China-egypt-Saudi Arab: रूस और यूक्रेन की जंग के बीच अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंध लगाए, लेकिन यूएई और सऊदी अरब जैसे देश अमेरिकी प्रतिबंधों को ठेंगा दिखाकर रूस के साथ कारोबार करना चाहते हैं। यह अमेरिका के लिए झटके से कम नहीं था। इसी बीच अमेरिका को एक और झटका लगा है। जब दो मुस्लिम देश सऊदी अरब और मिस्र ने अब अमेरिका को दिरकिनार करते हुए चीन से घातक हथियार खरीदने की कवायदें शुरू कर दी हैं।
चीनी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सऊदी अरब और मिस्र चीन से खतरनाक वीपन्स खरीदने के लिए बातचीत कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि ये दोनों मुस्लिम देश चीन से लड़ाकू जेट और विनाशक ड्रोन खरीदने को लेकर चर्चा कर रहे हैं। दरअसल, चीन के एक सरकारी हथियार निर्माता कंपनी है जिसका नाम नोरिंको है। इस कंपनी के साथ मिस्र और सऊदी अरब हथियारों के आयात को लेकर चर्चा कर रहे हैं। इसमें बारीकी से निगाह रखने वाले ड्रोन से लेकर एयर डिफेंस सिस्टम तक के वीपन्स शामिल हैं।
यदि समझौता हो गया तो दोनों देशों को स्काई साकेर FX80 यूएवी, खतरनाक ड्रोन और कम दूरी की मारक क्षमता वाले एयर डिफेंस सिस्टम मिल जाएंगे। रिपोर्ट कहती है कि एचक्यू-17 एई SHORAD एयर डिफेंस सिस्टम को लेकर बातचीत आखिरी चरण तक पहुंच चुकी है।
12 फाइटर जेट खरीद सकता है मिस्र
रिपोर्ट्स के अनुसार यह बातचीत इस साल के अंत तक या अगले साल की शुरुआत तक फाइनल हो जाएगी। बताया जा रहा है कि हथियार खरीदी की डील चीनी मुद्रा युआन में संभव है। मिस्र गरीब होते हुए भी चीन से जे-10C फाइटर जेट खरीद सकता है। मिस्र की वायुसेना का एक प्रतिनिधिमंडल मलेशिया में इस हफ्ते चीनी दल से मुलाकात कर सकता है। चीन मिस्र को डेमो दे सकता है कि मांगे गए फाइटर जेट किस तरह उसके लिए लाभदायक साबित हो सकते हैं। जानकारी के अनुसार मिस्र करीब 12 फाइटर जेट खरीद सकता है।
हथियार के लिए अमेरिका की बजाय चीन की ओर रुख कर रहे देश
हाल के समय में चीन ने वैश्विक कूटनीति में अमेरिका को कई बार आईना दिखाया है और यह बताया है कि वह उभरती शक्ति है। चीन जहां अब खुलकर रूस से करीबी दिखाने लगा है, उत्तर कोरिया को पोषित कर रहा है, दक्षिण चीन सागर और हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपनी दखलअंदाजी बढ़ा रहा है। ऐसे में अमेरिका के लिए सिरमौर बने रहना खतरे का सबब बन गया है। इन सबके बीच अमेरिका इस समय जरूर सबसे बड़ा हथियार बेचने वाला देश है, लेकिन अमेरिका के ग्राहक देशों को तोड़ने की जुगत में चीन लगा हुआ है। यही कारण है कि तानाशाही चीन की ओर अरब और मिस्र जैसे देश भी रुख करने लगे हैं। पिछले साल ही चीन से सऊदी अरब ने 4 अरब डॉलर के हथियार खरीदे थे।