों और हिंदुओं के बीच कोई स्पष्ट अंतर नहीं है।” 

यूनुस ने कही थी ये बात

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का प्रमुख बनने के तुरंत बाद, पिछले महीने नई दिल्ली के साथ अपने पहले सीधे संपर्क में, यूनुस ने प्रधानमंत्री मोदी को बताया कि ढाका हिंदुओं और अन्य सभी अल्पसंख्यक समूहों की सुरक्षा को प्राथमिकता देगा। बातचीत के दौरान, मोदी ने एक लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण तथा प्रगतिशील बांग्लादेश के लिए भारत के समर्थन की पुष्टि की और हिंसा प्रभावित देश में हिंदुओं व अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के महत्व पर बल दिया।

'भारत घटनाओं का बड़े पैमाने पर प्रचार कर रहा है'

बांग्लादेश में 1971 के मुक्ति संग्राम के समय जनसंख्या में 22 प्रतिशत हिंदू थे, जो अब 17 करोड़ की जनसंख्या में लगभग 8 प्रतिशत रह गए हैं और मुख्य रूप से अवामी लीग का समर्थन करते हैं, जो अपने धर्मनिरपेक्ष रुख के लिए जानी जाती है। हमलों को सांप्रदायिक से अधिक राजनीतिक बताते हुए यूनुस ने भारत द्वारा इनका “प्रचार” करने के तरीके पर सवाल उठाया। मुख्य सलाहकार ने कहा, “ये हमले सांप्रदायिक नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रकृति के हैं। और भारत इन घटनाओं का बड़े पैमाने पर प्रचार कर रहा है। हमने ये नहीं कहा कि हम कुछ नहीं कर सकते; हमने कहा कि हम सबकुछ कर रहे हैं।” 

'बांग्लादेश दूसरा अफगानिस्तान बन जाएगा'

भारत-बांग्लादेश संबंधों के भविष्य पर चर्चा करते हुए यूनुस ने भारत के साथ अच्छे संबंधों की इच्छा व्यक्त की, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि नई दिल्ली को यह धारणा त्याग देनी चाहिए कि शेख हसीना के बिना बांग्लादेश दूसरा अफगानिस्तान बन जाएगा। उन्होंने कहा, “भारत के लिए आगे बढ़ने का रास्ता इस विमर्श से बाहर आना है। विमर्श यह है कि हर कोई इस्लामवादी है, बीएनपी (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी) इस्लामवादी है, और बाकी सभी इस्लामवादी हैं और इस देश को अफगानिस्तान बना देंगे, और बांग्लादेश केवल शेख हसीना के नेतृत्व में सुरक्षित हाथों में है।” उन्होंने कहा, “भारत इस विमर्श से प्रभावित है। भारत को इससे बाहर आने की जरूरत है। बांग्लादेश, किसी भी अन्य देश की तरह, सिर्फ एक पड़ोसी है।” यूनुस ने कहा, “अल्पसंख्यकों की स्थिति को इतने बड़े पैमाने पर चित्रित करने का प्रयास केवल एक बहाना है।”

 48 जिलों में 278 स्थानों पर हुए हमले  

अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार कहा कि जब उन्होंने अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं से मुलाकात की तो उन्होंने उनसे आग्रह किया कि वो केवल हिंदू के रूप में नहीं बल्कि समान अधिकारों वाले देश के नागरिक के रूप में विरोध करें। इससे पहले अगस्त में, ‘बांग्लादेश नेशनल हिंदू ग्रैंड अलायंस’ ने कहा था कि हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के पतन के बाद से अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को 48 जिलों में 278 स्थानों पर हमलों और धमकियों का सामना करना पड़ा और इसे “हिंदू धर्म पर हमला” करार दिया। बांग्लादेश में एक प्रमुख हिंदू अल्पसंख्यक समूह, बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद (बीएचबीसीयूसी) ने भी पांच अगस्त को शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं पर हमलों की जानकारी दी थी। (भाषा) 

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