Highlights
- ताइवान ने कहा-नहीं करेंगे अपनी संप्रभुता से कोई समझौता
- ताइवान पर अमेरिका और चीन में भी चल रही तनातनी
- चीन जबरन ताइवान पर जमाना चाहता है अपना कब्जा
Taiwan Reaction On China: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ओर से ताइवान पर बल प्रयोग की धमकी को लेकर ताइवानी राष्ट्रपति के कार्यालय से कड़ी प्रतिक्रिया आई है। ताइवान ने बिना डरे चीन को उसी लहजे में कहा कि वह जिनपिंग की धमकियों से अपनी संप्रभुता से पीछे नहीं हटने वाले हैं। शी जिनपिंग ने बीजिंग में कम्युनिस्ट पार्टी कांग्रेस के उद्घाटन के एक भाषण में कहा गया था कि ताइवान मुद्दे को हल करने के लिए चीन ताइवान पर बल प्रयोग के विकल्प को कभी नहीं छोड़ेगा।
एक तरीके से शी जिनपिंग ने प्रत्यक्ष रूप से यह कहकर ताइवान पर सैन्य हमले की धमकी दी है। ऐसे में ताइवान की ओर से इस पर प्रतिक्रिया आनी भी तय मानी जा रही थी। ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन की ओर से चीन की इस धमकी का करारा जवाब दिया गया है। इससे पूरे चीन में खलबली मच गई है। ताइवान ने बिना डरे खुले तौर पर जिनपिंग के इस बयान की निंदा भी की है, जिसमें उन्होंने ताइवान पर बल प्रयोग करने की धमकी दी है।
लोकतंत्र से समझौता नहीं करेगा ताइवान
ताइवान ने कहा है कि वह अपनी संप्रभुता से पीछे नहीं हटेगा और न ही अपनी स्वतंत्रता और लोकतंत्र से समझौता करेगा। ताइवान के लोग इसके लिए "एक देश, दो प्रणाली" प्रबंधन के बीजिंग के विचारों का स्पष्ट रूप से विरोध करते हैं। ताइवान स्व-शासित द्वीप है। इसकी संप्रभुता के साथ किसी को खेलने का अधिकार नहीं दिया जा सकता। ताइवान के राष्ट्रपति कार्यालय ने बयान में यह भी कहा कि ताइवान जलडमरूमध्य और क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखना दोनों पक्षों की साझा जिम्मेदारी है। युद्ध के मैदान पर बैठक करना कोई विकल्प नहीं है।
चीन ने कहा बल प्रयोग के साथ भी हल करेंगे ताइवान का मुद्दा
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बीजिंग में कम्युनिस्ट पार्टी कांग्रेस के उद्घाटन के एक भाषण में कहा है कि ताइवान मुद्दे को हल करने के लिए चीनी लोगों पर निर्भर है। वन चाइना पॉलिसी के तहत हम ताइवान पर बल प्रयोग के विकल्प का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। चीनी राष्ट्रपति ने यह बात ऐसे वक्त में कही है जब पहले से ही ताइवान के मामले को लेकर अमेरिका और चीन आमने सामने हैं और जिनपिंग तीसरी बार देश का राष्ट्रपति बनने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं।
चीन और ताइवान में विवाद की ये है वजह
दरअसल ताइवान कभी चीन का ही हिस्सा था। बात वर्ष 1644 की है। तब चीन में चिंग वंश का शासन था और ताइवान चीन का हिस्सा था। मगर 1895 में चीन ने ताइवान को जापान के हाथों में सौंप दिया। मगर ताइवान ने खुद को तब संप्रभु राष्ट्र माना। ताइवान जापान के हाथों की कठपुतली नहीं बना। चीन और ताइवान के बीच विवाद की यही असली वजह बन गया। इसके बाद दोनों देशों के बीच विवाद शुरू हो गया। बाद में चीन फिर से ताइवान पर कब्जा जमाने का कई बार प्रयास शुरू किया, लेकिन उसकी कोशिश सफल नहीं हो पा रही है। करीब 100 वर्षों से चीन और ताइवान के बीच विवाद चला आ रहा है। चीन अक्सर ताइवान की समुद्री सीमा में भी दखलंदाजी करता रहता है। इससे ताइवान और चीन के बीच तनातनी रहती है।