अंतरराष्ट्रीय समुद्री व्यवस्था के रखरखाव में भारत की धाक लगातार बढ़ती जा रही है। समुद्री व्यवस्था के रखरखाव और सहयोग की दिशा में दुनिया की निगाहें भारत की ओर हैं। पूरा विश्व भारत की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देख रहा है। इसकी वजह भारत का मजबूत नेतृत्व और ताकतवर भारतीय नौसेना का होना है। भारतीय नौसेना आइएनएस विक्रांत और विक्रमादित्य जैसे विध्वंसक युद्ध पोतों और परमाणु पनडुब्बियों से लैस है। अंतर्राष्ट्रीय समुद्री व्यवस्था के रखरखाव और सहयोग की दिशा में, भारतीय तटरक्षक प्रमुख महानिदेशक राकेश पाल ने जापान के टोक्यो में तीसरे तटरक्षक वैश्विक शिखर सम्मेलन में भाग लिया है।
शिखर सम्मेलन से इतर उन्होंने जापानी प्रधान मंत्री फुमियो किशिदा और आईसीजी अधिकारियों के साथ बातचीत की है। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य समुद्री कानून, समुद्री जीवन की सुरक्षा, समुद्री पर्यावरण का संरक्षण, अवैध हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी रोकना, समुद्री अपराधों से निपटने के लिए दुनिया भर में तटरक्षकों के बीच सहयोग बढ़ाना शामिल है।
समुद्री चुनौतियों का समाधान खोजना जरूरी
आधुनिक समय में दुनिया तमाम तरह की समुद्री चुनौतियों से जूझ रही है। ऐसे में इसका समाधान करना जरूरी है। इसलिए दुनिया भर के तटरक्षकों का टोकियो में जमावड़ा हुआ है। इस बीच जापान के तटरक्षकों ने दुनिया भर में सभी तटरक्षक एजेंसियों और मंचों के बीच सहयोग व तालमेल का आधार बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग के विचार का प्रस्ताव रखा है। इससे पहले जुलाई 2023 में भारत-जापान समुद्री सैन्य अभ्यास भी दोनों देशों की नौसेनाओं द्वारा किया जा चुका है। यह बीते 11 जुलाई को बंगाल की खाड़ी में किया गया था। भारत और जापान की नौसेना ने अपनी समुद्री युद्ध क्षमता का जोरदार प्रदर्शन किया था। इससे पहले पीएम मोदी और जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने समुद्री सुरक्षा और सहयोग पर द्विपक्षीय वार्ता भी की थी।
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