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Indo-China Doctor:जानें भारत के उस डॉक्टर के बारे में, जिनकी मौत के बाद भी होती है चीन में अब तक पूजा

Indo-China Doctor:भारत चिकित्सा के क्षेत्र में सदियों से दुनिया के अग्रणी देशों में रहा है। भारत के डॉक्टरों ने न सिर्फ अपने देश में, बल्कि विदेशों में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। आपको एक ऐसे ही डॉक्टर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी चीन भी पूजा करता है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Oct 08, 2022 18:55 IST, Updated : Oct 08, 2022 18:55 IST
Dr. Dwarkanath Kotnis
Image Source : INDIA TV Dr. Dwarkanath Kotnis

Highlights

  • डॉक्टर द्वारका नाथ ने द्वितीय विश्वयुद्ध में चीन में बचाई सैकड़ों जान
  • सिर्फ 32 वर्ष की उम्र में डा. द्वारकानाथ कोटिस का हो गया निधन
  • पश्चिम बंगाल में जन्मे कोटिस ने चीनी नर्स से कर ली थी शादी

Indo-China Doctor:भारत चिकित्सा के क्षेत्र में सदियों से दुनिया के अग्रणी देशों में रहा है। भारत के डॉक्टरों ने न सिर्फ अपने देश में, बल्कि विदेशों में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। आपको एक ऐसे ही डॉक्टर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी चीन भी पूजा करता है। ऐसे डॉक्टर की अनसुनी कहानी आपने शायद पहले कभी नहीं सुनी रही होगी।

चीन के हपेई प्रांत के शीच्याच्वांग चिकित्सा माध्यमिक विद्यालय में भारतीय डॉक्टर द्वारकानाथ कोटनिस की कांस्य मूर्ति खड़ी है। चीन में डॉक्टर कोटनिस सर्वविदित थे। जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध के दौरान पाँच भारतीय डॉक्टर सहायता करने के लिए चीन आए। डॉक्टर कोटनिस उनमें से एक थे। शीच्याच्वांग स्थित उत्तरी चीन सैन्य शहीद कब्रिस्तान में डॉक्टर कोटनिस का सफेद मकबरा खड़ा है। स्वर्गीय लोगों को याद करने के दिन लोग डॉक्टर कोटनिस को याद करने के लिए यहां आते हैं और मकबरे पर फूल अर्पित करते हैं।

पश्चिम बंगाल में जन्मे थे डॉक्टर द्वारका नाथ

भारत के पश्चिम बंगाल स्थित डॉक्टर कोटनिस स्मृति समिति के अध्यक्ष एम. गंटेट ने चीन की यात्रा के बाद कहा कि चीनी लोग इन विदेशी दोस्तों को हमेशा याद करते हैं, जिन्होंने विश्व फासिस्ट विरोधी युद्ध में उनकी सहायता की। डॉक्टर कोटनिस का जन्म 10 अक्तूबर 1910 को महाराष्ट्र के शोलापुर शहर में हुआ था, जो वर्ष 1938 में भारतीय कांग्रेस द्वारा चीन में भेजा गया। इसके एक साल पहले, यानी वर्ष 1937 में जापानी फासीवादियों ने चीन के खिलाफ आक्रमण युद्ध छेड़ा। चीनी सैनिकों और नागरिकों ने विरोध करने के लिए भरसक प्रयास किया। चिकित्सकों और दवाओं की कमी की वजह से बहुत सारे सैनिकों को समय पर इलाज नहीं मिल पाया।

चीन में डॉ. द्वारकानाथ ने बचाई थी सैकड़ों लोगों की जान
डॉक्टर कोटनिस ने सक्रियता से जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध में भाग लिया और सैकड़ों घायलों की जान बचाई थी। वर्ष 1940 में हुए युद्ध में उन्होंने 800 से अधिक घायलों का इलाज किया और उनमें 558 लोगों की सर्जरी की। चीन में डॉक्टर कोटनिस ने चीनी भाषा सीखी और चीनी भाषा में शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने किताबें भी लिखीं और बहुत सारे चीनी चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया।

चीनी नर्स के साथ कर ली शादी
डॉ. द्वारका नाथ ने वर्ष 1941 में चीनी नर्स क्वो छिंगलान के साथ शादी रचाई, फिर दूसरे साल उनके बेटे का जन्म हुआ, जो चीन और भारत के बीच मित्रता का प्रतीक बना। खेद है कि बेटे के जन्म के 107 दिन बाद अधिक काम करके मिरगी पड़ने की वजह से डॉक्टर कोटनिस का निधन हो गया। उनकी उम्र सिर्फ 32 साल थी।
तत्कालीन चीनी नेताओं ने डॉक्टर कोटनिस के बेटे का ख्याल रखा और उन्हें चौथे सैन्य चिकित्सा विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने भेजा। लेकिन 25 साल की आयु में औषधि से शारीरिक प्रतिक्रिया उत्पन्न होने के कारण उनका भी निधन हो गया। वर्ष 2012 में डॉक्टर कोटनिस की पत्नी क्वो छिंगलान की रोग से मृत्यु हो गई, जिनकी उम्र 96 साल की थी।

डॉ. द्वारकानाथ कोटनिस के नाम से चीन में चलता है स्कूल
वर्ष 1992 में स्थापित हुए शीच्याच्वांग कोटनिस चिकित्सा माध्यमिक विद्यालय ने 45,000 से अधिक चिकित्सा कर्मचारियों को तैयार किया। जब भी नए छात्र या नए कर्मचारी आते हैं, वे सब डॉक्टर कोटनिस की कांस्य मूर्ति के सामने शपथ लेते हैं कि डॉक्टर कोटनिस की भावना को आगे बढ़ाते हैं। डॉक्टर कोटनिस न सिर्फ चिकित्सकों का प्रोत्साहन करने का प्रतीक थे, बल्कि चीन-भारत मित्रता का सूत्र भी थे। चीन और भारत दुनिया में सबसे बड़े विकासशील देश और प्राचीन सभ्यता वाले देश हैं। हमें विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग और आदान-प्रदान मजबूत करना चाहिए। यह जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध और विश्व फासिस्ट विरोधी युद्ध की विजय का सबसे अच्छा स्मरण है।

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