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दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में ड्रैगन की आक्रामक कार्रवाई से भड़के कई देश, भारत ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन को घेरा

दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में चीनी सेना की आक्रामकता लगातार बढ़ती ही जा रही है। इससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आने वाले सभी देश भड़क उठे हैं। सभी देशों ने मिलकर चीन की दादागीरी को खत्म करने और उसे सबक सिखाने की ठान ली है। दूसरे ईयू इंडो-पैसिफिक मिनिस्ट्रियल फोरम (ईआईपीएमएफ) में भाग लेने के लिए स्वीडन के स्टॉकहोम पहुंचे।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : May 14, 2023 7:57 IST, Updated : May 14, 2023 7:57 IST
स्वीडन यात्रा के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर यूरीपीय संघ के प्रतिनिधियों के साथ
Image Source : FILE स्वीडन यात्रा के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर यूरीपीय संघ के प्रतिनिधियों के साथ

दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में चीनी सेना की आक्रामकता लगातार बढ़ती ही जा रही है। इससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आने वाले सभी देश भड़क उठे हैं। सभी देशों ने मिलकर चीन की दादागीरी को खत्म करने और उसे सबक सिखाने की ठान ली है। दूसरे ईयू इंडो-पैसिफिक मिनिस्ट्रियल फोरम (ईआईपीएमएफ) में भाग लेने के लिए स्वीडन के स्टॉकहोम पहुंचे भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन को घेरने के लिए सभी देशों को एकजुट करना शुरू कर दिया है। जयशंकर ने शनिवार को कहा कि हिंद-प्रशांत एक जटिल और अलग परिदृश्य है, जिसे अधिक गहन जुड़ाव के माध्यम से बेहतर रूप से समझा जा सकता है।

जयशंकर दूसरे ईयू इंडो-पैसिफिक मिनिस्ट्रियल फोरम (ईआईपीएमएफ) में भाग लेने के लिए स्वीडन की अपनी पहली यात्रा पर शनिवार को स्टॉकहोम पहुंचे हैं। यूरोपीय संघ (ईयू) हिंद-प्रशांत मंत्रिस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, ‘‘हिंद-प्रशांत वैश्विक राजनीति की दिशा में तेजी से केंद्रीय भूमिका में पहुंच रहा है। यह जिन मुद्दों को उठाता है उनमें वैश्वीकरण के स्थापित मॉडल में निहित समस्याएं हैं।’’ यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दक्षिण चीन और पूर्वी चीन सागर में चीन की सेना की आक्रामक कार्रवाई देखी जा रही है।

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत ने की बहुध्रुवीय एशिया की वकालत

चीन की अकड़ ढीली करने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बहुध्रवीय एशिया की वकालत की। उन्होंने कहा कि एक बहुध्रुवीय दुनिया, जिसे यूरोपीय संघ पसंद करता है, एक बहुध्रुवीय एशिया द्वारा ही संभव है। उन्होंने कहा, ‘‘हिंद-प्रशांत के साथ इस तरह के जुड़ाव में, यूरोपीय संघ स्वाभाविक रूप से समान विचारधारा वाले भागीदारों की तलाश करेगा। भारत निश्चित रूप से उनमें से है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हिंद-प्रशांत एक जटिल और अलग परिदृश्य है जिसे अधिक गहन जुड़ाव के माध्यम से बेहतर तरीके से समझा जा सकता है।’’ जयशंकर ने कहा कि केवल संकट के समय तक सीमित ना रहकर हिंद-प्रशांत और भारत तथा यूरोपीय संघ को नियमित, व्यापक और सार्थक बातचीत की जरूरत है। जयशंकर बांग्लादेश से स्वीडन पहुंचे थे। बांग्लादेश में उन्होंने शुक्रवार को छठे हिंद महासागर सम्मेलन को संबोधित किया।

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