मालदीव के राष्ट्रपति का भारत के खिलाफ बगावती तेवर उन्हीं पर भारी पड़ने लगा है। पहले तो मालदीव के राष्ट्रपति मो मुइज्जू ने परंपरा तोड़कर चीन की यात्रा की और भारत के खिलाफ बयानबाजियां करते रहे। इसका खामियाजा चीन से लौटने के बाद उन्हें मेयर चुनाव में पार्टी की हार से भुगतना पड़ा। मुइज्जू की पार्टी उस सीट से मेयर का चुनाव हार गई, जहां से मुइज्जू राष्ट्रपति बनने से पहले मेयर रहे थे। इस चुनाव में भारत समर्थक पार्टी की बंपर जीत हुई। इससे बौखलाए मुइज्जू का तेवर भारत के प्रति और भी अधिक सख्त हो गया है। उन्होंने मालदीव से सैन्य वापसी के लिए भारत को 15 दिनों का अल्टीमेटम दिया है। मुइज्जू ने कहा है कि भारत हर हाल में 15 मार्च से पहले अपने सैनिकों को वापस बुला ले।
मालदीव का राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद चीन की अपनी पहली राजकीय यात्रा पर गए मुइज्जू ने शी जिनपिंग से मुलाकात के कुछ दिनों बाद यह बयान दिया है। मुइज्जू बीते हफ्ते पांच दिवसीय हाई-प्रोफाइल राजकीय यात्रा पर चीन गए थे। इसके बाद स्वदेश लौटते हुए मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने शनिवार को एक अपमानजनक टिप्पणी करते हुए भारत का नाम लिए बगैर कहा था कि उनका देश भले ही छोटा हो सकता है, लेकिन यह "उन्हें (भारत को) हमें धमकाने का लाइसेंस नहीं देता"। उनकी यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ उनके तीन मंत्रियों द्वारा अपमानजनक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर भारत के साथ राजनयिक विवाद के बीच आई थी।
चीन के प्रबल समर्थक हैं मुइज्जू
चीन के प्रबल समर्थक नेता माने जाने वाले मुइज्जू ने किसी देश का नाम लिए बिना कहा, "हम छोटे हो सकते हैं, लेकिन इससे उन्हें हमें धमकाने का लाइसेंस नहीं मिल जाता।" उन्होंने कहा कि भले ही हमारे पास इस महासागर में छोटे द्वीप हैं, लेकिन 900,000 वर्ग किमी का एक विशाल विशेष आर्थिक क्षेत्र भी है। मालदीव इस महासागर के सबसे बड़े हिस्से वाले देशों में से एक है। पिछले साल नवंबर में कार्यभार संभालने के बाद उनकी चीन की पहली यात्रा थी। मुइज्जू ने भारत पर स्पष्ट रूप से कटाक्ष करते हुए कहा, "यह महासागर किसी विशिष्ट देश का नहीं है। यह (हिंद) महासागर इसमें स्थित सभी देशों का भी है।
हम किसी के पीछे नहीं हैं
" मालदीव सन ऑनलाइन पोर्टल ने मुइज्जू के हवाले से कहा, "हम किसी के पीछे नहीं हैं। हम एक स्वतंत्र और संप्रभु राज्य हैं।" अपनी चीन यात्रा के दौरान मुइज्जू ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बातचीत की, जिसके बाद दोनों देशों ने 20 समझौतों पर हस्ताक्षर किए। शीर्ष चीनी नेताओं के साथ मुइज्जू की वार्ता के अंत में जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया, "दोनों पक्ष अपने-अपने मूल हितों की रक्षा में एक-दूसरे का दृढ़ता से समर्थन करना जारी रखने पर सहमत हैं।" चीन से लौटने के बाद मुइज्जू के तेवर और उनका रवैया भारत को लेकर लगातार बदलता जा रहा है।