Bhutan King's India Visit: भूटान के तीसरे राजा जिग्मे वांगचुक तीन दिन के दौरे पर भारत पहुंचे हैं। इससे पहले भूटान के पीएम लोटे शेरिंग ने हाल ही में चीन के पक्ष में बयान दिया था। कहा था कि डोकलाम विवाद का हल करने में केवल भारत की नहीं, चीन की भी भूमिका है। इस बयान से भारत में टेंशन बढ़ गई थी। लेकिन अब इसी भूटान के राजा जिग्मे वांगचुक भारत की यात्रा पर आए हैं। भूटान नरेश की इस यात्रा से चीन को मिर्ची लगी है।
भूटान ने अपने देश में कोई भी चीनी गांव की मौजूदगी से किया था इनकार
दरअसल, पड़ोसी देश भूटान ने यह दावा कर दिया था कि उनके देश में कोई भी चीनी गांव मौजूद नहीं है। जबकि सैटेलाइट तस्वीरों में कुछ अलग ही नजर आया था। यही नहीं, भूटानी पीएम लोटे शेरिंग ने यह भी कह दिया था कि डोकलाम विवाद के हल में चीन की भी समान भूमिका है। भूटान से मिले इस समर्थन के बाद चीन फूला नहीं समा रहा था। लेकिन अब भरत की यात्रा पर भूटान नरेश जिग्मे वांगचुक आए हैं। भूटान नरेश की यह भारत यात्रा चीन को नहीं रास आ रही है।
चीन ने डोकलाम मामले पर भारत के खिलाफ उगला जहर
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख में चीन और भूटान की सीमा के विवाद को हल करने में भारत को सबसे बड़ी रुकावट बताया। वह भूटानी पीएम के डोकलाम पर दिए कमेंट पर सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में काफी लिखा, लेकिन इसके उलट भूटानी नरेश भारत यात्रा पर आ गए। जो चीन के लिए एक बड़ा झटका है।
भूटान के राजा की तीन दिनी भारत यात्रा, विदेश मंत्री से हुई मुलाकात
भूटान के तीसरे राजा जिग्मे वांगचुक तीन दिन के दौरे पर भारत पहुंचे हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उनसे मुलाकात की। अपने तीन दिन के दौरे पर वांगचुक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपित द्रौपदी मुर्मू से भी मुलाकात करेंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक किंग वांगचुक के साथ भूटान के विदेश व्यापार मंत्री टैंडी दोरजी और शाही सरकार के कई वरिष्ठ मंत्री भी भारत आए हैं।
क्या कहा था भूटान के पीएम लोटे थेरिंग ने?
एक अंतरराष्ट्रीय वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में थेरिंग ने कहा था कि‘ डोकलाम मसले का हल सिर्फ भूटान नहीं निकाल सकता। इस मामले से तीन देश जुड़े हैं। और इस मामले में किसी भी देश को छोटा नहीं माना जा सकता। सब बराबर के हिस्सेदार हैं।‘ थेरिंग के इस बयान ने भारत की चिंता बढ़ाई। इसकी वजह यह है कि भारत डोकलाम में चीन के किसी भी दावे को नहीं मानता। यह हिस्सा भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर में आता है, जिसे स्ट्रैटजिक लोकेशन के हिसाब से सेंसिटिव माना जाता है।
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