Highlights
- जापान ने मंकीपॉक्स की रोकथाम के लिए चेचक के टीके को मंजूरी दी।
- यूरोप से शुरू हुआ मंकीपॉक्स 83 देशों में अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुका है।
- दुनिया में मंकीपॉक्स के पुष्ट मामलों की संख्या 25 हजार के आंकड़े को पार कर गई है।
Monkeypox Vaccine: कोरोना वायरस से दुनिया पर आई आफत अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि मंकीपॉक्स कई देशों में कहर मचाने लगा है। भारत में भी पिछले कुछ दिनों में एक के बाद एक कई मामले सामने आ चुके हैं, और एक शख्स की इस बीमारी से मौत भी हो गई है। दुनिया के कई देश मंकीपॉक्स से जूझ रहे हैं और वहां मरीजों की संख्या हजारों में पहुंच चुकी है। इस बीच जापान से इस बीमारी को लेकर एक राहत भरी खबर सामने आई है।
जापान में लगेंगे चेचक के टीके
जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंकीपॉक्स को रोकने के लिए चेचक के टीके के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि मंत्रालय द्वारा अनुमोदित चेचक के टीके को मंकीपॉक्स के खिलाफ 85 प्रतिशत प्रभावी माना जाता है। जापान में जुलाई के अंत में 30 साल के ऊपर के 2 पुरुष मंकीपॉक्स से पीड़ित पाए गए हैं। इन दोनों ने ही विदेश यात्रा की थी जिसके बाद सरकार बीमारी के प्रसार को रोकने को लेकर सतर्क हो गई है।
क्या है जापानी वैक्सीन का नाम?
जापान के विदेश मंत्रालय ने जिस टीके को मंजूरी दी है उसका नाम LC16 KMB (एलसी16 केएमबी) है। यह एक फ्रीज ड्राइड, सेल कल्चर डिराइव्ड वैक्सीन है जो कि चेचक की रोकथाम में काम आती है। साथ ही मंकीपॉक्स के इलाज के लिए टेकोविरिमैट (Tecovirimat) का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। ये दवाएं मंकीपॉक्स के इलाज में प्रभावी मानी जा रही हैं। बता दें कि दुनिया में मंकीपॉक्स के प्रसार को देखते हुए WHO ने हाल ही में इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया था।
दुनिया में मंकीपॉक्स के कितने मामले?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंगलवार तक दिया में मंकीपॉक्स के पुष्ट मामलों की संख्या 25 हजार के आंकड़े को पार कर चुकी थी। यह बीमारी इस साल यूरोप में सबसे पहले सामने आई थी और उसके बाद कई देशों में यह तेजी से फैली है। ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूरोप से शुरू होकर यह बीमारी अब तक दुनिया के 83 देशों में फैल चुकी है। राहत की बात सिर्फ इतनी सी है कि यह कोरोना वायरस की तरह संक्रामक नहीं है और सही इलाज से 2-4 हफ्ते के अंदर ठीक हो जाती है। हालांकि इसके कई गंभीर मामले भी देखने को मिले हैं जिनमें मरीजों की मौत तक हुई है।