Highlights
- अपने जेएफ-17 विमान नहीं उड़ा पा रहा पाकिस्तान
- चीन और पाकिस्तान ने मिलकर बनाया है विमान
- रूस पर प्रतिबंधों के कारण नहीं मिल रहे इसके इंजन
JF-17 Thunder: रूस की वजह से पाकिस्तान के मेड इन चाइना जे-17 लड़ाकू विमान अपने खात्मे की कगार पर पहुंच गए हैं। पाकिस्तान वायु सेना की फ्लीट पर खड़े अधिकतर विमान उड़ान नहीं भर पा रहे। ये दिक्कत यहीं खत्म नहीं हो जाती बल्कि मामला और भी ज्यादा गंभीर है। स्थिति अगले कुछ महीनों तक भी ऐसी ही बने रहने की संभावना है। पाकिस्तान वायु सेना में 2022 तक कुल 164 जेएफ-17 लड़ाकू विमान शामिल किए गए थे। इनमें से 10 ब्लॉक 3 वाले वेरिएंट हैं, जिन्हें हाल में ही सेना में शामिल किया गया है। शुरू से ही पाकिस्तान जेएफ-17 विमानों को अपनी वायु सेना की रीढ़ की हड्डी बता रहा है। ऐसे में विमानों के ग्राउंड पर रहने की वजह से पाकिस्तानी वायु सेना की रीढ़ की हड्डी टूट गई है।
ये लड़ाकू विमान इस समय तीन देशों की वायु सेना में संचालित हैं, जिनमें पाकिस्तान भी शामिल है। जबकि चीन ने इसे बनाने में सबसे अधिक योगदान दिया है। ऐसे में हम ये कह सकते हैं कि जेएफ-17 बेहद ताकतवर लड़ाकू विमान है, जिसपर पाकिस्तान गर्व करता है।
पाकिस्तान को रखरखाव और लागत की चिंता
पाकिस्तान और चीन ने भारत के मिराज-2000 और सुखोई Su-30MKI का मुकाबला करने के लिए जेएफ-17 लड़ाकू विमान बनाए थे। चीन ने पाकिस्तान को ये विमान चेपने से पहले उसकी काफी तारीफ की थी। चीन ने खुद ये दावा किया कि वह विमानों को अपनी वायु सेना में शामिल करेगा। हालांकि विमान की क्षमता और प्रदर्शन को देखने के बाद चीन ने अपने असली रंग दिखा दिए। पाकिस्तान की वायु सेना ने खुद ये बात स्वीकार की है कि जेएफ-17 का रखरखाव और संचालन काफी महंगा है। इस वजह से विमान को लंबे समय तक उड़ाने के लिए इसकी संचालन लागत को कम करने की जरूरत है। चीन और पाकिस्तान ने इसके विकास के लिए काफी पैसा खर्च किया है। पाकिस्तान शुरू में इस विमान के एवियोनिक्स पश्चिमी देशों से खरीदना चाहता था, लेकिन चीन ने उसपर चीनी एवियोनिक्स से बने विमान खरीदने का दबाव बनाया।
पाकिस्तान और चीन ने क्यों बनाए जेएफ-17 विमान?
1999 के कारगिल युद्ध में भारत ने पाकिस्तान की सेना को बुरी तरह हराया था। उस समय के युद्ध में कई भारतीय लड़ाकू विमानों ने कारगिल और द्रास की ऊंची चोटियों पर पाकिस्तानी सेना के बंकरों पर कहर बरपाया था। उस समय पाकिस्तान के पास एफ-16 लड़ाकू विमान था, लेकिन अमेरिका ने इसे भारत के खिलाफ किसी भी तरह से इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी थी। जिसके बाद हार से भड़के पाकिस्तान ने 1999 में अपने दोस्त चीन के साथ जेएफ-17 थंडर को विकसित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। फिर दोनों देशों ने मिलकर एक सस्ता, हल्का और हर मौसम में इस्तेमाल होने वाला मल्टीरोल लड़ाकू विमान विकसित किया। जिसमें चीनी एयरफ्रेम वेस्टर्न एवियोनिक्स और रशियन क्लिमोव आरडी 93 इंजन लगे हैं।
रूस नहीं खरीद पा रहा इसके पार्ट्स
जेएफ-17 लड़ाकू विमान में इस्तेमाल होने वाले आरडी-93 इंजनों को रूस से हासिल करने के लिए पाकिस्तान को भी कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। कई दौर की बातचीत के बाद, रूसी इंजन कंपनी किल्मोव ने जेएफ-17 विमान के लिए आरडी-93 इंजन और उससे जुड़े रिपेयर सिस्टम, रखरखाव सुविधा प्रदान करने पर सहमति व्यक्त की थी। लेकिन रूसी हथियारों की दिग्गज कंपनी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट, जिसे आरडी-93 इंजन के लिए स्पेयर पार्ट्स खरीदने थे, अमेरिकी प्रतिबंधों के तहत आ गई है। इससे सौदे को क्रियान्वित करने में बैंकिंग समस्याएं पैदा हो गई हैं। रोसोबोरोनएक्सपोर्ट आरडी-93 इंजन में इस्तेमाल होने वाले पुर्जे दुनिया के विभिन्न देशों से चाहकर भी खरीद नहीं पा रही है। इससे इंजन निर्माण से जुड़ी पूरी सप्लाई चेन प्रभावित हो गई है।
पाकिस्तान को रूस से नहीं मिल रहे इंजन
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, जेएफ-17 विमानों को ग्राउंड करने का मुख्य कारण इसका इंजन है। जेएफ-17 एक रूसी निर्मित क्लिमोव आरडी-93 इंजन द्वारा संचालित है। यूक्रेन युद्ध के कारण रूस पर सभी तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। इसके कारण क्लिमोव आरडी-93 इंजन बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले स्पेयर पार्ट्स की कमी हो गई है। पहले चीन इन इंजनों को रूस से खरीदता था, जिसके बाद वहां से इन इंजनों की आपूर्ति पाकिस्तान और इसे इस्तेमाल करने वाले बाकी दो देशों को की जाती थी। अभी कुछ साल पहले पाकिस्तान ने पैसे बचाने के लिए रूस से सीधे इंजन खरीदने को लेकर एक समझौता किया था। ऐसे में पाकिस्तान जरूरत के हिसाब से रूस से इंजन मंगवाता था। पाकिस्तान को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि रूस अचानक आरडी-93 विमान के इंजनों की आपूर्ति बंद कर देगा। इसके अलावा पहले से खरीदे गए इंजनों का इस्तेमाल दूसरे लड़ाकू विमानों की मरम्मत के लिए भी किया जाता है।