मालेः मालदीव के राष्ट्रपति मो. मुइज्जू सत्ता बदलते ही चीन की गोद में खेलने लगे। मगर भारत ने मालदीव के विकास और मानवता के लिए क्या-क्या सहयोग किया है, उसे वह भूल गए। जिन भारतीय सैनिकों को वह भारत से वापस बुलाने की मांग कर रहे हैं, उन्हीं सैनिकों ने मालदीव के हजारों लोगों की संकट जान बचाई है और अभी तक वह इमरजेंसी में मजबूरों के मददगार बने हैं। इन सबके बावजूद भले ही मालदीव चीन से गलबहियां कर रहा है, मगर आज भी भारत के सहयोग और भारत से लिए कर्ज से मालदीव में कई विकास योजनाएं चल रही हैं।
बता दें कि भारत के सहयोग और दिए कर्ज से मालदीव में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के विकास से लेकर कई अन्य परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय की एक टीम ने बृहस्पतिवार को भारतीय रियायती ऋण सुविधा के तहत मालदीव के हनीमाधू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पुनर्विकास सहित महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की। ये परियोजनाएं विदेश मंत्रालय के विकास साझेदारी प्रशासन (डीपीए) द्वारा संचालित की जा रही हैं, जिसका उद्देश्य ‘‘विकासात्मक भागीदारी के जरिये मित्रता को मजबूत करना’’ है।
दशकों से भारत करता रहा है मालदीव की मदद
उल्लेखनी है कि पिछले कई दशकों में भारत ने मालदीव को कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को विकसित करने में मदद की है। इसी कड़ी में भारत के सहयोग से मालदीव में हनीमाधू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पुनर्विकास सहित महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं चलाया जा रहा है। विदेश मंत्रालय की टीम का नेतृत्व सुजा के मेनन कर रही हैं, जो विदेश मंत्रालय में डीपीए में संयुक्त सचिव हैं। इससे पहले मंगलवार को डीपीए टीम ने गण इंटरनेशनल एयरपोर्ट पुनर्विकास परियोजना सहित अन्य परियोजना स्थलों का दौरा किया। (भाषा)
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