Saudi Arab-China: सऊदी अरब अपने परंपरागत दोस्त अमेरिका की बजाय अब नए दोस्त चीन से नजदीकियां बढ़ा रहा है। इसके पीछे सऊदी अरब और चीन दोनों के अपने अपने हित हैं। सऊदी अरब जहां स्टेट विजन 2030 को आगे बढ़ा रहा है, वहीं चीन बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के साथ आगे बढ़ रहा है। सबसे पहले सऊदी अरब के नजरिए से देखें तो उसे पता है कि आने वाले समय में इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल्स और तेजी से बदलती तकनीकों के कारण तेल पर दुनिया की निर्भरता कम हो सकती है। इस कारण वह अब दुनिया के नक्शे पर एक पर्यटक देश के रूप में भी उभरना चाहता है। वहीं चीन जहां दुनिया की दूसरी सबसे ज्यादा जनसंख्या है। वहां के पर्यटकों को वह रिझाना चाहता है। उधर, चीन के भी अपने हित हैं। वह बेल्ट एंड इनिशिएटिव के जरिए मध्य एशिया के साथ ही मिडिल ईस्ट देशों को भी साधना चाहता है। ऐसे में सऊदी अरब उसका सबसे बड़ा स्ट्रेटेजिक पार्टनर बन सकता है। यह बात चीन जानता है।
हाल ही में सऊदी अरब और ईरान की दोस्ती चीन ने कराई और ये जता दिया कि वह मिडिल ईस्ट में नए समीकरण बनाना चाहता है। इसका फायदा चीन को तो मिलेगा ही, सऊदी अरब भी नए सिरे से अपनी अर्थव्यवस्था को चलाने और आगे बढ़ाने के लिए अमेरिका को ठेंगा दिखाने में कोई गुरेज नहीं कर रहा। खुद जो बाइडन जो कभी प्रिंस सलमान को पसंद नहीं करते थे, उन्होंने खुद प्रिंस को रूस यूक्रेन की जंग के बीच तेल उत्पादन बढ़ाने को कहा था। लेकिन सऊदी अरब ने तेल उत्पादन में कटौती कर दी।
चीन से नजदीकियां क्यों बढ़ा रहा सऊदी अरब
सऊदी अरब के विजन 2030 का एक सबसे बड़ा फोकस ट्रेवल एंड टूरिज्म है। ऐसे में अरब नए दोस्त चीन को इसलिए तवज्जो देना चाहता है क्योंकि चीन 2019 में पर्यटकों के स्रोत के रूप में विश्व में नंबर एक पर था। चीनी लोगों ने 155 मिलियन विदेशी यात्राएं की हैं और चीन के बाहर छुट्टियां मनाते हुए 250 बिलियन डॉलर से अधिक खर्च किया है। सऊदी अरब जानता है कि चीनी पर्यटकों को रिझाना तभी संभव हो सकता है, जब चीन से मजबूत रिश्ते हों। सऊदी अरब इस दशक के अंत तक पर्यटन राजस्व के तौर पर सालाना 46 बिलियन डॉलर कमाने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में खाड़ी के सबसे शक्तिशाली देश को लगता है कि इस काम में चीनी पर्यटक सबसे बड़ी भागीदारी निभा सकते हैं। 2019 में सऊदी अरब ने पर्यटन के जरिए रिकॉर्ड 19.85 बिलियन डॉलर कमाए थे, लेकिन बाद में कोरोना आ गया। अब वह नए सिरे से पर्यटन को बढ़ाना चाहता है।
चीन को क्या मिलेगा फायदा
चीन जो खुद कोरोना की बुरी मार झेल चुका है। ऐसे में कारोबार के लिए सऊदी अरब जैसे देशों से दोस्ती जरूरी है। इससे वह न सिर्फ सऊदी अरब बल्कि मिडिल ईस्ट के देशों को भी कारोबारी तौर साधने लगेगा। यही नहीं, चीन अपनी ऊर्जा जरूरतों का बड़ा हिस्सा सऊदी अरब के मंगाता है। हाल में इसमें रूस की भागीदारी काफी ज्यादा बढ़ी है, लेकिन यदि जंग खत्म हो गई तो रूस तेल के दाम बढ़ा सकता है। ऐसे में आने वाले समय में सऊदी अरब ही तेल और गैस सप्लाई का सबसे बड़ा स्रोत होगा। इसलिए चीन भी सऊदी अरब से दोस्ती बढ़ाने में पीछे नहीं रहेगा।