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भारत के खिलाफ नक्शा जारी होते ही नेपाल में लगी इस्तीफों की झड़ी, राष्ट्रपति के सलाहकार के बाद डिप्टी PM ने भी छोड़ा पद

नेपाल में 100 रुपये की नोट पर भारतीय क्षेत्र लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी को अपना दर्शाने के बाद राजनीतिक अस्थिरता बढ़ती जा रही है। भारत पहले ही नेपाली नक्शे को खारिज कर चुका है। इस विवाद में राष्ट्रपति के आर्थिक सलाहकार इस्तीफा दे चुके हैं। अब अचानक उपप्रधानमंत्री उपेंद्र यादव ने भी त्यागपत्र दे दिया है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: May 13, 2024 20:42 IST
नेपाल में छाये संकट की प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi
Image Source : AP नेपाल में छाये संकट की प्रतीकात्मक फोटो

काठमांडू: नेपाल की ओर से भारत विरोधी नक्शा जारी होने के बाद से ही बड़े पदों पर बैठे लोगों के बीच इस्तीफों की झड़ी लग गई है। नेपाल के राष्ट्रपति के आर्थिक सलाहकार के इस्तीफे के बाद अब उप प्रधानमंत्री और वरिष्ठ मधेसी नेता उपेंद्र यादव ने भी सोमवार को अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है। इसके साथ ही उनकी पार्टी सरकार से अलग हो गई, जिससे प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल प्रचण्ड के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को झटका लगा है। मधेसी नेता के करीबी सूत्रों ने बताया कि स्वास्थ्य एवं जनसंख्या मंत्री यादव ने सोमवार सुबह प्रचण्ड को अपना इस्तीफा सौंप दिया।

यादव के साथ ही वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री दीपक कार्की ने भी अपना त्याग पत्र दे दिया है। वह भी यादव की पार्टी से ही आते हैं। यादव जनता समाजबादी पार्टी-नेपाल (जेएसपी-नेपाल) के प्रमुख हैं और इस पार्टी में हफ्ते भर पहले विभाजन हो गया था और वरिष्ठ नेता अशोक राय ने जनता समाजबादी पार्टी नाम से नया दल बना लिया है। निर्वाचन आयोग ने नई पार्टी को मान्यता दे दी है। यादव ने कहा, “ मैंने आज सुबह अपना इस्तीफा प्रधानमंत्री प्रचंड को सौंप दिया। वर्तमान राजनीतिक स्थिति को देखते हुए, मुझे सरकार के साथ अपना सहयोग जारी रखना अनुचित लगता है।

प्रचंड की सरकार के लिए बढ़ता जा रहा खतरा

एक के बाद एक दलों द्वारा सरकार का साथ छोड़े जाने के बाद प्रचंड की सरकार के लिए अस्थिरता का खतरा बढ़ता जा रहा है। जेएसपी-नेपाल के प्रतिनिधि सभा में कुल 12 सदस्य थे। अब प्रतिनिधि सभा में पार्टी का संख्याबल घटकर पांच रह गया है, क्योंकि राय और छह अन्य सांसद और केंद्रीय समिति के 30 सदस्य नई पार्टी में शामिल हो गए हैं। हालांकि प्रचण्ड की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार के पास अब भी बहुमत है। गठबंधन में शामिल सीपीएन-यूएमएल के पास प्रतिनिधि सभा में 77, सीपीएन (माओवादी केंद्र) के पास 32, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के पास 21, नवगठित जनता समाजबादी पार्टी के पास सात और सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट (सीपीएन-यूएस) के पास 10 सीट हैं। गठबंधन को बहुमत साबित करने के लिए 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में कम से कम 138 सीट की आवश्यकता है।

पूर्व पर्यावरण मंत्री और सत्तारूढ़ सीपीएन (माओवादी केंद्र) की केंद्रीय समिति के सदस्य सुनील मानंधर ने कहा, “पार्टी के सरकार से हटने का प्रचण्ड के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार पर तत्काल प्रभाव नहीं पड़ेगा।” हालांकि, उन्होंने कहा कि इसका दीर्घावधि में सरकार की स्थिरता पर कुछ असर पड़ सकता है।  (भाषा)

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