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पाकिस्तान में जिनपिंग के 'सीपैक' प्रोजेक्ट की हवा निकली, गुस्साया चीन पोर्ट से माल भेजने पर मजबूर

चीन का सपना ग्वादर बंदरगाह से सीपीईसी के तहत बनने वाली सड़क के जरिए माल को अपने देश पहुंचाने का था। लेकिन, पाकिस्तान की कंगाली और चल रही राजनीतिक उथल पुथल,भ्रष्टाचार से यह फेल होता दिख रहा है।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published : May 26, 2023 20:32 IST, Updated : May 26, 2023 20:32 IST
पाकिस्तान में जिनपिंग के 'सीपैक' प्रोजेक्ट की हवा निकली, गुस्साया चीन पोर्ट से माल भेजने पर मजबूर
Image Source : FILE पाकिस्तान में जिनपिंग के 'सीपैक' प्रोजेक्ट की हवा निकली, गुस्साया चीन पोर्ट से माल भेजने पर मजबूर

CPEC: चीन की सीपैक योजना फेल होती नजर आ रही है। चीन जो कि इस प्रोजेक्ट को लेकर काफी गंभीर था। अब उसे ही मजबूरन इस प्रोजेक्ट के तहत बन रही सड़क की बजाय ग्वादर पोर्ट से अपना माल भेजने पर मजबूर होना पड़ा है। चीन ने सीपैक प्रोजेक्ट की हवा निकलने पर नाराज होकर ग्वादर पोर्ट के रास्ते से अपने सामान का निर्यात करना पड़ रहा है। चीन ने साल 1998 में पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को बनाना शुरू कर दिया था। साल 2002 में यह पूरा बन गया। तब राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2014 में चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे यानी 'सीपैक' का आधिकारिक ऐलान किया था। 

बुधवार को ग्वादर पोर्ट से पहली बार पांच कंटेनरों का शिपमेंट चीन रवाना किया गया। ग्वादर बंदरगाह को चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के तहत डेवलप किया जा रहा है। चीन का सपना ग्वादर बंदरगाह से सीपीईसी के तहत बनने वाली सड़क के जरिए माल को अपने देश पहुंचाने का था। लेकिन, पाकिस्तान की कंगाली और चल रही राजनीतिक उथल पुथल, सेना और अधिकारियों में फैला भ्रष्टाचार, सिंध प्रांत में स्थानीय लोगों द्वारा सीपैक प्रोजेक्ट का​ विरोध, ये सब ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से चीन के सपनों के प्रोजेक्ट 'सीपैक' के पूरा होने पर प्रश्नचिह्न लगा हुआ है। इस वजह से चीन ने सीपैक को दिए जाने वाले फंड पर भी रोक लगा दी है। 

ग्वादर से पहली बार चीन रवाना हुआ माल

पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट से अनुसार, ग्वादर पोर्ट से 24 मई से पहली बार सीधेतौर पर निर्यात का काम शुरू हुआ। इस दौरा कंटेनरों में फार्मास्युटिकल कारोबार से जुड़े कच्चे माल ले जाने वाले 5 शिपिंग कंटेनरों को ग्वादर शिपिंग जोन से चीन के तियांतिन पोर्ट की ओर रवाना किया गया। इस शिपमेंट के चीन पहुंचने में 30 दिनों को समय लगेगा। पाकिस्तान और चीन ने इसे ऐतिहासिक घटना बताया है। हालांकि, उन्होंने सीपीईसी के पूरी तरह निर्माण को लेकर चुप्पी साध रखी है।

जानिए 'सीपैक' प्रोजेक्ट के बारे में

सीपैक का पूरा नाम चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा है। इसका उद्देश्य ग्वादर पोर्ट को चीन के शिंजियांग से जोड़ना है। चीन का सपना है कि इस गलियारे से खाड़ी देशों से खरीदे गए तेल और गैस को बंदरगाह, रेलवे और सड़क के जरिए कम समय में अपने देश तक पहुंचा सके। सीपैक में बनने वाली सड़क की लंबाई लगभग 2442 किलोमीटर है। यह गलियारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर, गिलगित-बाल्टिस्तान और बलूचिस्तान होते हुए अरब सागर के किनारे स्थित ग्वादर बंदरगाह तक जाएगा।

सीपैक का भारत क्यों करता है विरोध?

भारत ने सीपैक यानी चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का विरोध किया है। चीन ने भारत को आफर भी दिया था कि वह भी सीपैक का हिस्सा बन जाए, लेकिन भारत ने दो टूक कह दिया कि पीओके यानी पाक अधिकृत कश्मीर से चीन पाकिस्तान गलियारा के तहत सड़क जा रही है, लिहाजा वह पूरी ताकत के साथ सीपैक का विरोध करता है। मोदी सरकार में विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज ने भी सीपैक का पुरजोर विरोध किया था।

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