Highlights
- तालिबान लड़ाकों ने 3 हमलावरों को मार गिराया।
- विस्फोदक लदी गाड़ी गुरुद्वारे तक पहुंच गई थी।
- आईएस-के अतीत में ऐसे हमले करवा चुका है।
Kabul Gurudwara Attack: अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में शनिवार को एक गुरुद्वारे में कई विस्फोट हुए (Kabul Sikh Temple Attack) जिनमें एक सिख सहित 2 लोगों की मौत हो गई। इस घटना में 7 लोग घायल भी हुए हैं। अफगान सुरक्षाकर्मियों ने विस्फोटक लदी एक गाड़ी को गुरुद्वारे में घुसने से पहले ही रोक दिया जिससे एक बड़ी घटना टल गई। तालिबान द्वारा नियुक्त गृह मामलों के प्रवक्ता अब्दुल नफी ताकोर ने कहा कि अफगानिस्तान में गुरुद्वारे पर हुए टारगेटेड हमले में शनिवार सुबह काबुल के बाग-ए-बाला इलाके में कार्ते परवान गुरुद्वारे पर हमला हुआ। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों तथा तालिबान लड़ाकों के बीच कई घंटे तक मुठभेड़ चली।
तालिबान ने 3 हमलावरों को मार गिराया
पझवोक समाचार एजेंसी ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि तालिबान ने 3 हमलावरों को मार गिराया। ताकोर ने पुष्टि की कि इस घटना में तालिबान के एक लड़ाके और एक अफगान सिख (Kabul Sikh Death) की मौत हो गई और 7 अन्य घायल हो गए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय के बयान के मुताबिक, विस्फोटकों से लदी गाड़ी को टारगेट तक पहुंचने से पहले ही रोक दिया गया। इस दौरान गाड़ी में ब्लास्ट हुआ लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ। गुरुद्वारे पर सुबह के समय जब हमला किया गया, उस समय 30 लोग अंदर थे।
‘हमलावरों ने पहले हैंड ग्रेनेड से हमला किया’
रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमलावरों ने पहले एक हैंड ग्रेनेड से हमला किया जिससे गुरुद्वारे के गेट के पास आग लग गई। इसके कुछ ही देर बाद एक और ब्लास्ट हुआ। इस दौरान इलाके में धुएं का गुबार छा गया। हमला इतना जोरदार था कि लोग दहशत में आ गए। इसके बाद तालिबान और हमलावरो में मुठभेड़ हुई जो कई घंटे तक चली। इस हमले की अभी तक किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन इस्लामिक स्टेट इन खुरासन (IS-K) इससे पहले देशभर में मस्जिदों और अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों की जिम्मेदारी ले चुका है।
अफगानिस्तान में बचे हैं सिर्फ 140 सिख
अफगानिस्तान में एक समय सिखों की अच्छी-खासी आबादी रहा करती थी, लेकिन सत्ता पर कट्टरपंथियों का कब्जा होने के साथ ही कुछ दशक पहले यहां से सिखों का पलायन शुरू हो गया था। पिछले कुछ सालों में अफगानिस्तान से बचे-खुचे सिख भी निकल गए थे, लेकिन कई आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण दूसरे देश नहीं जा पाए हैं। ऐसे में वे सिख अफगानिस्तान में ही, मुख्यतः काबुल, जलालाबाद तथा गजनी में रह रहे हैं। माना जाता है कि अफगानिस्तान में अब लगभग 140 सिख बचे हैं, जिनमें से ज्यादातर पूर्वी शहर जलालाबाद और राजधानी काबुल में रह रहे हैं।
2020 में हुआ था सिखों पर बड़ा हमला
पिछले साल अगस्त में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से सुन्नी मुस्लिम आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट के हमले लगातार जारी हैं। शनिवार को हुए हमले से पहले मार्च 2020 में काबुल में एक गुरुद्वारे पर आत्मघाती हमले में कम से कम 25 लोगों की जान चली गई थी। उस घटना में 8 लोग घायल भी हुए थे। 2020 के हमले को अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक सिख समुदाय पर हुए सबसे घातक हमलों में से एक माना जाता है। शोर बाजार इलाके में हुए इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट ने ली थी।
मोदी ने की गुरुद्वारे पर हमले की निंदा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुद्वारे पर हमले की निंदा करते हुए कहा कि इस घटना से स्तब्ध हूं। उन्होंने ट्वीट किया, ‘काबुल में स्थित करते पारवां गुरुद्वारे पर कायराना आतंकवादी हमले से स्तब्ध हूं। मैं इस बर्बर हमले की निंदा करता हूं, और श्रद्धालुओं की सुरक्षा और कल्याण के लिए प्रार्थना करता हूं।’ वहीं, विदेश मंत्री जयशंकर ने ट्वीट में कहा, ‘गुरुद्वारा कार्ते परवान पर कायरतापूर्ण हमले की कड़े शब्दों में निंदा की जानी चाहिए। हमले की खबर मिलने के बाद से हम घटनाक्रम पर करीब से नजर रखे हुए हैं। हमारी पहली और सबसे महत्वपूर्ण चिंता समुदाय के कल्याण के लिए है।’